किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत ।
मनिमय कनक नन्द के आँगन, बिम्ब पकरिबैं धावत ।।
कबहुँ निरखि हरि आपु छाहँ कौं, कर सौं पकरन चाहत ।
किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत ।।
Correct Answer: (c) वात्सल्य रस
Solution:'किलकत कान्ह ..... पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत' काव्य-पंक्तियों में वात्सल्य रस है। इसका स्थायी भाव पुत्र या सन्तान या शिशु के प्रति स्नेह होता है।