संसदीय समितियां

Total Questions: 33

1. भारतीय संसद किस रीति से प्रशासन (Administration) पर नियंत्रण करती है? [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (a) संसदीय समितियों के माध्यम से
Note:

भारतीय संसद संसदीय समितियों के माध्यम से प्रशासन पर नियंत्रण - करती है। उदाहरणार्थ लोक वित्त पर नियंत्रण वह तीन समितियों के माध्यम से करती है- लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति एवं लोक उपक्रमों पर समिति। ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान में संसदीय - समितियों के बारे में विशेष रूप से कोई उपबंध नहीं किया गया है।

 

2. निम्नलिखित में से कौन-सी एक सबसे बड़ी संसदीय समिति है? [I.A.S. (Pre) 2014 U.P.P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (b) प्राक्कलन समिति
Note:

प्रश्नगत विकल्पों में प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी समिति है। संसद का बहुत-सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें 'संसदीय समितियां' कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सदन/सदनों द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। तथा अपना प्रतिवेदन सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है। अपनी प्रकृति के अनुसार, संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं-स्थायी समितियां एवं तदर्थ समितियां।

 

(1) लोक लेखा समिति : दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित कुल 22 सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से आते हैं। यह समिति भारत सरकार के विनियोग लेखा और उन पर नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की जांच करती है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।

(2) प्राक्कलन समिति : इस समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है। इसके सदस्य केवल लोक सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है। प्राक्कलन समिति यह बताती है कि प्राक्कलनों में निहित नीति के अनुरूप क्या मितव्ययिता बरती जा सकती है, तथा - संगठन, कार्य जा सकते हैं।

(3) सरकारी उपक्रम समिति : इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोक सभा और 7 राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की जांच तथा यदि सरकारी उपक्रमों के संबंध में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की कोई रिपोर्ट हो तो उसकी जांच भी करती है यह सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कार्यकुशलता के संदर्भ में भी जांच करती है।

नोट : उपर्युक्त तीनों समितियां सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग हैं, जबकि भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संघ तथा राज्य दोनों के लेखाओं के परीक्षण का कार्य करता है।

(4) याचिका समिति : याचिका समिति के सदस्यों की संख्या लोक सभा में 15 तथा राज्य सभा में 10 होती है। इसके सदस्य अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित होते हैं। इसका कार्यकाल नियत नहीं है। पुनर्गठन किए जाने तक यह समिति बनी रहती है। इस समिति का कार्य लोक सभा या राज्य सभा को प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर विचार करना और प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।

 

3. भारतीय संसद की सबसे बड़ी समिति कौन-सी है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (b) प्राक्कलन समिति
Note:

प्रश्नगत विकल्पों में प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी समिति है। संसद का बहुत-सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें 'संसदीय समितियां' कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सदन/सदनों द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। तथा अपना प्रतिवेदन सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है। अपनी प्रकृति के अनुसार, संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं-स्थायी समितियां एवं तदर्थ समितियां।

 

(1) लोक लेखा समिति : दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित कुल 22 सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से आते हैं। यह समिति भारत सरकार के विनियोग लेखा और उन पर नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की जांच करती है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।

(2) प्राक्कलन समिति : इस समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है। इसके सदस्य केवल लोक सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है। प्राक्कलन समिति यह बताती है कि प्राक्कलनों में निहित नीति के अनुरूप क्या मितव्ययिता बरती जा सकती है, तथा - संगठन, कार्य जा सकते हैं।

(3) सरकारी उपक्रम समिति : इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोक सभा और 7 राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की जांच तथा यदि सरकारी उपक्रमों के संबंध में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की कोई रिपोर्ट हो तो उसकी जांच भी करती है यह सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कार्यकुशलता के संदर्भ में भी जांच करती है।

नोट : उपर्युक्त तीनों समितियां सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग हैं, जबकि भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संघ तथा राज्य दोनों के लेखाओं के परीक्षण का कार्य करता है।

(4) याचिका समिति : याचिका समिति के सदस्यों की संख्या लोक सभा में 15 तथा राज्य सभा में 10 होती है। इसके सदस्य अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित होते हैं। इसका कार्यकाल नियत नहीं है। पुनर्गठन किए जाने तक यह समिति बनी रहती है। इस समिति का कार्य लोक सभा या राज्य सभा को प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर विचार करना और प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।

 

4. प्राक्कलन समिति के सदस्यों का कार्यकाल होता है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) एक वर्ष का
Note:

प्रश्नगत विकल्पों में प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी समिति है। संसद का बहुत-सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें 'संसदीय समितियां' कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सदन/सदनों द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। तथा अपना प्रतिवेदन सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है। अपनी प्रकृति के अनुसार, संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं-स्थायी समितियां एवं तदर्थ समितियां।

