1. ऋग्वेद-कालीन आर्य कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करते थे, जबकि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों में इनके उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
2. ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था, जबकि सिंधु घाटी के लोगों को केवल ताम्र और लौह का ज्ञान था।
3. ऋग्वेद-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था, जबकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि सिंधु घाटी के लोग इस पशु को जानते थे।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:ऋग्वेद में कवच (वर्म) का उल्लेख है तथा संभवतः ऋग्वेद-कालीन आर्य लौह एवं स्वर्ण से निर्मित कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का प्रयोग करते थे। जबकि सैंधव सभ्यता के लोगों में इसके उपयोग का कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं होता। सिंधु सभ्यता के स्थलों के उत्खनन से प्राप्त युद्ध संबंधी उपकरण अत्यंत साधारण कोटि के हैं, जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि उन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर ही विशेष ध्यान दिया था। ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था। सिंधु कालीन लोगों को केवल ताम्र एवं कांसे का ही ज्ञान था। लोहे का प्रचलन उत्तर भारत में 1000 ई.पू.- 600 ई.पू. के मध्य हुआ था। अतः कथन (2) गलत है। ऋग्वैदिक-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था, जिसकी सहायता से वे युद्धों में विजय प्राप्त करते थे। सिंधु सभ्यता के विभिन्न स्थलों में भी घोड़े के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। अतः कथन (3) भी गलत है। इस प्रकार कथन (1) ही सही है। अतः सही उत्तर विकल्प (a) होगा।