Correct Answer: (a) बहुदेववादी
Solution:ऋग्वेद में हमें प्रथम दृष्टया बहुदेववाद (Polytheism) के दर्शन होते हैं। आर्य विभिन्न देवताओं के अस्तित्व में विश्वास करते थे। मुख्यतः वैदिक देवताओं के तीन वर्ग हैं- 1. द्युस्थान (आकाश) के देवता, 2. अंतरिक्ष के देवता तथा 3. पृथ्वी के देवता। इन देवताओं की स्तुति करते समय वैदिक ऋषि जब जिस देवता की स्तुति करते हैं, उसे ही प्रमुख या सर्वश्रेष्ठ देवता कहते हैं। इसे एकैक्यवाद भी कहा जाता है। इसके अलावा ऋग्वेद में "एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति" कहकर एकेश्वरवाद का भी समर्थन किया गया है। ऋग्वेद में आर्यों के प्रधान देवता प्राकृतिक शक्तियों के प्रतिनिधि थे, जिनका मानवीकरण किया गया था।