 

(1) लोक लेखा समिति : दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित कुल 22 सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से आते हैं। यह समिति भारत सरकार के विनियोग लेखा और उन पर नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की जांच करती है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।

(2) प्राक्कलन समिति : इस समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है। इसके सदस्य केवल लोक सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है। प्राक्कलन समिति यह बताती है कि प्राक्कलनों में निहित नीति के अनुरूप क्या मितव्ययिता बरती जा सकती है, तथा - संगठन, कार्य जा सकते हैं।

(3) सरकारी उपक्रम समिति : इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोक सभा और 7 राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की जांच तथा यदि सरकारी उपक्रमों के संबंध में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की कोई रिपोर्ट हो तो उसकी जांच भी करती है यह सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कार्यकुशलता के संदर्भ में भी जांच करती है।

नोट : उपर्युक्त तीनों समितियां सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग हैं, जबकि भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संघ तथा राज्य दोनों के लेखाओं के परीक्षण का कार्य करता है।

(4) याचिका समिति : याचिका समिति के सदस्यों की संख्या लोक सभा में 15 तथा राज्य सभा में 10 होती है। इसके सदस्य अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित होते हैं। इसका कार्यकाल नियत नहीं है। पुनर्गठन किए जाने तक यह समिति बनी रहती है। इस समिति का कार्य लोक सभा या राज्य सभा को प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर विचार करना और प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।

 

5. निम्न में से कौन-सा सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग नहीं है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (b) भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक
Note:

प्रश्नगत विकल्पों में प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी समिति है। संसद का बहुत-सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें 'संसदीय समितियां' कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सदन/सदनों द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। तथा अपना प्रतिवेदन सदन को या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है। अपनी प्रकृति के अनुसार, संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं-स्थायी समितियां एवं तदर्थ समितियां।

 

(1) लोक लेखा समिति : दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित कुल 22 सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोक सभा से और 7 सदस्य राज्य सभा से आते हैं। यह समिति भारत सरकार के विनियोग लेखा और उन पर नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की जांच करती है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।

(2) प्राक्कलन समिति : इस समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है। इसके सदस्य केवल लोक सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है। प्राक्कलन समिति यह बताती है कि प्राक्कलनों में निहित नीति के अनुरूप क्या मितव्ययिता बरती जा सकती है, तथा - संगठन, कार्य जा सकते हैं।

(3) सरकारी उपक्रम समिति : इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोक सभा और 7 राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष होता है। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की जांच तथा यदि सरकारी उपक्रमों के संबंध में भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की कोई रिपोर्ट हो तो उसकी जांच भी करती है यह सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कार्यकुशलता के संदर्भ में भी जांच करती है।

नोट : उपर्युक्त तीनों समितियां सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का अंग हैं, जबकि भारत का नियंत्रक व महालेखा परीक्षक संघ तथा राज्य दोनों के लेखाओं के परीक्षण का कार्य करता है।

(4) याचिका समिति : याचिका समिति के सदस्यों की संख्या लोक सभा में 15 तथा राज्य सभा में 10 होती है। इसके सदस्य अध्यक्ष या सभापति द्वारा नाम-निर्देशित होते हैं। इसका कार्यकाल नियत नहीं है। पुनर्गठन किए जाने तक यह समिति बनी रहती है। इस समिति का कार्य लोक सभा या राज्य सभा को प्रस्तुत की गई याचिकाओं पर विचार करना और प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।

 

6. संसद की स्थायी समिति के सदस्यों को लोक सभा एवं राज्य सभा से किस अनुपात में लिया जाता है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

Correct Answer: (a) क्रमशः दो और एक के अनुपात में
Note:

संसदीय समितियों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है। पहली 'स्थायी समिति' एवं दूसरी 'तदर्थ समिति' के नाम से जानी जाती है। सदन विशेष की स्थायी समितियों तथा कुछ अपवादस्वरूप कुछ विशिष्ट समितियों (यथा- प्राक्कलन समिति) को छोड़कर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाली सभी स्थायी समितियों में लोक सभा एवं राज्य सभा के सदस्यों का अनुपात लगभग क्रमशः दो और एक का होता है।

 

7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : [I.A.S. (Pre) 2007]

1. लोक लेखा समिति का अध्यक्ष, लोक सभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाता है।

2. लोक लेखा समिति में लोक सभा सदस्य, राज्य सभा सदस्य और उद्योग तथा व्यापार के कुछ जाने-माने व्यक्ति सम्मिलित होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

 

Correct Answer: (a) केवल 1
Note:

