विविध तथ्य (भाग-II)

Total Questions: 27

11. निम्नलिखित में किसके क्षय होने में सबसे अधिक समय लगता है? [U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008]

Correct Answer: (d) प्लास्टिक का थैला
Solution:प्रश्नगत विकल्पों में प्लास्टिक के थैले के क्षय होने में सर्वाधिक समय लगता है। प्लास्टिक का थैला (Plastic Bag) एक थर्मोप्लास्टिक है, जिसे एथिलीन के बहुलकीकरण (Polymerisation) से प्राप्त किया जाता है। यह अक्षयकारी प्रदूषक पदार्थ है, जो कि मृदा प्रदूषण के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषित करने का कार्य करता है।

12. पॉलिथीन की थैलियों को नष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बनी होती हैं- [U.P.P.C.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) पॉलीमर से
Solution:पॉलिथीन मूलतः कार्बन एवं हाइड्रोजन के अणुओं के मिलने से बनता है। यह एथिलीन C₂H₄ का पॉलीमर (बहुलक) होता है। पॉलिथीन में एथिलीन के अणु आपस में इस प्रकार जुड़े होते हैं कि उनका जैविक रूप से अपक्षय नहीं हो पाता है। यही कारण है कि प्लास्टिक की थैलियां उपयोग के बाद फेंके जाने पर स्वतः नष्ट नहीं होतीं और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनती हैं।

13. निम्न में से कौन-सी वस्तु जीवाणुओं से नष्ट नहीं होती ? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (d) प्लास्टिक
Solution:प्लास्टिक (Plastic), सीसा (Lead) इत्यादि पदार्थ अक्षयकारी प्रदूषक (Non-Biodegradable Pollutants) हैं, जो कि जीवाणुओं द्वारा नष्ट नहीं होते हैं या इनकी विघटन की क्रिया कम होती है। अतः वातावरण में ये एकत्र रहकर इसे प्रदूषित करते हैं। विकल्प में शेष अन्य सूक्ष्म- जीवों (Micro-organisms) द्वारा आसानी से विघटित हो जाते हैं।

14. प्रदूषण की समस्याओं का समाधान करने के संदर्भ में, जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन) तकनीक के कौन-सा/से लाभ है/हैं? [I.A.S. (Pre) 2017]

1. यह प्रकृति में घटित होने वाली जैवनिम्नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्वच्छ करने की तकनीक है।

2. कैडमियम और लेड जैसी मारी धातुओं से युक्त किसी भी संदूषक को सूक्ष्मजीवों के प्रयोग से जैवोपचारण द्वारा सहज ही और पूरी तरह उपचारित किया जा सकता है।

3. जैवोपचारण के लिए विशेषतः अभिकल्पित सूक्ष्मजीवों को सृजित करने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरी (जेनेटिक इंजीनियरिंग) का उपयोग किया जा सकता है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (c) केवल 1 और 3
Solution:सूक्ष्म जीवों के प्रयोग द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) प्रदूषक पदार्थों के निष्कासन की प्रक्रिया जैवोपचारण (Bio-remediation) कहलाती है। यह प्रकृति में घटित होने वाली जैवनिम्नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्वच्छ करने की तकनीक है। परंतु कई प्रकार की भारी धातुओं से युक्त प्रदूषकों को जैवोपचारण विधि द्वारा नहीं उपचारित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कैडमियम व लेड जैसी भारी धातुओं से युक्त किसी भी संदूषक को सूक्ष्मजीवों के प्रयोग से जैवोपचारण द्वारा सहज ही और पूरी तरह उपचारित नहीं किया जा सकता है। जैवोपचारण के लिए विशेषतः अभिकल्पित सूक्ष्मजीवों को सृजित करने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरी (जेनेटिक इंजीनियरिंग) का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरणतया, सुपरबग (Pseudomonas putida) जो जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक द्वारा निर्मित किया गया है, समुद्र में फैले तैलीय पंक (Oil Spill) को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

15. हाल में 'ऑयलजैपर' समाचारों में था। यह क्या है? [I.A.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (a) यह तैलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है।
Solution:'ऑयलजैपर' (Oilzapper) जीवाणु आधारित जैव-उपचार (Bio- remediation) तकनीक है। यह तैलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास 'द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट' (TERI) द्वारा किया गया है। अगस्त, 2010 में मुंबई के तटीय क्षेत्र में एम.वी. खलीजिया-III और एमएससी चित्रा नामक पोतों की टक्कर में बिखरे तेल को साफ करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया गया था। ध्यातव्य है कि ऑयलजैपर एक बैक्टीरिया संकाय है। यह पांच बैक्टीरिया को मिलाकर विकसित किया गया है। इसमें उपस्थित बैक्टीरिया तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों को अपना भोजन बनाते हैं तथा उनको हानिरहित CO₂ एवं जल में परिवर्तित कर देते हैं।

