Correct Answer: (b) नाट्यशास्त्र
Solution:भरतमुनि ने 'रस सूत्र' का विवेचन अपने 'नाट्यशास्त्र' नामक ग्रन्थ में किया है। यह 36 अध्यायों में विभक्त ग्रन्थ है। इसके छठें अध्याय में रससूत्र तथा सातवें अध्याय में विभाव, अनुभाव, संचारी भाव और स्थायी भाव की व्याख्या की गई है। 'भरतमुनि' ने भावों की कुल संख्या 49 माना है। जिसमें आठ अनुभाव, आठ स्थायी भाव तथा 33 संचारी या व्यभिचारी भाव हैं। इन्हीं आठ स्थायी भावों के आधार पर रसों की संख्या भी आठ माना है।