लोक लेखा समिति का मुख्य कार्य भारत सरकार के विनियोग लेखाओं पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन की समीक्षा करना है। इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं। इसमें से 15 सदस्य लोक सभा सदस्यों में से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुने जाते हैं, जबकि समिति में राज्य सभा द्वारा चुने गए 7 सदस्य बाद में जुड़ जाते हैं। कोई भी मंत्री इस समिति का सदस्य निर्वाचित नहीं किया जा सकता है। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में लोक सभा अध्यक्ष द्वारा परंपरा के अनुसार, विपक्ष के किसी नेता को चुना जाता है। अतः कथन 1 सत्य है। कथन 2 असत्य है, क्योंकि लोक लेखा समिति में लोक सभा एवं राज्य सभा सदस्यों के अतिरिक्त उद्योग तथा व्यापार से संबंधित किसी बाहरी व्यक्ति को चुनने का कोई प्रावधान नहीं है।

 

8. लोक लेखा समिति के लिए लोक सभा से कितने सदस्य निर्वाचित किए जाते हैं? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (c) पंद्रह
Note:

लोक लेखा समिति का मुख्य कार्य भारत सरकार के विनियोग लेखाओं पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन की समीक्षा करना है। इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं। इसमें से 15 सदस्य लोक सभा सदस्यों में से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुने जाते हैं, जबकि समिति में राज्य सभा द्वारा चुने गए 7 सदस्य बाद में जुड़ जाते हैं। कोई भी मंत्री इस समिति का सदस्य निर्वाचित नहीं किया जा सकता है। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में लोक सभा अध्यक्ष द्वारा परंपरा के अनुसार, विपक्ष के किसी नेता को चुना जाता है। अतः कथन 1 सत्य है। कथन 2 असत्य है, क्योंकि लोक लेखा समिति में लोक सभा एवं राज्य सभा सदस्यों के अतिरिक्त उद्योग तथा व्यापार से संबंधित किसी बाहरी व्यक्ति को चुनने का कोई प्रावधान नहीं है।

 

9. भारतीय संसद की लोक लेखा समिति संवीक्षा करती है- [U.P. P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) नियंत्रक व महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की
Note:

लोक लेखा समिति का मुख्य कार्य भारत सरकार के विनियोग लेखाओं पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन की समीक्षा करना है। इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं। इसमें से 15 सदस्य लोक सभा सदस्यों में से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुने जाते हैं, जबकि समिति में राज्य सभा द्वारा चुने गए 7 सदस्य बाद में जुड़ जाते हैं। कोई भी मंत्री इस समिति का सदस्य निर्वाचित नहीं किया जा सकता है। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में लोक सभा अध्यक्ष द्वारा परंपरा के अनुसार, विपक्ष के किसी नेता को चुना जाता है। अतः कथन 1 सत्य है। कथन 2 असत्य है, क्योंकि लोक लेखा समिति में लोक सभा एवं राज्य सभा सदस्यों के अतिरिक्त उद्योग तथा व्यापार से संबंधित किसी बाहरी व्यक्ति को चुनने का कोई प्रावधान नहीं है।

 

10. निम्न कथनों पर विचार कीजिए: [I.A.S. (Pre) 2003]

1. लोक लेखा तथा सार्वजनिक उपक्रमों की समितियों से राज्य सभा के सदस्य भी संबंधित होते हैं, जबकि प्राक्कलन समिति के लिए सदस्य केवल लोक सभा से ही लिए जाते हैं

2. संसदीय कार्य मंत्रालय कुल मिलाकर संसदीय कार्यों की मंत्रिमंडलीय समिति के निर्देशन में कार्य करता है

3. विभिन्न मंत्रालयों में भारत सरकार द्वारा गठित समितियों, परिषदों, मंडलों एवं आयोगों के सदस्यों को संसदीय कार्य मंत्री नामित करता है।

इनमें से कौन-से कथन सत्य हैं?

 

Correct Answer: (d) 1, 2 और 3
Note:

लोक लेखा समिति एवं सार्वजनिक उपक्रमों की समिति में लोक सभा एवं राज्य सभा दोनों के सदस्य (15 लोक सभा एवं 7 राज्य सभा से) होते हैं, जबकि प्राक्कलन समिति या आकलन समिति (Estimates Committee) में केवल लोक सभा से 30 सदस्य चुने जाते हैं। इस प्रकार कथन 1 सत्य है। संसद के दोनों सदनों में सरकारी कार्य को समन्वित करने और तत्संबंधी व्यवस्था की जिम्मेदारी संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंपी गई है, जो कि कुल मिलाकर संसदीय कार्यों की मंत्रिमंडलीय समिति के समग्र निर्देशन में कार्य करता है। संसदीय कार्य मंत्रालय ही संसद सदस्यों को भारत सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में स्थापित समितियों, परिषदों, बोर्डों और आयोगों आदि में मनोनीत करता है। अतः तीनों कथन सत्य हैं।