सर्वोच्च न्यायालय (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

Total Questions: 50

41. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - [I.A.S. (Pre) 2022]

1. एच.एन. सान्याल समिति की रिपोर्ट के अनुसरण में, न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 पारित किया गया था।

2. भारत का संविधान उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को. अपनी अवमानना के लिए दंड देने हेतु, शक्ति प्रदान करता है।

3. भारत का संविधान सिविल अवमानना और आपराधिक अवमानना को परिभाषित करता है।

4. भारत में, न्यायालय की अवमानना के विषय में कानून बनाने के लिए संसद में शक्ति निहित है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (b) 1, 2 और 4
Solution:वर्ष 1961 में एच.एन. सान्याल की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इसी समिति की रिपोर्ट के अनुसरण में न्यायालय की अवमानना अधिनियम (The Contempt of Courts Act), 1971 पारित किया गया था। अतः कथन 1 सत्य है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 के अनुसार उच्चतम न्यायालय को तथा अनुच्छेद 215 के तहत उच्च न्यायालय को, अपनी अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति प्राप्त है। अतः कथन 2 सही है।

संविधान में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना को परिभाषित नहीं किया गया है। संसद द्वारा पारित न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना दोनों को परिभाषित किया गया है। अतः कथन 3 असत्य है।

उच्चतम न्यायालय की अवमानना संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 77 का विषय है, जबकि उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त अन्य न्यायालयों की अवमानना समवर्ती सूची की प्रविष्टि 14 का विषय है। अतः स्पष्ट है कि भारत में न्यायालय की अवमानना के विषय में कानून बनाने की शक्ति संसद में निहित है। इसी के अनुसरण में संसद द्वारा न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 पारित किया गया है। अतः कथन 4 सत्य है।

42. उच्चतम न्यायालय मामलों की सुनवाई नई दिल्ली में करता है, परंतु किसी अन्य स्थान पर भी सुनवाई कर सकता है- [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]

Correct Answer: (a) राष्ट्रपति के अनुमोदन से
Solution:संविधान के अनु. 130 के अनुसार, उच्चतम न्यायालय दिल्ली में अथवा ऐसे अन्य स्थान या स्थानों में अधिविष्ट होगा, जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति के अनुमोदन से समय-समय पर नियत करे। इस प्रकार सही उत्तर विकल्प (a) होगा।

43. निम्नलिखित में से किस वाद में उच्चतम न्यायालय ने 'संविधान के मूल ढांचे' का सिद्धांत प्रतिपादित किया था? [U.P. P.C.S. (Mains) 2012]

Correct Answer: (c) केशवानंद भारती
Solution:केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले (1973) में उच्चतम न्यायालय की 13-सदस्यीय संविधान पीठ ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। इस निर्णय में यद्यपि संविधान संशोधन की संसद की शक्ति को स्वीकार किया गया था, परंतु यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 368 संसद को संविधान की मूल संरचना या सांचे-ढांचे में परिवर्तन की शक्ति प्रदान नहीं करता है।

44. निम्नलिखित में से किस वाद में भारतीय संविधान के 'मूलभूत ढांचे' की अवधारणा प्रतिपादित की गई थी? [U.P.P.C.S. (Pre) 2014 U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution:केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले (1973) में उच्चतम न्यायालय की 13-सदस्यीय संविधान पीठ ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। इस निर्णय में यद्यपि संविधान संशोधन की संसद की शक्ति को स्वीकार किया गया था, परंतु यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 368 संसद को संविधान की मूल संरचना या सांचे-ढांचे में परिवर्तन की शक्ति प्रदान नहीं करता है।

45. भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान का 'अनुलंघनीय मौलिक ढांचा' घोषित किए गए हैं? [U.P. P.C.S. (Pre) 1999]

1. अनुच्छेद 32

2. अनुच्छेद 226

3. अनुच्छेद 227

4. अनुच्छेद 245

Correct Answer: (a) 1, 2 तथा 3
Solution:अनुच्छेद 32 और 226 क्रमशः सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता को प्रदर्शित करते हैं। अनु. 227 उच्च न्यायालय की अधीनस्थ न्यायालय पर अधीक्षण की शक्ति प्रदर्शित करता है। इन तीनों ही अनुच्छेदों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने विभिन्न निर्णयों में अनुलंघनीय मौलिक ढांचा घोषित किया गया है।

46. भारत में 'संविधान की मूल संरचना (बुनियादी ढांचा) के सिद्धांत' का स्रोत है- [U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]

Correct Answer: (b) न्यायिक व्याख्या
Solution:केशवानंद भारती बनाम भारत संघ के वाद में न्यायमूर्ति सीकरी ने संविधान की मूल संरचना (बुनियादी ढांचा) के सिद्धांत की व्याख्या की, जिसका अनुमोदन मिनर्वा मिल्स के वाद में भी किया गया है। अतः स्पष्ट है कि उपर्युक्त सिद्धांत का स्रोत न्यायिक व्याख्या है।

47. उच्चतम न्यायालय द्वारा आज तक की दूसरी सबसे बड़ी खंडपीठ किस केस में बनी ? [U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

Correct Answer: (a) गोलकनाथ केस में
Solution:केशवानंद भारती केस (1973) में उच्चतम न्यायालय द्वारा अब तक की सबसे बड़ी खंडपीठ (13 न्यायाधीश) का गठन किया गया था। उच्चतम न्यायालय द्वारा दूसरी सबसे बड़ी खंडपीठ (11 न्यायाधीश) का गठन गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य वाद (1967) में किया गया था।

48. निम्नलिखित में से किस वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह धारणा व्यक्त की कि "मूल अधिकार व्यक्ति को जैसा उसे सबसे अच्छा लगे उस तरह अपनी जिंदगी की रूपरेखा तैयार करने के लिए सक्षम बनाते हैं।" [U.P.P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (b) गोलकनाथ बनाम स्टेट ऑफ पंजाब
Solution:गोलकनाथ बनाम स्टेट ऑफ पंजाब के वाद (1967) में उच्चतम न्यायालय ने उपर्युक्त धारणा व्यक्त की थी। इस वाद में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में कहा गया- "Fundamental rights are the primordial rights necessary for the development of human personality. They are the rights which enable a man to chalk out his own life in the manner he likes best."

49. वाद एवं उस वाद में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के त्रुटिपूर्ण युग्म को पहचानिए : [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (d) बेला बनर्जी वाद - विदेश यात्रा का अधिकार दैहिक स्वतंत्रता का भाग है
Solution:विकल्प (d) का युग्म त्रुटिपूर्ण है। बेला बनर्जी वाद प. बंगाल भूमि विकास एवं नियोजन अधिनियम, 1948 से संबंधित है। विदेश यात्रा का अधिकार दैहिक स्वतंत्रता के भाग के रूप में उच्चतम न्यायालय द्वारा मेनका गांधी वाद में ही माना गया था।

50. निम्नलिखित कथनों पर विचार कर बताइए कि इनमें से कौन एक सही है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2010 U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) यह मूल, अपीलीय और परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार रखता है।
Solution:भारतीय संविधान में अनु. 131 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction), अनु. 132-136 के तहत अपीलीय क्षेत्राधिकार तथा अनु. 143 के तहत परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार का विवरण है।