Correct Answer: (b) ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी परक रोजगार के अतिरिक्त अवसरों का सृजन
Note: पहले से संचालित दो योजनाओं यथा 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम' (NREP) तथा 'ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम' (RLEGP) के समामेलन से अप्रैल, 1989 से अस्तित्व में आई, जवाहर रोजगार योजना (JRY) के तहत जनित कुल रोजगार का 30% महिलाओं के लिए आरक्षित था। जवाहर रोजगार योजना को मजदूरी एवं रोजगार के अवसरों को सभी गांवों तक पहुंचाने और मजदूरी ढूंढ़ने वाले सभी लोगों को गांवों के आस-पास ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। अतः इसे लागू करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई थी।
जवाहर रोजगार योजना का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगारों और अल्प- रोजगार में लगे लोगों के लिए अतिरिक्त लाभप्रद रोजगार के अवसर सृजित करना था।
जवाहर रोजगार योजना के द्वितीयक उद्देश्य थे (क) गरीबों के प्रत्यक्ष और सतत लाभ के लिए उत्पादक सामुदायिक परिसंपत्तियों का निर्माण करना और ग्रामीण आर्थिक एवं सामाजिक आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाना जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो और जिसके फलस्वरूप गरीबों की आय में वृद्धि हो। (ख) ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन के हर क्षेत्र में सुधार हो। इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
इस कार्यक्रम के लिए व्यय में केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी 80:20 के अनुपात में थी।
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्राथमिकता दी गई। महिलाओं के लिए 30 फीसदी तक रोजगार के अवसर आरक्षित किए गए थे।
मजदूरी के रूप में खाद्यान्न को सस्ती दरों पर दिया जाना था। गैर-मजदूरी घटक अथवा सामग्री घटक को कुल परियोजना लागत के
50 फीसदी से अधिक तक बढ़ाने की अनुमति प्रदान नहीं की गई आदि थी।
नोट - इस योजना को अप्रैल, 1999 से जवाहर ग्राम समृद्ध योजना (JGSY) के रूप में पुनर्गठित किया गया।