विदेशी विनिमय, एफ.डी.आई तथा विदेशी ऋण

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11. भारतीय रुपये की पूंजीगत लेखा परिवर्तनीयता (Capital Account Convertibility) का अर्थ है- [I.A.S.(Pre) 1998]

Correct Answer: (c) कि वित्तीय परिसंपत्ति के व्यापार के प्रयोजन से भारतीय रुपये का किसी भी प्रमुख मुद्रा से विनिमय किया जा सकता है।
Solution:पूंजी खाते की परिवर्तनीयता से तात्पर्य अन्य देशों से (शेष विश्व से) वित्तीय परिसंपत्तियों में बिना किसी बाधा के बाजार आधारित विनिमय दर पर विनिमय किए जाने के अधिकार से है। इसका तात्पर्य मौद्रिक कोषों / वित्तीय परिसंपत्तियों के देश के भीतर आने एवं बाहर जाने से है। भारत में वैसे पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता तो नहीं है, पर विभिन्न पूंजी व्यवहारों के संबंध में RBI, अत्यंत ही उदारवादी नीति अपनाया है जो प्रभाव में पूर्ण परिवर्तनीयता की ही तरह है। जैसे- EEFC (Exchange Earned Foreign Currency) खाता का उदारीकरण, ECB का विस्तार, MF में विदेशी निवेश की अनुमति आदि।

12. निम्नलिखित में से कौन-से पूंजीगत लेखा की रचना करते हैं? [I.A.S. (Pre) 2013]

1. विदेशी ऋण

2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

3. निजी प्रेषित धन

4. पोर्टफोलियो निवेश

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर

सही उत्तर चुनिए ।

Correct Answer: (b) 1, 2 और 4
Solution:विदेशी ऋण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा पोर्टफोलियो निवेश आदि पूंजीगत लेखा की रचना करते हैं। निजी प्रेषित धन इसमें सम्मिलित नहीं होता है।

13. तारापोर समिति निम्नलिखित में से किस एक से संबंधित थी? [I.A.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (b) पूर्ण पूंजी लेखा संपरिवर्तनीयता
Solution:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 20 मार्च, 2006 को पूंजी खाते में रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता (Full Capital Account Convertibility: CAC) के लिए प्रवाहित विनिमय दर (Floating Exchange Rate) लागू करने पर रोडमैप तैयार करने हेतु RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस.एस. तारापोर की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति नियुक्ति की थी। इस समिति के गठन का उद्देश्य भारत में डॉलरीकरण के क्रियान्वयन का परीक्षण और इसके लागू करने के समय के निर्धारण पर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करना था। समिति का कार्य 1 मई, 2006 से प्रारंभ हुआ। तारापोर समिति ने अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई, 2006 को भारतीय रिजर्व बैंक को सौंप दी। इस रिपोर्ट में पूंजी खाते में उदारीकरण को अगले पांच वर्षों में 3 चरणों में लागू करने की प्रमुख सिफारिश की गई थी।

14. भारतीय रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता के प्रश्न का परीक्षण जिस समिति के द्वारा किया गया वह है - [U.P.P.C.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) तारापोर समिति
Solution:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 20 मार्च, 2006 को पूंजी खाते में रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता (Full Capital Account Convertibility: CAC) के लिए प्रवाहित विनिमय दर (Floating Exchange Rate) लागू करने पर रोडमैप तैयार करने हेतु RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस.एस. तारापोर की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति नियुक्ति की थी। इस समिति के गठन का उद्देश्य भारत में डॉलरीकरण के क्रियान्वयन का परीक्षण और इसके लागू करने के समय के निर्धारण पर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करना था। समिति का कार्य 1 मई, 2006 से प्रारंभ हुआ। तारापोर समिति ने अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई, 2006 को भारतीय रिजर्व बैंक को सौंप दी। इस रिपोर्ट में पूंजी खाते में उदारीकरण को अगले पांच वर्षों में 3 चरणों में लागू करने की प्रमुख सिफारिश की गई थी।

15. मुद्रा के अवमूल्यन का अर्थ है [I.A.S. (Pre) 1994 U.P.P.C.S. (Pre) 1998 J.P.S.C. (Pre) 2016]

Correct Answer: (a) अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त मुद्राओं की तुलना में देश की मुद्रा का मूल्य घट जाना।
Solution:मुद्रा के अवमूल्यन का तात्पर्य रुपये का विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य में कमी से है। भारतीय रुपये का अब तक तीन वर्षों (वर्ष 1949, 1966 तथा 1991) में चार बार अवमूल्यन किया जा चुका है। वर्ष 1991 में भारतीय रुपये का दो बार (Two steps) में अवमूल्यन किया गया। पहली बार 1 जुलाई, 1991 तथा दूसरी बार 3 जुलाई, 1991 को।

