वर्गिकी (Part – II)

Total Questions: 50

11. निम्नलिखित में कौन कीट नहीं है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (d) मकड़ी
Solution:मकड़ी (Spider) वर्ग ऐरैक्निडा (Class-Arachnida) तथा क्रम एरैनी (Araneae) का एक जंतु है, जो कि उदर के पश्च भाग में स्थित ग्रंथियों (Glands) के स्राव से जाला बनाती है। सभी मकड़ियां परभक्षी (Predators) होती हैं। अन्य विकल्प के जंतु कीट वर्ग (Class Insecta) के अंतर्गत आते हैं। इनमें तीन जोड़ी अर्थात छः पैर (Legs) पाए जाते हैं, जो कि सभी कीटों (Insects) का विशिष्ट गुण है। मकड़ी कीट वर्ग के अंतर्गत नहीं आती है, क्योकि इनके आठ पैर पाए जाते हैं।

12. मकड़ियों द्वारा उत्पादित रेशम कहलाता है- [U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021 R.O./A.R.O. (Pre) Exam. 2017]

Correct Answer: (b) गोसामर रेशम
Solution:

रेशम प्रोटीन निर्मित फाइबर है। मधुमक्खियां, तितली, मकड़ियां इसका उत्पादन करती हैं। मकडियों द्वारा उत्पादित रेशम को 'गोसामर' रेशम (Gossamer Fiber) कहा जाता है। रेशम के अन्य प्रकार है-मलबरी रेकाम, टसर रेशम, इरी रेशम, मूंगा रेशम आदि।

13. रेशम का कीड़ा (Silk Worm) अपने जीवन-चक्र के किस चरण में वाणिज्यिक तंतु (Fiber of Commerce) पैदा करता है? [I.A.S. (Pre) 2000 Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (c) कोशित (Pupa)
Solution:रेशम का कीड़ा (Silk worm), कोशित (Pupa) अवस्था में वाणिज्यिक ततु (Fibre of commerce) को उत्पन्न करता है। लार्वा चक्र के बाद तैयार प्यूपा के बचाव हेतु यह अपनी लार ग्रंथियों द्वारा सावित पदार्थ से खोल, कोया (Cocoon) तैयार करता है, जिससे रेशम (Silk) की प्राप्ति की जाती है। रेशम का उपयोग वस्त्र उद्योग में किया जाता है।

14. रेशम कीट जिन पर पनपता है, वे हैं- [Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) शहतूत की पत्तियां
Solution:

रेशम कीट, कीट वर्ग का प्राणी है। यह शहतूत के पत्तों पर पनपता है।

15. निम्नांकित में से कौन एक कीट के शरीर से निकला स्राव है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (c) लाख
Solution:लाख (Lac) को लाख के कीट (Lac insect-Laccifer or Tachycardia) से प्राप्त किया जाता है। इसका स्रावण सुर्ख रंग की मादा कीट करती है जिसका उपयोग वार्निश, पॉलिश, चपड़ा (Shellac) मौहरी लाख इत्यादि निर्माण में होता है।

16. निम्नलिखित में कौन कीटों से प्राप्त नहीं होता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (d) मोती
Solution:रेशम के कीट से रेशम की प्राप्ति होती है। रेशम का कीट शहतूत के पत्तों पर पनपता है। लाख (Lac) कैरिया लैक्का (Kerria lacca) एवं लैसीफर लैक्का (Laccifer lacca) नामक कीट द्वारा प्राप्त होता है। मधुमक्खियां सामाजिक कीट है, जो फूलों से मकरंद इकट्ठा कर शहद का निर्माण करती हैं। मोती वस्तुतः मोलस्का संघ के जीव पिंकटैडा (Pinctada) या पर्ल ओइस्टर (Pearl Oyster) द्वारा प्राप्त किया जाता है।

17. निम्नलिखित में से किस जीव का रक्त सफेद होता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (b) तिलचट्टा
Solution:ऑक्सीजन हेतु हीमोग्लोबिन का प्रयोग न करने के कारण तिलचट्टे के खून का रंग लाल नहीं बल्कि रंगहीन होता है। कॉकरोच के रक्त द्वारा ऑक्सीजन का परिवहन नहीं किया जाता और इसका रंग भी लाल नहीं होता, क्योंकि इसमें हीमोग्लोबिन उपस्थित नहीं होता। कॉकरोच के शरीर के प्रत्येक खंड में स्थित ट्यूब (Tubes) की एक प्रणाली के माध्यम से कोशिकाओं तक सीधे ऑक्सीजन पहुंचती है। इनका रक्त रंगहीन या सफेद रंग का होता है।

18. लाल रक्त कणिकाविहीन जन्तु है- [67th B.P.S.C. (Pre) (Re-Exam) 2022]

Correct Answer: (b) केचुआ
Solution:केंचुए में लाल रक्त कणिकाओं का अभाव होता है।

19. अधिकांश कीट श्वसन कैसे करते हैं? [I.A.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (d) वातक तंत्र से
Solution:सभी कीटों (Insects) में श्वसन की क्रिया होती है, जिसके दौरान वे ऑक्सीजन (O) को शरीर के अंदर ग्रहण कर कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को बाहर निकालते हैं। इनमें श्वसन के लिए वायु नलियों या ट्रैकी (Air Tubes or Tracheae) का जाल बिछा रहता है, जिसे वातक तंत्र (Tracheal System) कहा जाता है। यह तंत्र बाहरी वायु को ग्रहण कर शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुंचाने में सहायक होता है।

20. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [I.A.S. (Pre) 2001]

1. फीताकृमि (Tapeworm) उभयलिंगी (Hermaphrodite) है।

2. गोलकृमि (Round Worm) के अलग-अलग लिंग (Sex) होते हैं।

3. फाइलेरिया (Filaria) सूत्रकृमि (Nematode) से होता है।

4. गिनीकृमि (Guinea Worm) ऐनेलिड (Annelid) है।

इनमें से कौन-कौन से सही हैं?

Correct Answer: (b) 1, 2 और 3
Solution:प्रश्नगत कथन 1,2 एवं 3 सही हैं, जबकि कथन 4 सही नहीं है. क्योंकि गिनीकृमि (Guinea Worm) एक सूत्रकृमि (Nematode) है, जिसका जंतु वैज्ञानिक नाम ड्रेकनकुलस मेडिनेंसिस (Dracunculus medinensis) है। यह मनुष्य तथा कुछ दूसरे स्तनियों का परजीवी (Parasite) जंतु है, जिसके संक्रमण से शरीर में दमा (Asthma), उल्टी (Vomiting), खुजलाहट, इओसिनोफीलिया इत्यादि के लक्षण प्रकट होते हैं। ये सब शरीर में इस परजीवी के विषैले पदार्थ के प्रभाव के कारण उत्पन्न होते हैं।