Correct Answer: (c) राजा राममोहन राय
Solution:हिंदू धर्म का पहला सुधार आंदोलन 'ब्रह्म समाज' था, जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था। इसकी स्थापना मूलतः 'ब्रह्म सभा' के रूप में 1828 ई. में राजा राममोहन राय ने की थी। 1830 ई. में लिखे गए प्रन्यासकरण पत्र में उन्होंने बताया कि इस समाज का उद्देश्य शाश्वत, सर्वाधार, अपरिवर्त्य ईश्वर की पूजा है, जो सारे विश्व का कर्ता और रक्षक है। एक नया भवन भी न्यास मंडल (Board of Trustees) को दिया गया, जिसमें मूर्ति पूजा तथा बलि देने की अनुमति नहीं थी। राजा राममोहन राय के उपदेशों का तात्पर्य सभी धर्मों में आपसी एकता का सामंजस्य स्थापित करना था और इसे ईश्वरवादी आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का श्रेय महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (1817-1905 ई.) को था। वह इस आंदोलन में 1843 ई. में सम्मिलित हुए और उन्होंने ब्रह्म धर्मावलंबियों को मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा, कर्मकांड और प्रायश्चित इत्यादि से रोका। महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया। केशवचंद्र सेन की वाकपटुता और उदारवादी विचारों ने इस आंदोलन को लोकप्रिय बना दिया और शीघ्र ही इसकी शाखाएं बंगाल से बाहर उत्तर प्रदेश और मद्रास में खोल दी गईं।