राजनीतिक दल (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

Total Questions: 54

41. दल-बदल निरोधक अधिनियम जिस तिथि को अधिनियमित हुआ, वह कौन-सी थी ? [U.P. P.C.S. (Pre) 2008]

Correct Answer: (b) 15 फरवरी, 1985
Solution:दल-बदल निरोधक अधिनियम (52वां संविधान संशोधन अधिनियम) हेतु विधेयक लोक सभा द्वारा 30 जनवरी, 1985 तथा राज्य सभा द्वारा 31 जनवरी, 1985 को पारित हुआ तथा 15 फरवरी, 1985 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के साथ यह अधिनियमित हुआ था। यह अधिनियम 1 मार्च, 1985 से लागू है। इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 101, 102, 190 तथा 191 में संशोधन करके तथा संविधान में दसवीं अनुसूची को जोड़कर दल-बदल को रोकने का प्रावधान किया गया।

42. निम्नांकित में से कौन एक दल-बदल कानून निरोध में आच्छादित नहीं है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (b) किसी दल में विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर दल-बदल।
Solution:भारतीय संविधान में 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल के आधार पर निरर्हता संबंधी उपबंध किए गए हैं। इसमें किसी दल में एक साथ पूर्ण दल-बदल, एक साथ लघु दल-बदल एवं दल के प्राधिकृत व्यक्ति के निदेश के विरुद्ध मतदान करने संबंधी प्रावधान हैं। इसके तहत भारत में प्रथम बार राजनीतिक दलों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई। इस कानून के तहत किसी दल में विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर दल-बदल की परिस्थिति का उल्लेख नहीं है।

43. राजनीतिक दलों को सवैधानिक मान्यता प्रथम बार मिली वर्ष- [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) 1985 में
Solution:भारतीय संविधान में 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल के आधार पर निरर्हता संबंधी उपबंध किए गए हैं। इसमें किसी दल में एक साथ पूर्ण दल-बदल, एक साथ लघु दल-बदल एवं दल के प्राधिकृत व्यक्ति के निदेश के विरुद्ध मतदान करने संबंधी प्रावधान हैं। इसके तहत भारत में प्रथम बार राजनीतिक दलों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई। इस कानून के तहत किसी दल में विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर दल-बदल की परिस्थिति का उल्लेख नहीं है।

44. भारत में एक राजनीतिक दल का विलय दूसरे राजनीतिक दल में, निम्नांकित में से किस स्थिति में मान्य होता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (c) जब विधान दल के कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य ऐसे विलय के लिए सहमत हो गए हों।
Solution:52वें संविधान संशोधन अधिनियम से संविधान में जोड़ी गई 10वीं अनुसूची के पैरा 4 के उपपैरा (2) के प्रावधान के अनुसार, भारत में एक राजनीतिक दल का विलय दूसरे राजनीतिक दल में मान्य तब होगा, जब उसके विधान दल के कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य ऐसे विलय के लिए सहमत हो गए हों।

45. भारत में दल-बदल विरोधी कानून के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - [I.A.S. (Pre) 2022]

1. यह कानून विनिर्दिष्ट करता है कि कोई नामनिर्दिष्ट विधायक सदन में नियुक्त होने के छह मास के अंदर किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकता।

2. यह कानून कोई समयावधि नहीं देता जिसके अंदर पीठासीन अधिकारी को दल-बदल मामला विनिश्चित करना होता है। उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:भारत में दल-बदल विरोधी कानून का प्रावधान संविधान की 10वीं अनुसूची में किया गया है। इस अनुसूची के पैरा 2 में दल-परिवर्तन के आधार पर निरर्हता संबंधी प्रावधान हैं। इस पैरा के खंड (3) के अनुसार, कोई नामनिर्दिष्ट विधायक सदन में नियुक्त होने के 6 माह के पश्चात किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकता है। यदि वह ऐसा करता है, तो वह सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा। इसका तात्पर्य यह है कि नामनिर्दिष्ट विधायक सदन में नियुक्त होने के 6 माह के भीतर किसी राजनीतिक दल में शामिल होने पर निरर्हित नहीं होगा। अतः कथन 1 सही नहीं है।

10वीं अनुसूची के पैरा 6 में दल-परिवर्तन के आधार पर निरर्हता के बारे में प्रश्नों के विनिश्चय के संबंध में प्रावधान हैं। इसके अनुसार, यदि यह प्रश्न उठता है कि सदन का कोई सदस्य इस अनुसूची के अधीन निरर्हता से ग्रस्त है या नहीं तो वह प्रश्न यथास्थिति सदन के अध्यक्ष या सभापति द्वारा विनिश्चित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा। इसके तहत पीठासीन अधिकारी द्वारा दल-बदल का मामला विनिश्चित करने के लिए किसी समय-सीमा का प्रावधान नहीं है। अतः कथन 2 सही है।

