1. एच.एन. सान्याल समिति की रिपोर्ट के अनुसरण में, न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 पारित किया गया था।
2. भारत का संविधान उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को. अपनी अवमानना के लिए दंड देने हेतु, शक्ति प्रदान करता है।
3. भारत का संविधान सिविल अवमानना और आपराधिक अवमानना को परिभाषित करता है।
4. भारत में, न्यायालय की अवमानना के विषय में कानून बनाने के लिए संसद में शक्ति निहित है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct Answer: (b) 1, 2 और 4
Solution:वर्ष 1961 में एच.एन. सान्याल की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इसी समिति की रिपोर्ट के अनुसरण में न्यायालय की अवमानना अधिनियम (The Contempt of Courts Act), 1971 पारित किया गया था। अतः कथन 1 सत्य है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 के अनुसार उच्चतम न्यायालय को तथा अनुच्छेद 215 के तहत उच्च न्यायालय को, अपनी अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति प्राप्त है। अतः कथन 2 सही है।
संविधान में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना को परिभाषित नहीं किया गया है। संसद द्वारा पारित न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना दोनों को परिभाषित किया गया है। अतः कथन 3 असत्य है।
उच्चतम न्यायालय की अवमानना संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 77 का विषय है, जबकि उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त अन्य न्यायालयों की अवमानना समवर्ती सूची की प्रविष्टि 14 का विषय है। अतः स्पष्ट है कि भारत में न्यायालय की अवमानना के विषय में कानून बनाने की शक्ति संसद में निहित है। इसी के अनुसरण में संसद द्वारा न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 पारित किया गया है। अतः कथन 4 सत्य है।