संसद-III. कार्य संचालन एवं विधायी प्रक्रिया

Total Questions: 50

41. संसद में शून्यकाल का समय है - [U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015 U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (e) (c) & (d)
Note:

'शून्यकाल' (Zero Hour) विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। लोक सभा में प्रश्नकाल के बाद का समय 'शून्यकाल' कहा जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 1 घंटा हो सकती है, जिसे 'जीरो ऑवर' (Zero Hour) भी कहा जाता है। यह सामान्यतः दोपहर 12 से 1 बजे तक का समय होता है। पहले राज्य सभा में भी यही स्थिति थी, परंतु राज्य सभा में प्रश्नकाल की अवधि को वर्ष 2014 में परिवर्तित कर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक कर दिया गया और तदनुसार अब राज्य सभा में सर्वप्रथम 11 बजे से दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाते हैं, जिसके बाद सभापति की अनुमति के साथ तत्काल आवश्यक जनहित के मुद्दे (शून्यकाल के तहत) उठाए जाते हैं और फिर विशेष उल्लेख (Special Mentions) 12 बजे तक लिए जाते हैं। इस प्रकार अब राज्य सभा में शून्यकाल का समय प्रश्नकाल से पूर्व (सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच) हो गया है, जबकि लोक सभा में यह पूर्ववत प्रश्नकाल के बाद (दोपहर 12 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) है। संसदीय प्रक्रिया में शून्यकाल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्यकाल में किसी तत्काल आवश्यक जनहित के मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन अध्यक्ष/सभापति को पूर्व सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष/सभापति पर निर्भर करता है। इस दौरान सदन का कोई सदस्य अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित प्रश्न मंत्रियों से पूछ सकता है और उत्तर देने को कह सकता है।

 

42. भारतीय संसद की कार्यवाही में 'शून्य काल' का अर्थ है- [U.P. P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (e) इनमे से कोई भी नहीं
Note:

'शून्यकाल' (Zero Hour) विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। लोक सभा में प्रश्नकाल के बाद का समय 'शून्यकाल' कहा जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 1 घंटा हो सकती है, जिसे 'जीरो ऑवर' (Zero Hour) भी कहा जाता है। यह सामान्यतः दोपहर 12 से 1 बजे तक का समय होता है। पहले राज्य सभा में भी यही स्थिति थी, परंतु राज्य सभा में प्रश्नकाल की अवधि को वर्ष 2014 में परिवर्तित कर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक कर दिया गया और तदनुसार अब राज्य सभा में सर्वप्रथम 11 बजे से दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाते हैं, जिसके बाद सभापति की अनुमति के साथ तत्काल आवश्यक जनहित के मुद्दे (शून्यकाल के तहत) उठाए जाते हैं और फिर विशेष उल्लेख (Special Mentions) 12 बजे तक लिए जाते हैं। इस प्रकार अब राज्य सभा में शून्यकाल का समय प्रश्नकाल से पूर्व (सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच) हो गया है, जबकि लोक सभा में यह पूर्ववत प्रश्नकाल के बाद (दोपहर 12 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) है। संसदीय प्रक्रिया में शून्यकाल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्यकाल में किसी तत्काल आवश्यक जनहित के मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन अध्यक्ष/सभापति को पूर्व सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष/सभापति पर निर्भर करता है। इस दौरान सदन का कोई सदस्य अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित प्रश्न मंत्रियों से पूछ सकता है और उत्तर देने को कह सकता है।

 

43. शून्यकाल' संसदीय व्यवस्था को किस देश की देन है? [U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

Correct Answer: (a) भारत की
Note:

