Correct Answer: (b) भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक
Note: प्रश्नगत विकल्पों में प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी समिति है। संसद का बहुत-सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें 'संसदीय समितियां' कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सदन/सदनों द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। तथा अपना प्रतिवेदन सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है। अपनी प्रकृति के अनुसार, संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं-स्थायी समितियां एवं तदर्थ समितियां।
(1) लोक लेखा समिति : दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित कुल 22 सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से आते हैं। यह समिति भारत सरकार के विनियोग लेखा और उन पर नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की जांच करती है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।
(2) प्राक्कलन समिति : इस समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है। इसके सदस्य केवल लोक सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है। प्राक्कलन समिति यह बताती है कि प्राक्कलनों में निहित नीति के अनुरूप क्या मितव्ययिता बरती जा सकती है, तथा - संगठन, कार्य जा सकते हैं।
(3) सरकारी उपक्रम समिति : इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोक सभा और 7 राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की जांच तथा यदि सरकारी उपक्रमों के संबंध में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की कोई रिपोर्ट हो तो उसकी जांच भी करती है यह सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कार्यकुशलता के संदर्भ में भी जांच करती है।
नोट : उपर्युक्त तीनों समितियां सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग हैं, जबकि भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संघ तथा राज्य दोनों के लेखाओं के परीक्षण का कार्य करता है।
(4) याचिका समिति : याचिका समिति के सदस्यों की संख्या लोक सभा में 15 तथा राज्य सभा में 10 होती है। इसके सदस्य अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित होते हैं। इसका कार्यकाल नियत नहीं है। पुनर्गठन किए जाने तक यह समिति बनी रहती है। इस समिति का कार्य लोक सभा या राज्य सभा को प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर विचार करना और प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।