राज्य विधानमंडल एवं मंत्रिपरिषद (भाग-2) (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

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11. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार, राज्य के राज्यपाल के द्वारा मुख्यमंत्री को नियुक्त किया जाता है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) अनुच्छेद 164
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1) के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।

12. किसी राज्य के मुख्यमंत्री से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? [U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]

Correct Answer: (c) राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर अपने समस्त कृत्यों का प्रयोग करते हैं।
Solution:संविधान के अनुच्छेद 163(1) के अनुसार, जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कृत्यों या उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करे, उन बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा। स्पष्टतः राज्यपाल अपने विवेकाधीन कृत्यों का प्रयोग मुख्यमंत्री की सलाह के बगैर कर सकता है।

13. राज्यों में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की न्यूनतम संख्या क्या हो सकती है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (b) 12
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (1-क) में मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या के बारे में उपबंध है। इसके अनुसार, किसी राज्य की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के पंद्रह प्रतिशत (15%) से अधिक नहीं होगी, परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह (12) से कम नहीं होगी।

14. मुख्यमंत्री से संबंधी निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? [U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]

Correct Answer: (a) वह साधारणतः राज्यपाल द्वारा चयनित होता है।
Solution:संविधान के अनु. 164(1) के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा। अतः स्पष्ट है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री की औपचारिक नियुक्ति करता है न कि उसका चयन करता है। अतः विकल्प (a) में प्रस्तुत कथन सही नहीं है। अन्य प्रश्नगत कथन सही हैं।

15. बिना विधानसभा का सदस्य निर्वाचित हुए कोई मंत्री किस समय तक पद पर बना रह सकता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003 M.P.P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (b) छः माह
Solution:संविधान के अनुच्छेद 164 (4) में प्रावधानित है कि कोई मंत्री, जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा। अतः राज्य मंत्रिपरिषद का सदस्य बिना राज्य विधानमंडल का सदस्य बने 6 माह तक अपने पद पर रह सकता है और यदि वह 6 माह के अंदर विधानमंडल का सदस्य नहीं बन पाता तो उसे त्याग-पत्र देना पड़ेगा।

16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - [I.A.S. (Pre) 2020]

1. भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो मतदान के लिए योग्य है, किसी राज्य में छह माह के लिए मंत्री बनाया जा सकता है तब भी जब कि वह उस राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है।

2. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो दांडिक अपराध के अंतर्गत दोषी पाया गया है और जिसे पांच वर्ष के लिए कारावास का दंड दिया गया है, चुनाव लड़ने के लिए स्थायी तौर पर निरर्हित हो जाता है, भले ही वह कारावास से मुक्त हो चुका हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (d) न तो 1, न ही 2
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के प्रावधानों के तहत कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल का सदस्य न होने पर भी 6 माह की अवधि के लिए मंत्री बनाया जा सकता है। साथ ही अनुच्छेद 173 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी राज्य में विधानमंडल के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए तभी अर्हित होगा, जब- है।

1. वह भारत का नागरिक है तथा निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेकर हस्ताक्षर करता है।

2. वह विधानसभा के स्थान के लिए कम-से-कम 25 वर्ष की आयु का और विधान परिषद के स्थान के लिए कम-से-कम 30 वर्ष की आयु का है।

3. उसके पास ऐसी अन्य योग्यताएं हों, जो इस उद्देश्य से संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाएं। संविधान के अनुच्छेद 326 के अंतर्गत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का य कोई भी व्यक्ति लोक सभा या राज्य विधानसभा के निर्वाचनों में मतदान कर सकता है, परंतु विधानमंडल का सदस्य निर्वाचित होने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 एवं 30 वर्ष है। अतः कथन 1 सही नहीं है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में कतिपय अपराधों के लिए दोषसिद्धि पर निरर्हता का वर्णन है। धारा 8(1) के अंतर्गत दिए गए विशिष्ट अपराधों के लिए जुर्माने या कारावास से दंडित व्यक्ति दोषसिद्धि की तिथि से निरर्हित होगा और उसके छोड़े जाने से छह वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए निरर्हित बना रहेगा। धारा 8(3) के अनुसार, सिद्धदोष अपराध और न्यूनतम दो वर्ष के कारावास से दंडित व्यक्ति दोषसिद्धि की तिथि से निरर्हित होगा और उसे छोड़े जाने से 6 वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए निरर्हित बना रहेगा। इसके तहत स्थायी तौर पर निरर्हित किए जाने का प्रावधान नहीं है। अतः कथन 2 भी सही नहीं है।

17. राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण किया जाता है- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]

Correct Answer: (d) राज्य विधानसभा द्वारा
Solution:राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण अनु. 164(5) के तहत राज्य विधानमंडल द्वारा विधि बनाकर किया जाता है

18. राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण अनु. 164(5) के तहत राज्य विधानमंडल द्वारा विधि बनाकर किया जाता है [DR.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]

1. मुख्यमंत्री राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करता है।

2. मुख्यमंत्री विधान विषयक प्रस्थापनाओं के बारे में राज्यपाल को संसूचित करता है।

3. मुख्यमंत्री राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठकों में भाग लेता है।

4. मुख्यमंत्री किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर लिया है, किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष रखवाता है।

Correct Answer: (d) 1, 2 और 4
Solution:संविधान के अनुच्छेद 167 में उल्लिखित है कि मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा कि वह राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करे; राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे वह दे; तथा किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखे। मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में भाग लेना संवैधानिक कर्तव्य न होकर प्रशासनिक कर्तव्य है।

19. संविधान का कौन-सा अनुच्छेद मुख्यमंत्री के दायित्वों को परिभाषित करता है? [U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) अनुच्छेद 167
Solution:संविधान के अनुच्छेद 167 में उल्लिखित है कि मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा कि वह राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करे; राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे वह दे; तथा किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है किंतु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखे। मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में भाग लेना संवैधानिक कर्तव्य न होकर प्रशासनिक कर्तव्य है।

20. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं। एक को कथन (A) और दूसरे को कारण (R) कहा गया है: [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021]

कथन (A) : न्यायालय मंत्रियों द्वारा राज्यपाल को दी गई सलाह की समीक्षा नहीं कर सकता है।

कारण (R) : भारतीय संविधान में राज्यों के मंत्रियों के लिए विधिक उत्तरदायित्व नहीं है।

उपर्युक्त दो वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?

Correct Answer: (a) दोनों कथन (A) तथा कारण (R) सही हैं तथा कथन (A) का सही स्पष्टीकरण कारण (R) है।
Solution:भारतीय संविधान में राज्यों के मंत्रियों के विधिक उत्तरदायित्व की प्रणाली के लिए कोई प्रावधान नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के खंड (3) में उपबंधित है कि इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जांच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राज्यपाल को कोई सलाह दी, और यदि दी तो क्या दी। अतः न्यायालय मंत्रियों द्वारा राज्यपाल को दी गई सलाह की समीक्षा नहीं कर सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 164 (2) के तहत राज्य मंत्रिपरिषद को राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी बनाया गया है, जबकि अनुच्छेद 164(1) के तहत मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करने के कारण, राज्यपाल द्वारा (मंत्रिपरिषद की सलाह पर) अपने पद से हटाए भी जा सकते हैं।