वैदिक काल (UPPCS) (Part-2)

Total Questions: 55

11. ऋग्वैदिक 'पणि' किस वर्ग के नागरिक थे? [M.P.P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (d) व्यापारी
Solution:व्यापार-वाणिज्य प्रधानतः 'पणि' लोग करते थे। ऋग्वेद में 'पणि' शब्द का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है। पणि ऋण देते थे तथा ब्याज बहुत अधिक लेते थे। उन्हें 'वेकनाट' (सूदखोर) कहा गया है।

12. वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (d) वंश परंपरागत राजतंत्र
Solution:वैदिक काल में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली वंश परंपरागत राजतंत्र प्रणाली थी। यद्यपि जनता द्वारा चुनाव के भी कुछ उदाहरण मिलते हैं।

13. वैदिकयुगीन सभा- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (c) मंत्रिपरिषद थी
Solution:वैदिक काल में सभा एवं समिति नामक दो संस्थाएं राजा की निरंकुशता पर नियंत्रण रखती थीं। संभवतः सभा कुलीन या वृद्ध मनुष्यों की संस्था थी, जिसमें उच्च कुल में उत्पन्न व्यक्ति ही भाग ले सकते थे।

14. किस वेद में सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (d) अथर्ववेद
Solution:अथर्ववेद में सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है।

15. ऋग्वैदिक जन सभा जो न्यायिक कार्यों से संबंधित थी- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (a) सभा
Solution:सभा, समिति एवं विदथ ऋग्वैदिक कालीन जनतांत्रिक संस्थाएं थीं। इन संस्थाओं में सभा न्यायिक कार्यों से संबंधित थी। ऋग्वेद में सभा का आठ बार उल्लेख हुआ है।

16. वैदिककालीन प्रशासन में 'भागदुह' कौन अधिकारी था? [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) राजस्व कर जमा करने वाला
Solution:वैदिककालीन प्रशासन में 'भागदुह' राजस्व कर जमा करने वाला अधिकारी (अर्थमंत्री) होता था, जबकि अक्षवाप द्यूत अधिकारी एवं आय-व्यय गणनाध्यक्ष होता था।

17. 'आयुर्वेद' अर्थात 'जीवन का विज्ञान' का उल्लेख सर्वप्रथम मिलता है- [U.P.P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (d) अथर्ववेद में
Solution:अथर्ववेद में सामान्य मनुष्यों के विचारों तथा अंधविश्वासों का विवरण मिलता है। इसमें विविध विषयों यथा-रोग-निवारण, समन्वय, राजभक्ति, विवाह तथा प्रणय-गीतों आदि के विवरण सुरक्षित हैं।

18. ऋग्वैदिक धर्म था- [U.P.P.C.S. (Mains) 2014]

Correct Answer: (a) बहुदेववादी
Solution:ऋग्वेद में हमें प्रथम दृष्टया बहुदेववाद (Polytheism) के दर्शन होते हैं। आर्य विभिन्न देवताओं के अस्तित्व में विश्वास करते थे। मुख्यतः वैदिक देवताओं के तीन वर्ग हैं- 1. द्युस्थान (आकाश) के देवता, 2. अंतरिक्ष के देवता तथा 3. पृथ्वी के देवता। इन देवताओं की स्तुति करते समय वैदिक ऋषि जब जिस देवता की स्तुति करते हैं, उसे ही प्रमुख या सर्वश्रेष्ठ देवता कहते हैं। इसे एकैक्यवाद भी कहा जाता है। इसके अलावा ऋग्वेद में "एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति" कहकर एकेश्वरवाद का भी समर्थन किया गया है। ऋग्वेद में आर्यों के प्रधान देवता प्राकृतिक शक्तियों के प्रतिनिधि थे, जिनका मानवीकरण किया गया था।

19. सर्वाधिक ऋग्वैदिक सूक्त समर्पित हैं- [U.P.P.C.S. (Mains) 2002]

Correct Answer: (b) इंद्र को
Solution:ऋग्वेद में इंद्र का वर्णन सर्वाधिक प्रतापी देवता के रूप में किया गया है, जिसे 250 सूक्त समर्पित हैं। यह ऋग्वैदिक काल में सर्वाधिक लोकप्रिय देवता थे। इंद्र को आर्यों का युद्ध नेता तथा वर्षा का देवता माना जाता है। ऋग्वेद में अग्नि को 200 सूक्त समर्पित हैं और वह इस काल के दूसरे सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवता हैं।

20. निम्नलिखित में से किसे ऋग्वेद में युद्ध-देवता समझा जाता है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2011]

Correct Answer: (b) इंद्र
Solution:ऋग्वेद में इंद्र का वर्णन सर्वाधिक प्रतापी देवता के रूप में किया गया है, जिसे 250 सूक्त समर्पित हैं। यह ऋग्वैदिक काल में सर्वाधिक लोकप्रिय देवता थे। इंद्र को आर्यों का युद्ध नेता तथा वर्षा का देवता माना जाता है। ऋग्वेद में अग्नि को 200 सूक्त समर्पित हैं और वह इस काल के दूसरे सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवता हैं।