शाहजहां (UPPCS)

Total Questions: 26

1. नीचे दिए गए मानचित्र में छायित क्षेत्र दर्शाता है - [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (c) शाहजहां का साम्राज्य
Solution:प्रश्नगत मानचित्र में शाहजहां का साम्राज्य दर्शाया गया है; क्योंकि इसमें काबुल (अफगानिस्तान) शामिल है, जबकि गोलकुंडा उसके साम्राज्य के बाहर था। गोलकुंडा को औरंगजेब द्वारा 1687 ई. में अधिकृत किया गया था।

2. ईरान के शाह और मुगल शासकों के बीच झगड़े की जड़ क्या थी? [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (b) कंधार
Solution:कंधार राज्य ईरान के शाह और मुगलों के बीच संघर्ष की जड़ था; क्योंकि कंधार को अपने हाथों में रखना मुगल शासक तथा ईरान के शाह के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। दोनों शासकों की साम्राज्यवादी योजनाओं को कार्यान्वित किया जाना बहुत कुछ कंधार को अपने हाथों में रखने पर ही निर्भर करता था।

3. कंधार के निकल जाने से मुगल साम्राज्य को एक बड़ा धक्का पहुंचा- [I.A.S. (Pre) 1998]

Correct Answer: (d) सामरिक महत्व के केंद्र के दृष्टिकोण से (Strategic Strong- hold)
Solution:शाहजहां के शासनकाल में 1649 ई. में कंधार पर पुनः ईरानी अधिकार हो जाने से मुगल साम्राज्य को सामरिक महत्व के केंद्र के दृष्टिकोण से एक बड़ा धक्का पहुंचा, क्योंकि कंधार के बिना उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मुगलों की स्थिति अपेक्षाकृत दुर्बल थी। शाहजहां के समय में कंधार अंतिम रूप से मुगलों के अधिकार से निकल गया।

4. बनारस एवं इलाहाबाद के तीर्थयात्रा कर की समाप्ति के लिए किसने मुगल बादशाह के सामने बनारस के पंडितों का नेतृत्व किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (c) कवींद्राचार्य
Solution:बनारस के संस्कृत और हिंदी के महान विद्वान कवींद्र आचार्य सरस्वती को शाहजहां द्वारा राजकीय संरक्षण प्रदान किया गया था। 'कवींद्र कल्पलता' उन्होंने शाहजहां की प्रशस्ति में प्रणीत की थी। 'सरस्वती' उपाधि धारक यह विद्वान् संस्कृत का मर्मज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर बनारस तथा इलाहाबाद के तीर्थयात्रा कर समाप्त करवा दिया था।

5. किस मुगल शासक ने बनारस के संस्कृत और हिन्दी के महान विद्वान कवींद्र आचार्य सरस्वती को राजकीय संरक्षण प्रदान किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (c) शाहजहां
Solution:बनारस के संस्कृत और हिंदी के महान विद्वान कवींद्र आचार्य सरस्वती को शाहजहां द्वारा राजकीय संरक्षण प्रदान किया गया था। 'कवींद्र कल्पलता' उन्होंने शाहजहां की प्रशस्ति में प्रणीत की थी। 'सरस्वती' उपाधि धारक यह विद्वान् संस्कृत का मर्मज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर बनारस तथा इलाहाबाद के तीर्थयात्रा कर समाप्त करवा दिया था।

6. शाहजहां के बल्ख अभियान का उद्देश्य था- [I.A.S. (Pre) 2002]

Correct Answer: (a) काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक मित्र शासक को लाना।
Solution:बादशाह शाहजहां की कामना अपने पूर्वज बाबर की मातृभूमि को पुनः अधिकृत करने की न होकर मध्य एशिया तथा पश्चिम एशिया के राज्यों में शक्ति संतुलन की अधिक थी। उसके बल्ख अभियान का उद्देश्य काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक मित्र शासक को लाना था, ताकि वे ईरान और मुगल साम्राज्य के बीच बफर राज्य बन सकें।

7. निम्न में से कौन शाहजहां के शासनकाल का 'राजकवि' था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (a) कलीम
Solution:शाहजहां ने ईरानी फारसी पद्य शैली के कवि कलीम (अबू जलीह) को 'राजकवि' नियुक्त किया। कलीम के अतिरिक्त फारसी कवियों में 'सईदाई गीलानी, कुदसी, मीरमुहम्मद काशी, सायब, सलीम, मसीह, रफी, फारुख, मुनीर, शोदा, चंद्रभान ब्राह्मण, हाजिक, दिलेरी आदि थे।

8. मुमताज महल का असली नाम था- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (a) अर्जुमंद बानो बेगम
Solution:आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम का विवाह मुगल बादशाह जहांगीर के पुत्र शहजादे खुर्रम (शाहजहां) के साथ हुआ। भविष्य में अर्जुमंद बानो बेगम 'मुमताज महल' के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

9. हिंदू तथा ईरानी वास्तुकला का सर्वप्रथम समन्वय हमें देखने को मिलता है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (a) ताजमहल में
Solution:ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहां ने भारत, ईरान एवं मध्य एशिया से डिजाइनरों, इंजीनियरों एवं वास्तुकारों को एकत्र किया था। ताजमहल की वास्तुकला में भारतीय, ईरानी एवं मध्य एशियाई वास्तुकला का संतुलित समन्वय दिखाई पड़ता है।

10. निम्न में से किस मुगल बादशाह ने दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण करवाया ? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]

Correct Answer: (c) शाहजहां
Solution:दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। मुगल सम्राटों में शाहजहां सबसे महान भवन-निर्माणकर्ता था। उसके काल में चित्रकार और स्वर्णकार की कला का कलात्मक संयोग हुआ। जामा मस्जिद दिल्ली के लाल किले के बाहर ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। इसके तीन प्रवेश द्वार हैं, जिनमें पूर्वी प्रवेश द्वार से बादशाह नमाज पढ़ने आया करता था तथा अन्य दो प्रवेश द्वारों (उत्तरी तथा दक्षिणी) से सामान्य प्रजा आया करती थी।