सहायक समीक्षा अधिकारी (मुख्य) परीक्षा, 2013 सामान्य अध्ययन (Part-I)

Total Questions: 60

1. हड्डी से निर्मित आभूषण भारत में मध्य पाषाण काल वे संदर्भ में प्राप्त हुए हैं -

Correct Answer: (b) महदहा से
Solution:मध्य पाषाणकालीन स्थल महदहा से हड्डी से निर्मित आभूषण प्राप्त हुए हैं। महदहा से प्राप्त प्रमुख उपकरणों में से ब्लेड, खुरचनी, भेदक, चांद्रिक त्रिभुज, समलम्ब चतुर्भुज उल्लेखनीय है। यहाँ से सींग की हड्डी के बने उपकरण और आभूषण प्राप्त हुए हैं। महदहा स्थल उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील में स्थित है।

2. कौन सा हड़प्पीय (Harappan) नगर तीन भागों में विभक्त है?

Correct Answer: (c) धौलावीरा
Solution:व्याख्या - धौलावीरा गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित है। इस स्थल की खोज व उत्खनन 1990-91 में आर. एस. बिष्ट ने की। अन्य हड़प्पाकालीन नगर दो भागों किला या नगर दुर्ग और निचले नगर में विभाजित थे, किन्तु इनसे भिन्न धौलावीरा तीन भागों में विभाजित था, जिनमें से दो भाग आयताकार दुर्गबन्दी या प्राचीरों द्वारा पूरी तरह सुरक्षित थे। ऐसी नगर योजना अन्य हड़प्पाकालीन नगरों में देखने को नहीं मिलती है।

3. वैदिक कर्मकाण्ड में 'होता' का सम्बन्ध है -

Correct Answer: (a) ऋग्वेद से
Solution:व्याख्या - ऋग्वेद का पुरोहित (वेद संबंधी कार्य करने वाला व्यक्ति) 'होता' कहलाता था। 'होता' का कार्य देवताओं को यज्ञ में आहूत करना तथा ऋचा पाठ करते हुए स्तुति करना था। सामवेद का पुरोहित उद्गाता, यजुर्वेद का अध्वर्यु तथा अर्थववेद का ब्रह्म कहलाता था।

4. चतुर्थ बौद्ध संगीति (परिषद) हुई थी -

Correct Answer: (a) कनिष्क के शासन काल में
Solution:व्याख्या-बौद्ध धर्म की चतुर्थ संगीति कुषाण शासक कनिष्क के काल में कश्मीर के कुंडलवन में सम्पन्न हुई। इसके अध्यक्ष वसुमित्र तथा उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। इसी समय बौद्ध धर्म हीनयान व महायान नामक दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया।

5. उस वीर भारतीय राजा का नाम बताइये जिसे सिकंदर ने झेलम के तट पर पराजित किया था?

Correct Answer: (b) पुरु (पोरस)
Solution:व्याख्या - सिकंदर ने 326 ई. पू. में खैबर दर्रे को पार कर भारत में प्रवेश किया। सिकंदर के भारत पहुँचने पर तक्षशिला के राजा आम्भी (आम्भि) ने उसकी सहायता का वचन देकर उसकी अधीनता स्वीकार कर ली। झेलम तथा चिनाब नदियों के मध्यवर्ती प्रदेश के शासक पोरस (पुरु) द्वारा सिकंदर के समक्ष समर्पण की माँग ठुकरा देने के फलस्वरूप झेलम (वितस्ता) या हाइडेस्पीज का युद्ध हुआ। इस युद्ध में पोरस की हार हुई किन्तु उसकी वीरता से प्रसन्न होकर सिकंदर ने उसका राज्य उसे लौटा दिया।

6. शक संवत् प्रारम्भ होता है –

Correct Answer: (a) 78 ई. से
Solution:व्याख्या - कनिष्क ने अपने राज्यारोहण की स्मृति में 78 ई. में शक् सम्वत् को प्रारम्भ किया। चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के समय में कश्मीर में हुई थी। कश्मीर में कनिष्क ने कनिष्कपुर नामक एक नगर की स्थापना की थी।

7. निम्नलिखित में से किस स्त्रोत में उल्लिखित है कि प्राचीन भारत में दासता नहीं थी?

Correct Answer: (c) मेगस्थनीज की इण्डिका
Solution:व्याख्या मेगस्थनीज, सेल्यूकस 'निकेटर' द्वारा चंद्रगुप्त मौर्य की राजसभा में भेजा गया यूनानी राजदूत था। इसकी प्रमुख रचना इंडिका है जिसमें मेगस्थनीज ने तत्कालीन भारतीय समाज को सात श्रेणियों में 5. योद्धा, 6. निरीक्षक, 7. मंत्री। मेगस्थनीज ने भारतीय समाज में दास प्रथा के प्रचलित होने का अपने ग्रंथ 'इंडिका' में कोई उल्लेख नहीं किया है।

8. निम्नलिखित तमिल ग्रन्थों में किसे 'लघुवेद' की संज्ञा दी गई है?

Correct Answer: (d) कुरल
Solution:व्याख्या-तमिल भाषा में रचित 'कुरल' (तिरुक्कुरल) को 'लघुवेद' की संज्ञा दी गई है। इसके रचयिता तमिल कवि तिरुवल्लूर थे। इस ग्रंथ में कुल 133 अध्याय और 1330 कविताएँ हैं। कुरल को तमिल साहित्य का बाइबिल अथवा पंचमवेद भी माना जाता है।

9. चोल शासकों के शासनकाल में निम्नलिखित में से कौन सा वारियम् उद्यान प्रशासन का कार्य देखता था?

Correct Answer: (c) टोट्ट वारियम्
Solution:व्याख्या चोल प्रशासन में वारियम् अर्थात् कार्यकारिणी समिति के सदस्य 'वारियपेरुमक्कल' कहलाते थे। इसमें कुल तीस सदस्य होते थे जिसमें से 12 बुजुर्ग व विद्वान सदस्य को वार्षिक समिति (सम्वत्सरवारियम्) के लिए 12 सदस्य उद्यान समिति (तोट्ट वारियम्) तथा 6 सदस्य तड़ाग समिति (एरिवारियम्) के लिए निर्वाचित होते थे।

10. शाहनामा का लेखक, फरिस्ता किसके दरबार से सम्बन्धित था?

Correct Answer: (b) महमूद गजनवी
Solution:व्याख्या-दिया गया प्रश्न त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि शाहनामा का लेखक, फरिश्ता न होकर फिरदौसी है और यह महमूद गजनवी के दरबार का प्रसिद्ध विद्वान कवि था। फरिश्ता (1560-1620 ई.) ने तारीख-ए-फरिश्ता या गुलशन-ए-इब्राहिमी नामक किताब लिखी है। इसका पूरा नाम मुहम्मद कासिम हिन्दू शाह था। यह कुछ समय तक अहमदनगर के शासक मुर्तजा निजाम शाह के दरबार में रहा तथा बाद में बीजापुर चला गया। इसकी पुस्तक तारीख-ए-फरिश्ता बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिल शाह को समर्पित थी।