सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन (UPPCS) (भाग – 2)

Total Questions: 50

21. सत्यशोधक आंदोलन चलाया था- [U.P.P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (c) ज्योतिबाराव फुले ने
Solution:1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने की थी। इनका जन्म 1827 ई. में एक माली के घर हुआ था। इन्होंने शक्तिशाली गैर-ब्राह्मण आंदोलन का संचालन किया। इन्होंने अपनी पुस्तक 'गुलामगीरी' एवं अपने संगठन 'सत्यशोधक समाज' के द्वारा पाखंडी ब्राह्मणों एवं उनके अवसरवादी धर्म ग्रंथों निम्न जातियों की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।

22. महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा किस संगठन की स्थापना की गई थी ? [Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]

Correct Answer: (c) सत्यशोधक समाज
Solution:1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने की थी। इनका जन्म 1827 ई. में एक माली के घर हुआ था। इन्होंने शक्तिशाली गैर-ब्राह्मण आंदोलन का संचालन किया। इन्होंने अपनी पुस्तक 'गुलामगीरी' एवं अपने संगठन 'सत्यशोधक समाज' के द्वारा पाखंडी ब्राह्मणों एवं उनके अवसरवादी धर्म ग्रंथों निम्न जातियों की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।

23. पिछड़े वर्गों का उत्थान किसका मुख्य कार्यक्रम था? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (b) सत्यशोधक समाज
Solution:पिछड़े वर्गों का उत्थान सत्यशोधक समाज का मुख्य कार्यक्रम था। इसकी स्थापना 1873 ई. में ज्योतिबा फुले ने की थी। यह आंदोलन दलितों और निम्न जाति के लोगों के कल्याण के लिए चलाया गया। अपनी ब्राह्मण-विरोधी गतिविधियों का संगठित रूप में प्रसार करने के लिए उन्होंने आलोचनात्मक ग्रंथों-' सार्वजनिक सत्य धर्म पुस्तक' तथा 'गुलामगीरी' की रचना की।

24. 'सत्यशोधक समाज' के संस्थापक कौन थे, जिनका प्राथमिक जोर सत्य की खोज पर था? [U.P.P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (d) ज्योतिबा फुले
Solution:पिछड़े वर्गों का उत्थान सत्यशोधक समाज का मुख्य कार्यक्रम था। इसकी स्थापना 1873 ई. में ज्योतिबा फुले ने की थी। यह आंदोलन दलितों और निम्न जाति के लोगों के कल्याण के लिए चलाया गया। अपनी ब्राह्मण-विरोधी गतिविधियों का संगठित रूप में प्रसार करने के लिए उन्होंने आलोचनात्मक ग्रंथों-' सार्वजनिक सत्य धर्म पुस्तक' तथा 'गुलामगीरी' की रचना की।

25. सत्यशोधक समाज ने संगठित किया- [I.A.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (c) महाराष्ट्र में एक जाति-विरोधी आंदोलन
Solution:1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने पुणे (महाराष्ट्र) में की थी। सत्यशोधक समाज से पहले भी इस देश में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन चले; किंतु सत्यशोधक समाज इन सबसे अलग एवं विशिष्ट है। इसमें ऊंचे वर्णों एवं श्रेणियों के प्रति पिछड़ी जातियों का विद्रोह प्रमुख था।

26. ज्योतिबा फुले संबंधित थे- [U.P.P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (d) जाति-विरोधी आंदोलन से
Solution:1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने पुणे (महाराष्ट्र) में की थी। सत्यशोधक समाज से पहले भी इस देश में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन चले; किंतु सत्यशोधक समाज इन सबसे अलग एवं विशिष्ट है। इसमें ऊंचे वर्णों एवं श्रेणियों के प्रति पिछड़ी जातियों का विद्रोह प्रमुख था।

27. 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना किसने की थी? [65th B.P.S.C. (Pre) 2019]

Correct Answer: (b) ज्योतिबा फुले
Solution:1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने पुणे (महाराष्ट्र) में की थी। सत्यशोधक समाज से पहले भी इस देश में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन चले; किंतु सत्यशोधक समाज इन सबसे अलग एवं विशिष्ट है। इसमें ऊंचे वर्णों एवं श्रेणियों के प्रति पिछड़ी जातियों का विद्रोह प्रमुख था।

28. वह बंगाली नेता कौन था, जिसने सामाजिक-धार्मिक सुधारों का विरोध किया और रूढ़िवादिता का समर्थन किया? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) राधाकांत देव
Solution:राजा राधाकांत देव ने 1830 ई. में बंगाल में 'धर्म सभा' की स्थापना कर सामाजिक-धार्मिक सुधारों का विरोध किया और रूढ़िवादिता का समर्थन किया।

29. राधास्वामी सत्संग के संस्थापक कौन थे? [U.P. P.C.S. (Pre) 2002]

Correct Answer: (b) शिवदयाल साहब
Solution:राधास्वामी सत्संग आंदोलन की स्थापना 1861 ई. में आगरा के एक महाजन या बैंकर तुलसीराम, जो शिवदयाल साहब या स्वामी जी महाराज के नाम से लोकप्रिय थे, ने की। राधास्वामी मत को मानने वाले लोग एक ही परमेश्वर, गुरु की महत्ता, संतों का साथ (सत्संग) तथा साधारण सामाजिक जीवन में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए सांसारिक जीवन का परित्याग आवश्यक है तथा यह भी कि सभी जन सच्चे हैं। यह पंथ मंदिरों-तीर्थों अथवा पवित्र स्थलों को कोई महत्व नहीं देता था। धर्म और दान के कार्य, सेवा और प्रार्थना की भावना इसके आवश्यक कर्तव्य थे।

30. महाराष्ट्र के किस सुधारक को 'लोकहितवादी' कहा जाता था? [M.P. P.C.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (d) गोपाल हरि देशमुख
Solution:महाराष्ट्र के समाज सुधारक गोपाल हरि देशमुख (1823-92 ई.) 'लोकहितवादी' के रूप में प्रख्यात थे। पेशे की दृष्टि से न्यायाधीश गोपाल हरि 1880 ई. में गवर्नर जनरल की काउंसिल के सदस्य भी रहे। ये महान समाज सुधारक तथा बौद्धिक चिंतक थे। इन्होंने बौद्धिक दृष्टिकोण का परिष्कार करने तथा देश की समस्याओं का समाधान करने के लिए लोगों के सम्मुख आत्मनिर्भर बनने तथा पश्चिमी शिक्षा की आवश्यकता का पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने स्त्री आंदोलन का समर्थन करते हुए स्त्री शिक्षा के प्रसार का पक्ष लिया। ये राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के समर्थक के रूप में हाथ से बुने हुए खादी के वस्त्र पहनकर 1876 ई. में दिल्ली दरबार में भी उपस्थित हुए थे।