46. निम्नांकित में से दल-बदल विरोधी विधेयक के संबंध में क्या सत्य नहीं है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (d) लोक सभा के सभापति को अनर्ह नहीं ठहराया जाएगा, यदि वह बाद में किसी अन्य राजनीतिक दल का सदस्य बन जाता है।
Solution:दसवीं अनुसूची में सम्मिलित दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत पैरा 5 के अनुसार, लोक सभा अध्यक्ष (या लोक सभा का उपाध्यक्ष या राज्य सभा का उप सभापति अथवा राज्य विधानमंडल के किसी सदन का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष) निर्वाचन से ठीक पहले जिस राजनीतिक दल का सदस्य होता है, वह यदि अपनी सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ देता है और उसके बाद जब तक पद धारण किए रहता है तब तक उस राजनीतिक दल में पुनः सम्मिलित नहीं होता या किसी दूसरे राजनीतिक दल का सदस्य नहीं बनता है अथवा ऐसे पद पर न रह जाने के पश्चात वह अपने मूल राजनीतिक दल में पुनः सम्मिलित हो जाता है, तो उसे अनर्ह नहीं ठहराया जाएगा। परंतु यदि वह किसी अन्य राजनीतिक दल का सदस्य बन जाता है, तो उसे अनर्ह ठहराया जा सकता है। अतः विकल्प (d) सत्य नहीं है।

47. राज्य की विधायिका/संसद का एक सदस्य निर्वाचन के बाद भारत वर्ष में दल-बदल के आधार पर होने वाली निरर्हता का अपवाद, निम्नांकित में से किस स्थिति में माना जाता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (c) उपर्युक्त में से दोनों में।
Solution:दसवीं अनुसूची में सम्मिलित दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत पैरा 5 के अनुसार, लोक सभा अध्यक्ष (या लोक सभा का उपाध्यक्ष या राज्य सभा का उप सभापति अथवा राज्य विधानमंडल के किसी सदन का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष) निर्वाचन से ठीक पहले जिस राजनीतिक दल का सदस्य होता है, वह यदि अपनी सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ देता है और उसके बाद जब तक पद धारण किए रहता है तब तक उस राजनीतिक दल में पुनः सम्मिलित नहीं होता या किसी दूसरे राजनीतिक दल का सदस्य नहीं बनता है अथवा ऐसे पद पर न रह जाने के पश्चात वह अपने मूल राजनीतिक दल में पुनः सम्मिलित हो जाता है, तो उसे अनर्ह नहीं ठहराया जाएगा। परंतु यदि वह किसी अन्य राजनीतिक दल का सदस्य बन जाता है, तो उसे अनर्ह ठहराया जा सकता है। अतः विकल्प (d) सत्य नहीं है।

48. दल परिवर्तन विरोधी विधि को किस राज्य में 1979 में ही अधिनियमित कर दिया गया था? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (b) जम्मू एवं कश्मीर
Solution:तत्कालीन जम्मू एवं कश्मीर राज्य में सितंबर, 1979 में दल-बदल को रोकने के लिए एक विधि को अधिनियमित किया गया था। इस कानून के अनुसार, यदि विधानसभा/विधान परिषद का कोई सदस्य अपनी पार्टी को, जिसके टिकट पर वह निर्वाचित हुआ है, छोड़ता है तो वह विधानसभा/ विधान परिषद का सदस्य नहीं रहेगा। इस कानून के अनुसार, यदि कोई सदस्य किसी विषय पर पार्टी द्वारा दिए गए निर्देश या व्हिप के विरुद्ध सदन में मत देता है या पार्टी के आदेश का उल्लंघन करता है या बिना पूर्व-स्वीकृति के अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।

49. नीचे दी हुई सारणी पर ध्यान दीजिए जिसमें दिसंबर, 1994 में कर्नाटक राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचन के परिणामों के कुछ विवरण प्रस्तुत हैं - [I.A.S. (Pre) 1995]

राजनीतिक दलजनता से प्राप्त मतों का प्रतिशतप्राप्त सीटों की संख्या
जनता दल36116
कांग्रेस3135
भारतीय जनता पार्टी20.440

मतदान विश्लेषण के लिए मतदाता सीट की अनुपातहीनता को समझने के लिए किस पद्धति के अपनाने को इसका कारण माना जाएगा?

Correct Answer: (c) फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम
Solution:वह पद्धति जिसमें सर्वाधिक प्राप्त मतों के आधार पर निर्वाचित माना जाता है अर्थात कुल वैध मतों के प्रतिशत मत का महत्व नहीं होता, उसे फर्स्ट पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम कहते हैं। भारत में राज्य विधानसभाओं एवं लोक सभा के निर्वाचन में यही पद्धति प्रचलित है।

50. लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा आधिकारिक तौर पर एक राजनीतिक दल अथवा राजनीतिक दलों के गठबंधन को विपक्ष की मान्यता देने हेतु कम से-कम होने चाहिए : [U.P.P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (d) लोक सभा की कुल सदस्यता का 1/3
Solution:लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा विपक्ष के नेता की मान्यता हेतु लोक सभा की कुल सदस्य संख्या 543 का न्यूनतम 10% अर्थात 54.3 या 54 सदस्य संबंधित पार्टी का होना चाहिए। विगत दो आम चुनावों में किसी भी विपक्षी पार्टी को अकेले लोक सभा में इतनी सीटें नहीं मिल सकी हैं, यही कारण है कि मई, 2014 में 16वीं लोक सभा के गठन के समय से ही (17वीं लोक सभा में भी) लोक सभा में विपक्ष के नेता का पद रिक्त है।