शैव तथा भागवत धर्म (UPPCS)

Total Questions: 30

11. निम्नलिखित में से किस देवता को कला में हल लिए प्रदर्शित किया गया है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (b) बलराम
Note:

भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप कला में हल लिए कृष्ण के भाई बलराम को प्रदर्शित किया गया है। उन्हें हलधर के नाम से भी जाना जाता है।

12. भागवत संप्रदाय में भक्ति के रूपों की संख्या है [U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]

Correct Answer: (c) 9
Note:

भागवत संप्रदाय में मोक्ष प्राप्ति के लिए 'नवधा (9) भक्ति' को मान्यता दी गई है।

 

13. हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है- [I.A.S. (Pre) 1998]

Correct Answer: (d) केवल वासुदेव से
Note:

भागवत धर्म से संबद्ध प्रथम उपलब्ध प्रस्तर स्मारक विदिशा (बेसनगर) का गरुड़ स्तंभ है। इससे पता चलता है कि तक्षशिला के यवन शासक एंटियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण किया तथा इस स्तंभ की स्थापना करवाकर उसकी पूजा की थी। इस पर उत्कीर्ण लेख में हेलियोडोरस को 'भागवत' तथा वासुदेव को 'देवदेवस' अर्थात 'देवताओं का देवता' कहा गया है।

 

14. भागवत धर्म से संबंधित प्राचीनतम अभिलेखीय साक्ष्य है- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]

Correct Answer: (b) हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख
Note:

भागवत धर्म से संबद्ध प्रथम उपलब्ध प्रस्तर स्मारक विदिशा (बेसनगर) का गरुड़ स्तंभ है। इससे पता चलता है कि तक्षशिला के यवन शासक एंटियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण किया तथा इस स्तंभ की स्थापना करवाकर उसकी पूजा की थी। इस पर उत्कीर्ण लेख में हेलियोडोरस को 'भागवत' तथा वासुदेव को 'देवदेवस' अर्थात 'देवताओं का देवता' कहा गया है।

 

15. भागवत धर्म का ज्ञात सर्वप्रथम अभिलेखीय साक्ष्य है- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (c) बेसनगर का गरुड़ स्तंभ
Note:

भागवत धर्म से संबद्ध प्रथम उपलब्ध प्रस्तर स्मारक विदिशा (बेसनगर) का गरुड़ स्तंभ है। इससे पता चलता है कि तक्षशिला के यवन शासक एंटियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण किया तथा इस स्तंभ की स्थापना करवाकर उसकी पूजा की थी। इस पर उत्कीर्ण लेख में हेलियोडोरस को 'भागवत' तथा वासुदेव को 'देवदेवस' अर्थात 'देवताओं का देवता' कहा गया है।

16. 16. बेसनगर अभिलेख' का हेलियोडोरस कहां का निवासी था? [U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) तक्षशिला
Note:

भागवत धर्म से संबद्ध प्रथम उपलब्ध प्रस्तर स्मारक विदिशा (बेसनगर) का गरुड़ स्तंभ है। इससे पता चलता है कि तक्षशिला के यवन शासक एंटियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण किया तथा इस स्तंभ की स्थापना करवाकर उसकी पूजा की थी। इस पर उत्कीर्ण लेख में हेलियोडोरस को 'भागवत' तथा वासुदेव को 'देवदेवस' अर्थात 'देवताओं का देवता' कहा गया है।

17. विष्णु के किस अवतार को सागर से पृथ्वी का उद्धार करते हुए अंकित किया जाता है? [U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010 U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) वाराह
Note:

भगवान विष्णु ने दैत्य राज हिरण्याक्ष का वध करने के लिए वाराह रूप धारण किया था तथा उसके चंगुल से धरती को छुड़ाया था। पौराणिक चित्रों में वाराह भगवान धरती को अपने दांतों के ऊपर संतुलित कर सागर से निकालते हुए दर्शाए गए हैं। इस अवतार में मानव शरीर पर वाराह का सिर और चार हाथ हैं, जो कि भगवान विष्णु की तरह शंख, चक्र, गदा और पद्म लिए हुए दैत्य हिरण्याक्ष से युद्ध कर रहे हैं। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

 

18. भारत में आस्तिक और नास्तिक संप्रदायों में कौन-सा विभेदक लक्षण है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Correct Answer: (c) वेदों की प्रामाणिकता में आस्था
Note:

राममूर्ति पाठक (भारतीय दर्शन की समीक्षात्मक रूपरेखा) के अनुसार, आस्तिक और नास्तिक संप्रदाय के वर्गीकरण का आधार कभी 'वेद-प्रमाण्य में विश्वास रहा' है, तो कभी 'ईश्वर की सत्ता में विश्वास'। 'परलोक की मान्यता' भी इस वर्गीकरण का आधार रही है; किंतु 'वेद-प्रमाण्य में विश्वास' ही इस वर्गीकरण का सर्वसम्मत आधार बना; अर्थात आस्तिक संप्रदाय वे हैं, जो वेदों की प्रामाणिकता को मानते हैं तथा नास्तिक संप्रदाय वे हैं, जो वेदों की प्रामाणिकता को नहीं मानते हैं। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

 

19. निम्नलिखित में से कौन मोक्ष के साधन के रूप में ज्ञान, कर्म तथा भक्ति को समान महत्व देता है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Correct Answer: (c) भगवद्गीता
Note:

गीता में ज्ञान, कर्म तथा भक्ति को समान महत्व दिया गया है। भगवद्‌गीता में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा निम्नलिखित श्लोक में इन तीनों का महत्व प्रतिपादित किया गया है-

ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य मत्पराः ।

अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते ।।

तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात् ।

भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम् ।।

श्लोक के माध्यम से कर्म, भक्ति तथा ज्ञान की महत्ता को प्रतिपादित किया है। जबकि अद्वैत वेदांत में आदि शंकराचार्य ने केवल ब्रह्म को सत्य माना है, ईश्वर को नहीं। वेदांत में केवल भक्ति की प्रधानता है। तथा विशिष्टाद्वैतवाद वेदांत में भी केवल भक्ति को महत्व दिया गया है। मीमांसा केवल कर्म का प्रतिपादन करता है।

20. अधोलिखित में से कौन एक गीता की मुख्य शिक्षा है? [Chhattisgarh P.S.C. (Pre) 2017]

Correct Answer: (d) निष्काम कर्मयोग
Note:

गीता का कर्मयोग निष्काम कर्मयोग है। निष्काम कर्मयोग का अर्थ है कि हम कर्म को सदैव साध्य के रूप में देखें, उसे कभी भी साधन के रूप में न ग्रहण करें। हम कर्म तो करें; किंतु कर्म फल में आसक्ति न रखें। गीता के निष्काम कर्मयोग में ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का समन्वय होता है। गीता की मुख्य शिक्षा निष्काम कर्मयोग का आदेश है। गीता स्वयं विभिन्न योगमार्गों का तुलनात्मक अध्ययन करके निष्काम कर्मयोग की श्रेष्ठता को स्वीकार करती है। आधुनिक युग में लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी आदि विचारकों ने कर्मयोग विशेषतः निष्काम कर्मयोग को ही गीता की मुख्य शिक्षा स्वीकार किया है।