Correct Answer: (b) चालू खाते में अगस्त, 1994 में
Solution:रुपये की परिवर्तनीयता से तात्पर्य रुपये का विदेशी मुद्राओं में तथा विदेशी मुद्राओं को रुपये में बिना किसी हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से परिवर्तन संभव होने से है। रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता (चालू खाते तथा पूंजी खाते पर) से विदेशी पूंजी के भारत में आने एवं भारत से जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। परिणामस्वरूप भारत द्वारा रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता अपनाए जाने से विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा और इसके फलस्वरूप भारत में विदेशी पूंजी के अंतर्प्रवाह में वृद्धि होगी। इसी कारण भारतीय रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता प्राप्त करना, भारत की आर्थिक नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। ध्यातव्य है कि अगस्त, 1994 से चालू खाते पर रुपया पूर्ण परिवर्तनीय है (व्यापार खाता पर आंशिक रूप से यह मार्च, 1992 से ही परिवर्तनीय हो गया था)। पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता के संबंध में एस.एस. तारापोर की अध्यक्षता में जून, 1997 में एक समिति गठित की गई जिसने कुछ निश्चित शर्तों की पूर्ति पर क्रमिक रूप से पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता की संस्तुति की। पुनः मार्च, 2006 में एस.एस. तारापोर की ही अध्यक्षता में पूंजी खाता पर परिवर्तनीयता का खाका तैयार करने के लिए समिति (II) गठित की गई, जिसने मौजूदा पूंजीगत नियंत्रणों की समीक्षा के बाद तीन चरणों में पूंजी परिवर्तनीयता हेतु एक व्यापक पंचवर्षीय समयबद्ध योजना तैयार की। यद्यपि वर्तमान में पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता नहीं है तथापि विभिन्न पूंजी व्यवहारों के संबंध में रिजर्व बैंक अत्यंत ही उदारवादी नीति अपना रहा है।