संविधान संशोधन (भाग-2) (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

Total Questions: 28

11. निम्नलिखित में से भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 19(1) (c) में 'सहकारी समितियां' शब्द जोड़ा गया? [U.P.P.C.S. (Mains) 2016]

Correct Answer: (c) 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
Solution:12 जनवरी, 2012 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद 97वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 को अधिसूचित किया गया। इस संशोधन से सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इस संशोधन के द्वारा संविधान के भाग III में अनु. 19(1) के खंड (c) में 'सहकारी समितियां' शब्द, भाग IV में अनुच्छेद-43 A के बाद 43 B (सहकारी समितियों का संवर्धन) तथा भाग IXA के बाद भाग IXB (अनु. 243ZH से 243ZT) जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित करना तथा सहकारी संस्थाओं का व्यावसायिक प्रबंधन, गठन एवं कार्य संचालन संबंधी प्रावधान शामिल हैं।

12. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (ZJ) के अनुसार, सहकारी समिति के निदेशकों की अधिकतम संख्या हो सकती है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (a) 21
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (ZJ) के अनुसार, सहकारी समिति के बोर्ड में उतनी संख्या में निदेशक होंगे, जितने राज्य विधानमंडल द्वारा विधि बनाकर उपबंधित किया जाए। परंतु सहकारी सोसाइटी के निदेशकों की अधिकतम संख्या 21 से अधिक नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि 97वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 द्वारा संविधान में सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं।

13. भारत और बांग्लादेश के बीच भू-भाग क्षेत्रों के आदान-प्रदान के लिए 100वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2015 लाया गया। इसके संदर्भ में निम्न में से क्या सही नहीं है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (a) इसके अंतर्गत, भारत ने 51 अंतःक्षेत्रों को बांग्लादेश को हस्तांतरित किया, जबकि बांग्लादेश ने 111 अंतःक्षेत्रों को भारत को हस्तांतरित किया।
Solution:100वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2015 भारत और बांग्लादेश के मध्य वर्ष 1974 के भू-सीमा समझौते (और इसके वर्ष 2011 के प्रोटोकॉल) के क्रियान्वयन हेतु लाया गया था। इसके प्रावधानों के तहत भारत ने 111 अंतःक्षेत्रों को बांग्लादेश को हस्तांतरित किया, जबकि बांग्लादेश ने 51 अंतःक्षेत्रों को भारत को हस्तांतरित किया। इसके तहत चार राज्यों असम, प. बंगाल, मेघालय, तथा त्रिपुरा के भू-भाग में बदलाव आए। इसके अंतर्गत 6.1 किमी. असीमांकित सीमाई क्षेत्र का सीमांकन किया गया। अतः विकल्प (a) का कथन सही नहीं है, जबकि अन्य दोनों कथन सही हैं।

14. निम्नलिखित में से कौन-सा संविधान संशोधन अधिनियम गुड्स एंड सर्विस टैक्स का प्रावधान करता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (d) 101वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2016
Solution:101वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 माल और सेवा कर (Goods and Services Tax-G.S.T.) का प्रावधान करता है। इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधान सितंबर, 2016 में प्रभावी हुए थे तथा भारत में माल और सेवा कर का शुभारंभ 1 जुलाई, 2017 को किया गया था।

15. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए। [U.P. R.O./A.R.O. (Mains) 2016]

सूची - I (अधिनियम)सूची - II (संशोधन)
A. संविधान (94वां संशोधन) अधिनियम, 20061. अनुच्छेद 164 में संशोधन
B. संविधान (95वां संशोधन) अधिनियम, 20092. अनुच्छेद 334 में संशोधन
C. संविधान (96वां संशोधन) अधिनियम, 20113. आठवीं अनुसूची में संशोधन
D. संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 20194. अनुच्छेद 15 में संशोधन
      (A)        (B)          (C)           (D)
(a)1234
(b)1243
(c)1342
(d) 1432
Correct Answer: (a)
Solution:सही सुमेलन इस प्रकार है- (अधिनियम)
अधिनियमसंशोधन
संविधान (94वां संशोधन) अधिनियम, 2006अनुच्छेद 164 में संशोधन
संविधान (95वां संशोधन) अधिनियम, 2009अनुच्छेद 334 में संशोधन
संविधान (96वां संशोधन) अधिनियम, 2011आठवीं अनुसूची में संशोधन
संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019अनुच्छेद 15 में संशोधन

16. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किस संविधान संशोधन अधिनियम को 18 अगस्त, 2021 को मंजूरी दी? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (d) 105वां
Solution:संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 लोक सभा द्वारा 10 अगस्त, 2021 को तथा राज्य सभा द्वारा 11 अगस्त, 2021 को पारित किया गया था तथा इसे 18 अगस्त, 2021 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होने पर संविधान (105वां संशोधन) अधिनियम, 2021 के रूप में अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 342A में संशोधन कर राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों द्वारा सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछडे वर्गों की सूची (स्वयं के उद्देश्यों के लिए) तैयार कर सकने के अधिकार को बहाल किया गया है। साथ ही इस अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 338B और 366 में भी तत्संबंधी अपेक्षित संशोधन किए गए हैं।

17. निम्नलिखित पर विचार कीजिए तथा उनको सही कालक्रम में व्यवस्थित कीजिए : [U.P. P.C.S. (Pre) 2021]

I. गोलकनाथ वाद

II. केशवानंद भारती वाद

III. 24वां संविधान संशोधन अधिनियम

IV. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।

Correct Answer: (a) I, III, II, IV
Solution:
घटनावर्ष
1. गोलकनाथ वाद (गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य)1967
2. 24वां संविधान संशोधन अधिनियम1973
3. केशवानंद भारती वाद (केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य)1971
4. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम1976

अतः कालक्रमानुसार उत्तर I, III, II, IV होगा।

18. निम्नांकित किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित किया? [U.P.P.C.S. (Mains) 2002]

Correct Answer: (b) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
Solution:सर्वप्रथम गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य मामले (1967) में सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति पर सीमाएं आरोपित की थीं। इसी निर्णय को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से 24वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1971 लाया गया था।

19. केशवानंद भारती केस का महत्व इसलिए है कि- [U.P.P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (b) उच्चतम न्यायालय ने संविधान की मूल विशेषताओं को प्रतिपादित किया
Solution:केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 के ऐतिहासिक मामले में संविधान के 24वें संशोधन अधिनियम की विधिमान्यता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। इसमें उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 368 में व्यक्त संसद की संविधान संशोधन शक्ति की समीक्षा की। उच्चतम न्यायालय ने इसमें निर्णय दिया कि संसद को मूल अधिकारों सहित संविधान के विभिन्न उपबंधों में संशोधन की पूर्ण शक्ति है, किंतु वह कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती, जिससे संविधान का मूल तत्व या उसका आधारभूत ढांचा नष्ट हो जाए। इसके पश्चात उच्चतम न्यायालय के समक्ष संविधान संशोधन से संबंधित जो भी मामले आते हैं, उनका निर्णय इसी आधार पर होता है।

20. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने किस/किन मुकदमे/मुकदमों में सर्वप्रथम संविधान के 'मूल ढांचे' का सिद्धांत दिया? [69th B.P.S.C. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
Solution:भारत के उच्चतम न्यायालय ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद (1973) में सर्वप्रथम संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस वाद में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह कहा कि संविधान के मौलिक ढांचे की अवधारणा के तहत संविधान के किसी भी संशोधन पर उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रश्न उठाया जा सकता है, यदि वह संशोधन संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता प्रतीत हो।