Solution:हिन्दी के शब्दों का लिंग निर्धारण प्रमुख रूप से संज्ञा के आधार पर होता है, परन्तु सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा विभक्ति प्रयोग में यह विकार उत्पन्न करता है।संज्ञाओं के लिंग के पहचान के कुछ सामान्य नियम
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> हिन्दी में प्रचलित 'आकारान्त संस्कृत शब्द पुल्लिग होते हैं। जैसे-राम, कृष्ण, प्रकाशक, संघ, लेखक इत्यादि ।
> हिन्दी में प्रचलित देशज, तद्भव तथा विदेशी आकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे-आग, रात, माँग, किताब, पैदाइश इत्यादि।
→ संस्कृत के आकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे-विद्या, श्रद्धा, क्रिया इत्यादि।
'देवता' शब्द संस्कृत में स्त्रीलिंग है; परन्तु हिन्दी में पुल्लिग माना जाता है।
→ तद्भव, देशज तथा विदेशी आकारान्त शब्द पुल्लिग होते हैं। जैसे-उलाहना, साँचा, दावा, मलेरिया, नशा इत्यादि।
→ संस्कृत के इकारान्त तथा ईकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-भूमि, प्रकृति, रात्रि, पत्नी इत्यादि।
→ ईकारान्त देशज, तद्भव तथा विदेशी शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। खिड़की, रोटी, बाल्टी इत्यादि।
> कुछ ईकारान्त संज्ञा शब्द पुल्लिग भी होते हैं। जैसे- पानी, घी, दही, मोती, हाथी, नाई, माली, तेली इत्यादि।
→ अधिकतर उकारान्त और ऊकारान्त संज्ञा शब्द पुल्लिग होते हैं। जैसे-शम्भु, स्वयंभू, डाकू इत्यादि।