'शून्यकाल' (Zero Hour) विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। लोक सभा में प्रश्नकाल के बाद का समय 'शून्यकाल' कहा जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 1 घंटा हो सकती है, जिसे 'जीरो ऑवर' (Zero Hour) भी कहा जाता है। यह सामान्यतः दोपहर 12 से 1 बजे तक का समय होता है। पहले राज्य सभा में भी यही स्थिति थी, परंतु राज्य सभा में प्रश्नकाल की अवधि को वर्ष 2014 में परिवर्तित कर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक कर दिया गया और तदनुसार अब राज्य सभा में सर्वप्रथम 11 बजे से दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाते हैं, जिसके बाद सभापति की अनुमति के साथ तत्काल आवश्यक जनहित के मुद्दे (शून्यकाल के तहत) उठाए जाते हैं और फिर विशेष उल्लेख (Special Mentions) 12 बजे तक लिए जाते हैं। इस प्रकार अब राज्य सभा में शून्यकाल का समय प्रश्नकाल से पूर्व (सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच) हो गया है, जबकि लोक सभा में यह पूर्ववत प्रश्नकाल के बाद (दोपहर 12 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) है। संसदीय प्रक्रिया में शून्यकाल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्यकाल में किसी तत्काल आवश्यक जनहित के मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन अध्यक्ष/सभापति को पूर्व सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष/सभापति पर निर्भर करता है। इस दौरान सदन का कोई सदस्य अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित प्रश्न मंत्रियों से पूछ सकता है और उत्तर देने को कह सकता है।

 

44. लोक सभा में "शून्य काल" की अवधि अधिक से अधिक कितनी हो सकती है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (b) एक घंटा
Note:

'शून्यकाल' (Zero Hour) विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। लोक सभा में प्रश्नकाल के बाद का समय 'शून्यकाल' कहा जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 1 घंटा हो सकती है, जिसे 'जीरो ऑवर' (Zero Hour) भी कहा जाता है। यह सामान्यतः दोपहर 12 से 1 बजे तक का समय होता है। पहले राज्य सभा में भी यही स्थिति थी, परंतु राज्य सभा में प्रश्नकाल की अवधि को वर्ष 2014 में परिवर्तित कर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक कर दिया गया और तदनुसार अब राज्य सभा में सर्वप्रथम 11 बजे से दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाते हैं, जिसके बाद सभापति की अनुमति के साथ तत्काल आवश्यक जनहित के मुद्दे (शून्यकाल के तहत) उठाए जाते हैं और फिर विशेष उल्लेख (Special Mentions) 12 बजे तक लिए जाते हैं। इस प्रकार अब राज्य सभा में शून्यकाल का समय प्रश्नकाल से पूर्व (सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच) हो गया है, जबकि लोक सभा में यह पूर्ववत प्रश्नकाल के बाद (दोपहर 12 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) है। संसदीय प्रक्रिया में शून्यकाल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्यकाल में किसी तत्काल आवश्यक जनहित के मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन अध्यक्ष/सभापति को पूर्व सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष/सभापति पर निर्भर करता है। इस दौरान सदन का कोई सदस्य अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित प्रश्न मंत्रियों से पूछ सकता है और उत्तर देने को कह सकता है।

 

45. राजनीतिक शब्दावली में शून्य काल का अर्थ है- [45th B.P.S.C. (Pre) 2001]

Correct Answer: (d) प्रश्न-उत्तर सत्र
Note:

'शून्यकाल' (Zero Hour) विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। लोक सभा में प्रश्नकाल के बाद का समय 'शून्यकाल' कहा जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 1 घंटा हो सकती है, जिसे 'जीरो ऑवर' (Zero Hour) भी कहा जाता है। यह सामान्यतः दोपहर 12 से 1 बजे तक का समय होता है। पहले राज्य सभा में भी यही स्थिति थी, परंतु राज्य सभा में प्रश्नकाल की अवधि को वर्ष 2014 में परिवर्तित कर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक कर दिया गया और तदनुसार अब राज्य सभा में सर्वप्रथम 11 बजे से दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाते हैं, जिसके बाद सभापति की अनुमति के साथ तत्काल आवश्यक जनहित के मुद्दे (शून्यकाल के तहत) उठाए जाते हैं और फिर विशेष उल्लेख (Special Mentions) 12 बजे तक लिए जाते हैं। इस प्रकार अब राज्य सभा में शून्यकाल का समय प्रश्नकाल से पूर्व (सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच) हो गया है, जबकि लोक सभा में यह पूर्ववत प्रश्नकाल के बाद (दोपहर 12 बजे से अपराह्न 1 बजे तक) है। संसदीय प्रक्रिया में शून्यकाल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्यकाल में किसी तत्काल आवश्यक जनहित के मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन अध्यक्ष/सभापति को पूर्व सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष/सभापति पर निर्भर करता है। इस दौरान सदन का कोई सदस्य अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित प्रश्न मंत्रियों से पूछ सकता है और उत्तर देने को कह सकता है।

