सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन (UPPCS)

Total Questions: 50

41. शारदामणि कौन थीं? [47th B.P.S.C. (Pre) 2005]

Correct Answer: (b) रामकृष्ण परमहंस की पत्नी
Solution:शारदामणि मुखोपाध्याय जिन्हें शारदा देवी के नाम से जाना जाता है, का विवाह 23 वर्षीय रामकृष्ण परमहंस से 5 वर्ष की उम्र में 1859 ई. में हुआ था।

42. "ईश्वर के बारे में सोचने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है; क्योंकि अभी इस धरती पर ही बहुत काम किया जाना है;" उपर्युक्त कथन किसका है? [U.P. R.O./A.R.O. (Re-Exam) (Pre) 2016]

Correct Answer: (d) स्वामी ईश्वरचंद्र विद्यासागर
Solution:ईश्वर है या नहीं यह पूछे जाने पर विद्यासागर का जवाब था- ''ईश्वर के बारे में सोचने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है; क्योंकि अभी इस धरती पर ही बहुत काम किया जाना है।"

43. 'ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से सड़ चुका है, हर तरह से भ्रष्ट, अत्याचारी व हीन है।' यह कथन किनके द्वारा किया गया था? [M.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (a) सिस्टर निवेदिता
Solution:सिस्टर निवेदिता (विवेकानंद की शिष्या) ने कहा था कि 'ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से भ्रष्ट, अत्याचारी व हीन है।'

44. दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित है- [43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]

Correct Answer: (b) आर्य समाज
Solution:दयानंद सरस्वती (मूलशंकर) ने अप्रैल, 1875 ई. में बंबई में आर्य समाज की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था। आर्य समाज आंदोलन का प्रसार प्रायः पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ। 1877 ई. में आर्य समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया, जिसके उपरांत आर्य समाज का अधिक प्रचार हुआ।

45. आर्य समाज की स्थापना का वर्ष है- [U.P. Lower sub. (Pre) 2009]

Correct Answer: (c) 1875
Solution:दयानंद सरस्वती (मूलशंकर) ने अप्रैल, 1875 ई. में बंबई में आर्य समाज की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था। आर्य समाज आंदोलन का प्रसार प्रायः पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ। 1877 ई. में आर्य समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया, जिसके उपरांत आर्य समाज का अधिक प्रचार हुआ।

46. 'आर्य समाज' की स्थापना किसने की? [66th B.P.S.C. (Pre) (Re-Exam) 2020]

Correct Answer: (c) दयानंद सरस्वती
Solution:दयानंद सरस्वती (मूलशंकर) ने अप्रैल, 1875 ई. में बंबई में आर्य समाज की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म की शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था। आर्य समाज आंदोलन का प्रसार प्रायः पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ। 1877 ई. में आर्य समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया, जिसके उपरांत आर्य समाज का अधिक प्रचार हुआ।

47. वेदों के पुनरुत्थान का श्रेय किसे है? [U.P. P.C.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (c) स्वामी दयानंद सरस्वती
Solution:आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती शुद्ध वैदिक परंपरा में विश्वास करते थे। उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' का नारा दिया। उत्तर वैदिक काल से आज तक सभी अन्य मतों को उन्होंने पाखंड या झूठे धर्म की संज्ञा दी। 1867 ई. में उन्होंन हरिद्वार में झूठे धर्मों का खंडन करने के लिए 'पाखंड खंडिनी पताका' लहराई। स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों को 'भारत के आधार स्तंभ' के रूप में देखते थे। उनका विश्वास था कि हिंदू धर्म और वेद जिस पर भारत का पुरातन समाज टिका था, शाश्वत, अपरिवर्तनीय, धर्मातीत तथा दैवीय हैं। इसलिए उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' तथा 'वेद ही समस्त ज्ञान के स्रोत हैं' का नारा दिया। स्वामी दयानंद को उनके धार्मिक सुधार प्रयासों के कारण 'भारत का मार्टिन लूथर किंग' कहा जाता है।

48. 'वेदों की ओर चलो' किसने कहा था ? [M.P. P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (b) दयानंद सरस्वती
Solution:आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती शुद्ध वैदिक परंपरा में विश्वास करते थे। उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' का नारा दिया। उत्तर वैदिक काल से आज तक सभी अन्य मतों को उन्होंने पाखंड या झूठे धर्म की संज्ञा दी। 1867 ई. में उन्होंन हरिद्वार में झूठे धर्मों का खंडन करने के लिए 'पाखंड खंडिनी पताका' लहराई। स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों को 'भारत के आधार स्तंभ' के रूप में देखते थे। उनका विश्वास था कि हिंदू धर्म और वेद जिस पर भारत का पुरातन समाज टिका था, शाश्वत, अपरिवर्तनीय, धर्मातीत तथा दैवीय हैं। इसलिए उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' तथा 'वेद ही समस्त ज्ञान के स्रोत हैं' का नारा दिया। स्वामी दयानंद को उनके धार्मिक सुधार प्रयासों के कारण 'भारत का मार्टिन लूथर किंग' कहा जाता है।

49. निम्न में से कौन 'भारत का मार्टिन लूथर' कहलाता है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2005 & Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

Correct Answer: (a) स्वामी दयानंद सरस्वती
Solution:आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती शुद्ध वैदिक परंपरा में विश्वास करते थे। उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' का नारा दिया। उत्तर वैदिक काल से आज तक सभी अन्य मतों को उन्होंने पाखंड या झूठे धर्म की संज्ञा दी। 1867 ई. में उन्होंन हरिद्वार में झूठे धर्मों का खंडन करने के लिए 'पाखंड खंडिनी पताका' लहराई। स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों को 'भारत के आधार स्तंभ' के रूप में देखते थे। उनका विश्वास था कि हिंदू धर्म और वेद जिस पर भारत का पुरातन समाज टिका था, शाश्वत, अपरिवर्तनीय, धर्मातीत तथा दैवीय हैं। इसलिए उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' तथा 'वेद ही समस्त ज्ञान के स्रोत हैं' का नारा दिया। स्वामी दयानंद को उनके धार्मिक सुधार प्रयासों के कारण 'भारत का मार्टिन लूथर किंग' कहा जाता है।

50. 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना की गई थी- [47th B.P.S.C. (Pre) 2005 & Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006 & U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा
Solution:मूलशंकर (स्वामी दयानंद) का जन्म 1824 ई. में गुजरात की मोरबी रियासत (कठियावाड़ क्षेत्र) के एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। उन्होंने 1860 ई. में मथुरा में स्वामी विरजानंद जी से वेदों के शुद्ध अर्थ तथा वैदिक धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा प्राप्त की। 1867 ई. में उन्होंने 'पाखंड खंडिनी पताका' लहराई। 1875 ई. में उन्होंने बंबई में आर्य समाज की स्थापना की। उनके विचार उनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' में वर्णित हैं। उनकी अन्य रचनाओं में पाखंड खंडन, ऋग्वेदादीभाष्यभूमिका, ऋग्वेद भाष्य, अद्वैतमत खंडन, पंच महायज्ञ विधि तथा वेदविरूद्धमतखंडनम् प्रमुख हैं।