सर्वोच्च न्यायालय (भाग – 2) (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

Total Questions: 49

1. निम्नलिखित में से किसका संबंध भारत के सर्वोच्च न्यायालय से है? [68th B.P.S.C. (Pre) 2022]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त में से एक से अधिक
Solution:कॉलेजियम पद्धति उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के स्थानांतरण की प्रणाली है। यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई पद्धति है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कॉलेजियम का नेतृत्व करते हैं। विदित हो कि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की मूल या आरंभिक अधिकारिता शक्ति का वर्णन है। वहीं अनुच्छेद 132-136 तक सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का उल्लेख किया गया है। इस प्रकार एक से अधिक विकल्प सत्य हैं।

2. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद संवैधानिक विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार से संबंधित है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2001 U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002 U.P.P.C.S. (Mains) 2004]

Correct Answer: (c) अनुच्छेद 134 A को मिलाकर अनु. 132 को पढ़ना
Solution:अनुच्छेद 132 के अनुसार, किसी उच्च न्यायालय की सिविल, दांडिक या अन्य कार्यवाही में दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या अंतिम आदेश की अपील उच्चतम न्यायालय में होगी (यदि वह उच्च न्यायालय अनुच्छेद 134-A के तहत यह प्रमाणित कर देता है कि उस मामले में संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान् प्रश्न अंतर्वलित है), जबकि अनुच्छेद 133 केवल सिविल विषयों के अपील से संबंधित है। 134-A उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए उच्च न्यायालय के प्रमाण-पत्र का उल्लेख करता है। इस प्रकार संवैधानिक विवाद में अनुच्छेद 134-A को अनुच्छेद 132 के साथ मिलाकर पढ़ने से सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का सृजन होता है।

3. संविधान की व्याख्या से संबंधित सभी विवाद सर्वोच्च न्यायालय के पास लाए जा सकते हैं, इसके - [U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]

Correct Answer: (b) अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत
Solution:उच्चतम न्यायालय भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों से अपील का सर्वोच्च न्यायालय है। उच्चतम न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता को निम्न शीर्षों में विभाजित किया जा सकता है-

(i) संविधान के निर्वचन के मामले (अनुच्छेद 132)

(ii) सिविल मामले, जिसमें सांविधानिक प्रश्न चाहे हो या नहीं (अनुच्छेद 133)

(iii) आपराधिक (दांडिक) मामले, जिसमें सांविधानिक प्रश्न चाहे हो या नहीं (अनुच्छेद 134)

(iv) विशेष इजाजत से अपील (अनुच्छेद 136)

( अतः संविधान की व्याख्या से संबंधित सभी विवाद सर्वोच्च न्यायालय के पास इसके अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत लाए जा सकते हैं।

4. भारत में सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय में निम्न अनुच्छेद के अंतर्गत दाखिल की जा सकती है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2014]

Correct Answer: (c) 142
Solution:रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य, 2002(4) SCC 388 के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 137 एवं अनुच्छेद 142 के तहत किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) दाखिल की जा सकती है। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के किसी अंतिम निर्णय के पश्चात उसकी समीक्षा याचिका (Review Petition) के खारिज किए जाने के बाद दाखिल की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत उच्चतम न्यायालय को (संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि या अनुच्छेद 145 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत रहते हुए) अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनर्विलोकन (Review) करने तथा उसे परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है।

5. संविधान का कौन-सा अनुच्छेद उच्चतम न्यायालय को उसके द्वारा दिए गए निर्णय अथवा आदेश के पुनर्विलोकन हेतु अधिकृत करता है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (a) अनुच्छेद 137
Solution:रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य, 2002(4) SCC 388 के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 137 एवं अनुच्छेद 142 के तहत किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) दाखिल की जा सकती है। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के किसी अंतिम निर्णय के पश्चात उसकी समीक्षा याचिका (Review Petition) के खारिज किए जाने के बाद दाखिल की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत उच्चतम न्यायालय को (संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि या अनुच्छेद 145 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत रहते हुए) अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनर्विलोकन (Review) करने तथा उसे परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है।

6. उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश के पुनर्विलोकन के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2011]

