Correct Answer: (c) भगवद्गीता
Note: गीता में ज्ञान, कर्म तथा भक्ति को समान महत्व दिया गया है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा निम्नलिखित श्लोक में इन तीनों का महत्व प्रतिपादित किया गया है-
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य मत्पराः ।
अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते ।।
तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात् ।
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम् ।।
श्लोक के माध्यम से कर्म, भक्ति तथा ज्ञान की महत्ता को प्रतिपादित किया है। जबकि अद्वैत वेदांत में आदि शंकराचार्य ने केवल ब्रह्म को सत्य माना है, ईश्वर को नहीं। वेदांत में केवल भक्ति की प्रधानता है। तथा विशिष्टाद्वैतवाद वेदांत में भी केवल भक्ति को महत्व दिया गया है। मीमांसा केवल कर्म का प्रतिपादन करता है।