सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन (UPPCS)

Total Questions: 50

11. राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित प्रथम संस्था थी- [U.P. P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (b) आत्मीय सभा
Solution:हिंदू धर्म के एकेश्वरवादी मत का प्रचार करने के लिए 1815 ई. में राजा राममोहन राय ने अपने युवा समर्थकों के सहयोग से 'आत्मीय सभा' की स्थापना की। राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित यह प्रथम संस्था थी।

12. निम्नलिखित में कौन 'आत्मीय सभा' के संस्थापक थे? [41st B.P.S.C. (Pre) 1996]

Correct Answer: (a) राजा राममोहन राय
Solution:हिंदू धर्म के एकेश्वरवादी मत का प्रचार करने के लिए 1815 ई. में राजा राममोहन राय ने अपने युवा समर्थकों के सहयोग से 'आत्मीय सभा' की स्थापना की। राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित यह प्रथम संस्था थी।

13. ब्रह्म समाज की स्थापना हुई थी, वर्ष- [41st B.P.S.C. (Pre) 1996]

Correct Answer: (a) 1828
Solution:राजा राममोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को 'ब्रह्म सभा' नाम से एक नए समाज की स्थापना की, जिसे आगे चलकर 'ब्रह्म समाज' के नाम से जाना गया। इस समाज ने मूर्ति पूजा का विरोध किया और एक ब्रह्म की पूजा का उपदेश दिया। यह ऐसे लोगों की जमात थी, जो ईश्वर की एकता में विश्वास करते थे और मूर्ति पूजा से अलग रहते थे। इस नवीन धर्म में सामाजिक रीति-रिवाजों एवं धार्मिक कर्मकांडों के लिए कोई स्थान नहीं था। ब्रह्म समाज ने रंग, वर्ण अथवा मत पर विचार किए बिना मानवमात्र के प्रति प्रेम तथा जीवन की उच्चतम विधि के रूप में मानवता की सेवा पर बल दिया। समाज के सिद्धांतों के मुख्य आधार थे-मानव विवेक, वेद और उपनिषद।

14. ब्रह्म समाज की स्थापना की- [M.P. P.C.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (d) राममोहन राय
Solution:हिंदू धर्म का पहला सुधार आंदोलन 'ब्रह्म समाज' था, जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था। इसकी स्थापना मूलतः 'ब्रह्म सभा' के रूप में 1828 ई. में राजा राममोहन राय ने की थी। 1830 ई. में लिखे गए प्रन्यासकरण पत्र में उन्होंने बताया कि इस समाज का उद्देश्य शाश्वत, सर्वाधार, अपरिवर्त्य ईश्वर की पूजा है, जो सारे विश्व का कर्ता और रक्षक है। एक नया भवन भी न्यास मंडल (Board of Trustees) को दिया गया, जिसमें मूर्ति पूजा तथा बलि देने की अनुमति नहीं थी। राजा राममोहन राय के उपदेशों का तात्पर्य सभी धर्मों में आपसी एकता का सामंजस्य स्थापित करना था और इसे ईश्वरवादी आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का श्रेय महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (1817-1905 ई.) को था। वह इस आंदोलन में 1843 ई. में सम्मिलित हुए और उन्होंने ब्रह्म धर्मावलंबियों को मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा, कर्मकांड और प्रायश्चित इत्यादि से रोका। महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया। केशवचंद्र सेन की वाकपटुता और उदारवादी विचारों ने इस आंदोलन को लोकप्रिय बना दिया और शीघ्र ही इसकी शाखाएं बंगाल से बाहर उत्तर प्रदेश और मद्रास में खोल दी गईं।

15. राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना की गई- [47th B.P.S.C. (Pre) 2005]

Correct Answer: (c) 1828 ई. में
Solution:हिंदू धर्म का पहला सुधार आंदोलन 'ब्रह्म समाज' था, जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था। इसकी स्थापना मूलतः 'ब्रह्म सभा' के रूप में 1828 ई. में राजा राममोहन राय ने की थी। 1830 ई. में लिखे गए प्रन्यासकरण पत्र में उन्होंने बताया कि इस समाज का उद्देश्य शाश्वत, सर्वाधार, अपरिवर्त्य ईश्वर की पूजा है, जो सारे विश्व का कर्ता और रक्षक है। एक नया भवन भी न्यास मंडल (Board of Trustees) को दिया गया, जिसमें मूर्ति पूजा तथा बलि देने की अनुमति नहीं थी। राजा राममोहन राय के उपदेशों का तात्पर्य सभी धर्मों में आपसी एकता का सामंजस्य स्थापित करना था और इसे ईश्वरवादी आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का श्रेय महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (1817-1905 ई.) को था। वह इस आंदोलन में 1843 ई. में सम्मिलित हुए और उन्होंने ब्रह्म धर्मावलंबियों को मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा, कर्मकांड और प्रायश्चित इत्यादि से रोका। महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया। केशवचंद्र सेन की वाकपटुता और उदारवादी विचारों ने इस आंदोलन को लोकप्रिय बना दिया और शीघ्र ही इसकी शाखाएं बंगाल से बाहर उत्तर प्रदेश और मद्रास में खोल दी गईं।