16. अवमूल्यन का अर्थ- [U.P.P.C.S. (Pre) 1991, 1994]

Correct Answer: (b) अन्य देशों की मुद्राओं के संदर्भ में मुद्रा मूल्य में कमी
Solution:मुद्रा के अवमूल्यन का तात्पर्य रुपये का विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य में कमी से है। भारतीय रुपये का अब तक तीन वर्षों (वर्ष 1949, 1966 तथा 1991) में चार बार अवमूल्यन किया जा चुका है। वर्ष 1991 में भारतीय रुपये का दो बार (Two steps) में अवमूल्यन किया गया। पहली बार 1 जुलाई, 1991 तथा दूसरी बार 3 जुलाई, 1991 को।

17. भारत में रुपये का अवमूल्यन पहली बार किस वर्ष किया गया, वह था- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) 1949
Solution:मुद्रा के अवमूल्यन का तात्पर्य रुपये का विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य में कमी से है। भारतीय रुपये का अब तक तीन वर्षों (वर्ष 1949, 1966 तथा 1991) में चार बार अवमूल्यन किया जा चुका है। वर्ष 1991 में भारतीय रुपये का दो बार (Two steps) में अवमूल्यन किया गया। पहली बार 1 जुलाई, 1991 तथा दूसरी बार 3 जुलाई, 1991 को।

18. जुलाई, 1991 में मुद्रा का अवमूल्यन कितने प्रतिशत किया गया था- [M.P.P.C.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (a) 18
Solution:जुलाई, 1991 में रुपये का दो बार अवमूल्यन किया गया। पहली बार 1 जुलाई, 1991 को और दूसरी बार 3 जुलाई, 1991 को रुपये का अवमूल्यन किया गया। यह अवमूल्यन मध्यवर्ती मुद्राओं यथा यू. एस. डॉलर के संदर्भ में 18.7 प्रतिशत तथा पौण्ड स्टर्लिंग के संदर्भ में 17.38 प्रतिशत किया गया। इस प्रकार जुलाई, 1991 में रुपये का लगभग 18 प्रतिशत अवमूल्यन किया गया।

19. निम्न में से किस वित्तीय वर्ष में भारतीय रुपये का दो बार अवमूल्यन / किया गया ? [U.P.P.C.S. (Mains) 2012]

Correct Answer: (b) 1991-92
Solution:जुलाई, 1991 में रुपये का दो बार अवमूल्यन किया गया। पहली बार 1 जुलाई, 1991 को और दूसरी बार 3 जुलाई, 1991 को रुपये का अवमूल्यन किया गया। यह अवमूल्यन मध्यवर्ती मुद्राओं यथा यू. एस. डॉलर के संदर्भ में 18.7 प्रतिशत तथा पौण्ड स्टर्लिंग के संदर्भ में 17.38 प्रतिशत किया गया। इस प्रकार जुलाई, 1991 में रुपये का लगभग 18 प्रतिशत अवमूल्यन किया गया।

20. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : [I.A.S. (Pre) 2021]

किसी मुद्रा के अवमूल्यन का प्रभाव यह है कि वह अनिवार्य रूप से

1. विदेशी बाजारों में घरेलू निर्यातों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है

2. घरेलू मुद्रा के विदेशी मूल्य को बढ़ाता है

3. व्यापार संतुलन में सुधार लाता है

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:अवमूल्यन के दो निहितार्थ हैं। पहला, अवमूल्यन देश के निर्यात को अपेक्षाकृत कम खर्चीला बनाता है और विदेशी बाजारों में घरेलू निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करता है। दूसरा, अवमूल्यन घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विदेशी उत्पादों को अपेक्षाकृत अधिक महंगा बनाता है, इस प्रकार आयात को हतोत्साहित करता है। यह देश के निर्यात को बढ़ाने और आयात को कम करने में मदद कर सकता है और इसलिए व्यापार संतुलन में सुधार लाने में मदद कर सकता है। तथापि यह कहना कि अवमूल्यन अनिवार्य रूप से व्यापार संतुलन में सुधार लाएगा, सही नहीं है क्योंकि अनिवार्य आयात (यथा- कच्चा तेल) महंगे हो सकते हैं। अतः केवल कथन 1 सही है।