 

46. लोक सभा में किसी विधेयक पर आम बहस निम्नलिखित में से किस स्तर पर होती है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2006]

Correct Answer: (b) द्वितीय वाचन में
Note:

विधेयक को पुरःस्थापित करने का प्रक्रम उसका प्रथम वाचन होता है। द्वितीय वाचन में विधेयक पर विचार-विमर्श होता है। सदन के सदस्य इसी स्तर पर आम बहस करते हैं। द्वितीय वाचन में ही सदन विधेयक को प्रवर समिति या दोनों सदनों की संयुक्त समिति को सौंप सकता है। द्वितीय वाचन में ही विधेयक पर खंडशः विचार भी होता है। प्रभारी सदस्य का यह प्रस्ताव कि विधेयक या यथासंशोधित विधेयक पारित किया जाए विधेयक का तृतीय वाचन कहलाता है।

 

47. जब संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में कोई विधेयक निर्दिष्ट (रेफर) किया जाता है, तो इसे किसके द्वारा पारित किया जाना होता है? [I.A.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (a) उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों का साधारण बहुमत
Note:

यदि दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (अनुच्छेद 108) में कोई विधेयक (संशोधन सहित) दोनों सदनों के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों की कुल संख्या के साधारण बहुमत से पारित हो जाता है, तो इसे दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है। ज्ञात हो कि अनुच्छेद 108 के तहत संयुक्त बैठक की प्रक्रिया सामान्य विधायन तक ही सीमित है, धन विधेयक या संविधान संशोधन विधेयक हेतु यह लागू नहीं होती है।

 

48. यदि राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र के लिए अधिसूचना जारी कर दी और इस बीच लोक सभा विघटित हो जाए, तो क्या होगा? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (a) संयुक्त सत्र यथासमय आहूत होगा।
Note:

भारतीय संविधान के अनु. 108 (5) में वर्णित है कि यदि राष्ट्रपति ने सदन की संयुक्त बैठक आहूत करने के अपने आशय की सूचना दे दी है और उसके पश्चात लोक सभा का विघटन हो जाता है, तो भी संयुक्त बैठक हो सकेगी और विधेयक व्यपगत नहीं होगा तथा उसे पारित किया जा सकेगा।

 

49. संसद की संयुक्त बैठक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है / हैं? [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

1. अनुच्छेद 109 कुछ दशाओं में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान करता है।

2. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता स्पीकर करता है।

नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए-

 

Correct Answer: (c) केवल 2
Note:

संविधान का अनुच्छेद 108 कुछ दशाओं में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 118(4) के अनुसार, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा का अध्यक्ष (स्पीकर) करता है। इस प्रकार कथन 1 गलत है, जबकि कथन 2 सही है। नोट- प्रश्न के कथन 1 में अंग्रेजी संस्करण में 'Article 109' दिया गया था, जबकि हिंदी संस्करण में केवल 'अनुच्छेद' था, उसका क्रमांक नहीं था।

 

50. निम्नलिखित में से कौन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करेगा? [U.P.P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (d) लोक सभा का अध्यक्ष
Note:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 118(4) के अनुसार, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा का अध्यक्ष (स्पीकर) करता है। लोक सभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति के संदर्भ में अनु. 118(3) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में संयुक्त बैठक में लोकसभा का उपाध्यक्ष पीठासीन होगा। यदि वह भी अनुपस्थित है, तो राज्य सभा का उपसभापति अध्यक्षता करेगा। यदि वह भी अनुपस्थित है, तो ऐसा व्यक्ति पीठासीन होगा, जो बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा तय किया जाए।