16. ब्रह्म समाज के संस्थापक थे- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2002 & M.P.P.C.S. (Pre) 2006 & Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005 & Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) राजा राममोहन राय
Solution:हिंदू धर्म का पहला सुधार आंदोलन 'ब्रह्म समाज' था, जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था। इसकी स्थापना मूलतः 'ब्रह्म सभा' के रूप में 1828 ई. में राजा राममोहन राय ने की थी। 1830 ई. में लिखे गए प्रन्यासकरण पत्र में उन्होंने बताया कि इस समाज का उद्देश्य शाश्वत, सर्वाधार, अपरिवर्त्य ईश्वर की पूजा है, जो सारे विश्व का कर्ता और रक्षक है। एक नया भवन भी न्यास मंडल (Board of Trustees) को दिया गया, जिसमें मूर्ति पूजा तथा बलि देने की अनुमति नहीं थी। राजा राममोहन राय के उपदेशों का तात्पर्य सभी धर्मों में आपसी एकता का सामंजस्य स्थापित करना था और इसे ईश्वरवादी आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का श्रेय महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (1817-1905 ई.) को था। वह इस आंदोलन में 1843 ई. में सम्मिलित हुए और उन्होंने ब्रह्म धर्मावलंबियों को मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा, कर्मकांड और प्रायश्चित इत्यादि से रोका। महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया। केशवचंद्र सेन की वाकपटुता और उदारवादी विचारों ने इस आंदोलन को लोकप्रिय बना दिया और शीघ्र ही इसकी शाखाएं बंगाल से बाहर उत्तर प्रदेश और मद्रास में खोल दी गईं।

17. राममोहन राय को राजा उपाधि किसने दी थी? [U.P.P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (b) अकबर II ने
Solution:मुगल बादशाह अकबर द्वितीय (II) ने राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि के साथ अपने दूत के रूप में 1830 ई. में तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था। राय को इंग्लैंड में सम्राट से मुगल बादशाह अकबर द्वितीय को मिलने वाली पेंशन की मात्रा बढ़ाने पर बातचीत करनी थी। इंग्लैंड के ब्रिस्टल में ही 27 सितंबर, 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई, जहां उनकी समाधि स्थापित है।

18. राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि से किसने विभूषित किया ? [M.P. P.C.S. (Pre.) 2017]

Correct Answer: (d) मुगल सम्राट अकबर द्वितीय
Solution:मुगल बादशाह अकबर द्वितीय (II) ने राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि के साथ अपने दूत के रूप में 1830 ई. में तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था। राय को इंग्लैंड में सम्राट से मुगल बादशाह अकबर द्वितीय को मिलने वाली पेंशन की मात्रा बढ़ाने पर बातचीत करनी थी। इंग्लैंड के ब्रिस्टल में ही 27 सितंबर, 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई, जहां उनकी समाधि स्थापित है।

19. राजा राममोहन राय की समाधि है- [Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006]

Correct Answer: (c) ब्रिस्टल, इंग्लैंड में
Solution:मुगल बादशाह अकबर द्वितीय (II) ने राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि के साथ अपने दूत के रूप में 1830 ई. में तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था। राय को इंग्लैंड में सम्राट से मुगल बादशाह अकबर द्वितीय को मिलने वाली पेंशन की मात्रा बढ़ाने पर बातचीत करनी थी। इंग्लैंड के ब्रिस्टल में ही 27 सितंबर, 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई, जहां उनकी समाधि स्थापित है।

20. निम्नलिखित पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2016]

1. कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी

2. टेबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन

3. इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन

केशवचंद्र सेन का संबंध उपर्युक्त में से किसकी/किनकी स्थापना से है?

Correct Answer: (b) केवल 2 और 3
Solution:केशवचंद्र सेन महान समाज सुधारक तथा राष्ट्रवादी व्यक्ति थे। केशवचंद्र का जन्म 19 नवंबर, 1838 को एक बंगाली परिवार में हुआ था। वे 1857 ई. में ब्रह्म समाज में सम्मिलित हुए। 24 जनवरी, 1868 को केशवचंद्र सेन ने 'टेबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन' नामक संघ की स्थापना की। 1870 ई. में केशवचंद्र सेन ने हिंदू पुनर्रचना के प्रवक्ता के रूप में इंग्लैंड की यात्रा की। 1870 ई. में इंग्लैंड से वापस लौटने पर केशवचंद्र सेन ने 29 अक्टूबर, 1870 को 'इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन' नामक संस्था का गठन किया। इसकी सदस्यता सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए खुली थी। संस्था की ओर से 'सुलभ समाचार' नामक पत्र भी निकाला गया। जबकि 'कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी' का गठन 1823 ई. में राजा राममोहन राय, द्वारकानाथ टैगोर एवं विलियम एडम द्वारा किया गया था।