वैदिक काल (UPPCS) (Part-2)

Total Questions: 55

41. 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' कथन है, मूलतः [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (a) उपनिषदों का
Solution:'तमसो मा ज्योतिर्गमय' कथन बृहदारण्यक उपनिषद से लिया गया है। इस कथन का अर्थ है- 'अंधकार से प्रकाश की ओर'।

42. किस उपनिषद का शाब्दिक अर्थ सफेद घोड़ा है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (e) इनमें से कोई नहीं
Solution:विकल्प में दिए गए किसी उपनिषद का तात्पर्य सफेद घोड़ा नहीं है। श्वेताश्वतर उपनिषद का अर्थ 'सफेद घोड़ों द्वारा खीचा गया' (Drawn by white Steeds) है।

43. सत्यकाम जाबाल की कथा, जो अनब्याही मां होने के लांछन को चुनौती देती है, उल्लेखित है- [R.A.S./R.T.S (Pre) 2016]

Correct Answer: (c) छांदोग्य उपनिषद
Solution:सत्यकाम जाबाल महर्षि गौतम के शिष्य थे, जिनकी माता का नाम जाबाला था। सत्यकाम जाबाल की कथा जो अनब्याही मां होने के लांछन को चुनौती देती है, इनकी कथा छांदोग्य उपनिषद में उल्लेखित है।

44. ऋग्वेद की मूल लिपि थी- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2004]

Correct Answer: (d) ब्राह्मी
Solution:ऋग्वेद की मूल लिपि ब्राह्मी थी। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल हैं तथा 1028 सूक्त हैं। ऋग्वेद के पुरोहित को 'होता' कहा जाता था।

45. वैदिक कर्मकांड में 'होता' का संबंध है - [U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]

Correct Answer: (a) ऋग्वेद से
Solution:ऋग्वेद की मूल लिपि ब्राह्मी थी। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल हैं तथा 1028 सूक्त हैं। ऋग्वेद के पुरोहित को 'होता' कहा जाता था।

46. अवेस्ता और ऋग्वेद में समानता है। अवेस्ता किस क्षेत्र से संबंधित है? [U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2004]

Correct Answer: (b) ईरान से
Solution:अवेस्ता और ऋग्वेद दोनों में कुछ भाषिक समानता हैं। अवेस्ता ईरान के क्षेत्र से संबंधित है, जबकि ऋग्वेद का संबंध आर्यों से हैं।

47. वैदिक काल में किस जानवर को "अघन्या" माना गया है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) गाय
Solution:वैदिक काल में गाय को 'अघन्या' (न मारे जाने योग्य) माना गया है। गाय की हत्या अथवा उसे घायल करने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड तथा देश निकाला की व्यवस्था वेदों में दी गई है।

48. ऋग्वेद में अघन्या का प्रयोग हुआ है- [U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) गाय के लिए
Solution:वैदिक काल में गाय को 'अघन्या' (न मारे जाने योग्य) माना गया है। गाय की हत्या अथवा उसे घायल करने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड तथा देश निकाला की व्यवस्था वेदों में दी गई है।

49. ऋग्वेद में कई परिच्छेदों में प्रयुक्त 'अघन्य' शब्द संदर्भित है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (c) गाय के लिए
Solution:वैदिक काल में गाय को 'अघन्या' (न मारे जाने योग्य) माना गया है। गाय की हत्या अथवा उसे घायल करने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड तथा देश निकाला की व्यवस्था वेदों में दी गई है।

50. ऋग्वेद-कालीन आर्यों और सिंधु घाटी के लोगों की संस्कृति के बीच अंतर के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? [I.A.S. (Pre) 2017]

1. ऋग्वेद-कालीन आर्य कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करते थे, जबकि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों में इनके उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।

2. ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था, जबकि सिंधु घाटी के लोगों को केवल ताम्र और लौह का ज्ञान था।

3. ऋग्वेद-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था, जबकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि सिंधु घाटी के लोग इस पशु को जानते थे।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:ऋग्वेद में कवच (वर्म) का उल्लेख है तथा संभवतः ऋग्वेद-कालीन आर्य लौह एवं स्वर्ण से निर्मित कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का प्रयोग करते थे। जबकि सैंधव सभ्यता के लोगों में इसके उपयोग का कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं होता। सिंधु सभ्यता के स्थलों के उत्खनन से प्राप्त युद्ध संबंधी उपकरण अत्यंत साधारण कोटि के हैं, जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि उन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर ही विशेष ध्यान दिया था। ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था। सिंधु कालीन लोगों को केवल ताम्र एवं कांसे का ही ज्ञान था। लोहे का प्रचलन उत्तर भारत में 1000 ई.पू.- 600 ई.पू. के मध्य हुआ था। अतः कथन (2) गलत है। ऋग्वैदिक-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था, जिसकी सहायता से वे युद्धों में विजय प्राप्त करते थे। सिंधु सभ्यता के विभिन्न स्थलों में भी घोड़े के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। अतः कथन (3) भी गलत है। इस प्रकार कथन (1) ही सही है। अतः सही उत्तर विकल्प (a) होगा।