Correct Answer: (b) उच्चतम न्यायालय को अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनर्विलोकन करने की शक्ति प्राप्त है।
Solution:रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य, 2002(4) SCC 388 के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 137 एवं अनुच्छेद 142 के तहत किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) दाखिल की जा सकती है। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के किसी अंतिम निर्णय के पश्चात उसकी समीक्षा याचिका (Review Petition) के खारिज किए जाने के बाद दाखिल की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत उच्चतम न्यायालय को (संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि या अनुच्छेद 145 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत रहते हुए) अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनर्विलोकन (Review) करने तथा उसे परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है।

7. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के संबंध में निम्न में से क्या सही है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Correct Answer: (a) सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णय को परिवर्तित करने का अधिकार है।
Solution:रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य, 2002(4) SCC 388 के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 137 एवं अनुच्छेद 142 के तहत किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) दाखिल की जा सकती है। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के किसी अंतिम निर्णय के पश्चात उसकी समीक्षा याचिका (Review Petition) के खारिज किए जाने के बाद दाखिल की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत उच्चतम न्यायालय को (संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि या अनुच्छेद 145 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत रहते हुए) अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या दिए गए आदेश का पुनर्विलोकन (Review) करने तथा उसे परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है।

8. भारत के संविधान के संदर्भ में, सामान्य विधियों में अंतर्विष्ट प्रतिषेध अथवा निर्बंधन अथवा उपबंध, अनुच्छेद 142 के अधीन सांविधानिक शक्तियों पर प्रतिषेध अथवा निर्बंधन की तरह कार्य नहीं कर सकते। निम्नलिखित में से कौन-सा एक, इसका अर्थ हो सकता है? [I.A.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (b) भारत का उच्चतम न्यायालय अपनी शक्तियों के प्रयोग में संसद द्वारा निर्मित विधियों से बाध्य नहीं होता।
Solution:संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रावधानित है कि उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा या ऐसा आदेश कर सकेगा, जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो और इस प्रकार पारित डिक्री या किया गया आदेश भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र ऐसी रीति से, जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाए, और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक, ऐसी रीति से जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विहित करे, प्रवर्तनीय होगा। न इसी अनुच्छेद का अवलंब लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित यूनियन कार्बाइड मामले में पीड़ितों के लिए मुआवजा निर्धारित करने के साथ स्पष्ट किया कि "सामान्य विधियों में अंतर्विष्ट प्रतिषेध अथवा निर्बंधन या उपबंध, अनुच्छेद 142 के अधीन सांविधानिक शक्तियों पर प्रतिषेध या निर्बंधन की तरह कार्य नहीं कर सकते।" इसी संदर्भ में यह अर्थ निकाला जा सकता है कि भारत का उच्चतम न्यायालय अपनी शक्तियों के प्रयोग में संसद (या राज्य विधायिकाओं) द्वारा निर्मित विधियों से बाध्य नहीं होता है।

9. भारत में, न्यायिक पुनरीक्षण का अर्थ है- [I.A.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (a) विधियों और कार्यपालिक आदेशों की सांविधानिकता के विषय में प्राख्यापन करने का न्यायपालिका का अधिकार।
Solution:भारत में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्राप्त है। इसके तहत केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधियों और कार्यपालिक आदेशों की सांविधानिकता की जांच की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकारातीत पाए जाने पर इन्हें असंवैधानिक और अवैध तथा उस स्तर तक शून्य घोषित किया जा सकता है, जिस स्तर तक वह संविधान का उल्लंघन करता हो। संविधान के विभिन्न अनुच्छेद यथा- अनुच्छेद 13, 32, 131-136, 143, 145, 226, 227, 245, 246 तथा 372 आदि के उपबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्रदान करते हैं।

10. न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ यह है कि सर्वोच्च न्यायालय- [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (d) राज्य के किसी भी कानून को अवैध घोषित कर सकता है।
Solution:भारत में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्राप्त है। इसके तहत केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधियों और कार्यपालिक आदेशों की सांविधानिकता की जांच की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकारातीत पाए जाने पर इन्हें असंवैधानिक और अवैध तथा उस स्तर तक शून्य घोषित किया जा सकता है, जिस स्तर तक वह संविधान का उल्लंघन करता हो। संविधान के विभिन्न अनुच्छेद यथा- अनुच्छेद 13, 32, 131-136, 143, 145, 226, 227, 245, 246 तथा 372 आदि के उपबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्रदान करते हैं।