16. जैव उपचारण (Bio-remediation) से तात्पर्य है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (a) जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) पदार्थों का निष्कासन
Solution:सूक्ष्म जीवों के प्रयोग द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) प्रदूषक पदार्थों के निष्कासन की प्रक्रिया जैव-उपचारण (Bio-remediation) कहलाती है। इसके द्वारा किसी विशेष स्थान पर पर्यावरणीय प्रदूषकों के हानिकारक प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है। यह जैव रासायनिक चक्र के माध्यम से कार्य करता है। जैवोपचार का प्रयोग सतही जल, भूमिगत जल व मृदा आदि को साफ करने में होता है। यह पारिस्थितिक तंत्र की पुनः स्थापना में उपयोगी सिद्ध होता है।

17. यूरो-II मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्प सल्फर डीजल में सल्फर की मात्रा क्या होनी चाहिए? [U.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (a) 0.05 प्रतिशत या इससे कम
Solution:यूरो-II मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्प सल्फर डीजल में सल्फर की मात्रा 0.05 प्रतिशत या इससे कम होनी चाहिए।

18. यूरो नार्म्स स्वचालित वाहनों में एक गैस उत्सर्जन की मात्रा की सीमा निश्चित करते हैं। यह गैस है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (b) कार्बन मोनोऑक्साइड
Solution:यूरो उत्सर्जन मानक प्रदूषण संबंधी नियामक हैं, जो यूरोप में सभी स्वचालित वाहनों पर लागू किए जाते हैं। वर्तमान समय में नाइट्रोजन के ऑक्साइडों (NOx), सभी हाइड्रोकॉर्बन, गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन (NMHC), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और निलंबित धूल कण (SPM) संबंधी उत्सर्जन पर कारों, ट्रेनों, ट्रैक्टरों, लॉरियों और इनसे संबंधित मशीनरी पर ये कड़े नियामक लागू होते हैं।

19. यूरो उत्सर्जन नियम, उत्सर्जन के मानक हैं और ये एक वाहन से उत्सर्जन के लिए सीमा निर्धारित करने के पैकेज प्रदर्शित करते हैं। निम्नलिखित गैसों में कौन इसके अंतर्गत आच्छादित है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी
Solution:यूरोपीय (यूरो) उत्सर्जन मानक प्रदूषण संबंधी नियामक हैं, जो यूरोप में सभी वाहनों पर लागू किए जाते हैं। वर्तमान समय में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सभी हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) संबंधी उत्सर्जनों पर ये नियामक लागू होते हैं। ध्यातव्य है कि मोटर वाहनों से प्रदूषक गैसें उत्सर्जित होती हैं। इन गैसों व कणकीय पदार्थों पर नियंत्रण रखने के लिए यूरोपीय संघ ने जो उत्सर्जन मानक निर्धारित किए हैं, उसे यूरो मानक कहते हैं। ध्यातव्य है कि यूरोपीय देशों में वर्ष 1992 में यूरो- मानक तथा वर्ष 1996 में यूरो-II मानक लागू कर दिया गया था।

20. इनमें से किस पर्यावरणविद् को 'जल पुरुष' के नाम से जाना जाता है? [M.P. P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) राजेंद्र सिंह
Solution:राजेंद्र सिंह को 'भारत के जल पुरुष' के लोकप्रिय नाम से जाना जाता है। राजेंद्र सिंह 'तरुण भारत संघ' (टीबीएस) नामक गैर-सरकारी संगठन के चेयरमैन हैं। वर्ष 2001 में इन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार एवं वर्ष 2015 में स्टॉकहोम वाटर प्राइज दिया गया। इस प्रश्न-पत्र के अंग्रेजी संस्करण में इस प्रश्न के विकल्प (b) में 'राजेंद्र सिंह' की जगह 'राजेंद्र चौधरी' दिया गया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इस प्रश्न को मूल्यांकन से बाहर कर दिया है। ध्यातव्य है कि सुंदरलाल बहुगुणा चिपको आंदोलन से संबंधित हैं। चिपको आंदोलन के प्रणेता श्री चंडी प्रसाद भट्ट हैं। इस आंदोलन में आंदोलनकर्ताओं ने पेड़ों से चिपककर उन्हें कटने से बचाया। जबकि डॉ. सलीम अली प्रसिद्ध पक्षी विज्ञान विशेषज्ञ (Ornithologist) हैं। इन्हें 'बर्ड मैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है। जम्मू एवं कश्मीर (श्रीनगर) में उनके नाम से 'सलीम अली राष्ट्रीय उद्यान' स्थापित किया गया है।