सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन (UPPCS) (भाग – 2)

Total Questions: 50

31. 'लोकहितवादी' उपनाम से किसे जाना जाता था? [U.P. P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]

Correct Answer: (a) गोपाल हरि देशमुख को
Solution:महाराष्ट्र के समाज सुधारक गोपाल हरि देशमुख (1823-92 ई.) 'लोकहितवादी' के रूप में प्रख्यात थे। पेशे की दृष्टि से न्यायाधीश गोपाल हरि 1880 ई. में गवर्नर जनरल की काउंसिल के सदस्य भी रहे। ये महान समाज सुधारक तथा बौद्धिक चिंतक थे। इन्होंने बौद्धिक दृष्टिकोण का परिष्कार करने तथा देश की समस्याओं का समाधान करने के लिए लोगों के सम्मुख आत्मनिर्भर बनने तथा पश्चिमी शिक्षा की आवश्यकता का पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने स्त्री आंदोलन का समर्थन करते हुए स्त्री शिक्षा के प्रसार का पक्ष लिया। ये राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के समर्थक के रूप में हाथ से बुने हुए खादी के वस्त्र पहनकर 1876 ई. में दिल्ली दरबार में भी उपस्थित हुए थे।

32. महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह हेतु अभियान का नेतृत्व किया- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]

Correct Answer: (a) विष्णु परशुराम पंडित ने
Solution:महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह हेतु प्रथम अभियान का नेतृत्व विष्णु परशुराम पंडित (विष्णु शास्त्री) ने किया। उन्होंने 1850 ई. में 'विडो रिमैरिज एसोसिएशन' की स्थापना की थी और साथ ही विधवा पुनर्विवाह आंदोलन भी चलाया था। बी.एम. मालाबारी बाल विवाह प्रथा को वैधानिक रूप से समाप्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं।

33. 19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) बहरामजी एम. मालाबारी
Solution:19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक बहरामजी एम. मालाबारी थे। उनका जन्म बड़ौदा के पारसी परिवार में 1853 ई. में हुआ था।। इन्होंने बाल विवाह के खिलाफ तथा विधवा विवाह के समर्थन में एक परिपत्र का संपादन किया था। 1891 ई. का 'सम्मति आयु अधिनियम' (Age of Consent Act) इन्हीं के प्रयासों से पारित हुआ था।

34. 'दि एज ऑफ कांसेंट एक्ट' किस वर्ष पारित हुआ? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) 1891
Solution:19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक बहरामजी एम. मालाबारी थे। उनका जन्म बड़ौदा के पारसी परिवार में 1853 ई. में हुआ था।। इन्होंने बाल विवाह के खिलाफ तथा विधवा विवाह के समर्थन में एक परिपत्र का संपादन किया था। 1891 ई. का 'सम्मति आयु अधिनियम' (Age of Consent Act) इन्हीं के प्रयासों से पारित हुआ था।

35. उसका 'प्रधान संबल' (Principal Forte) था सामाजिक और धार्मिक सुधार, उसने सामाजिक बुराइयों के निराकरण के लिए विधान निर्माण का सहारा लिया और बाल विवाह, पर्दा प्रथा... के उन्मूलन के लिए अविराम परिश्रम किया, सामाजिक समस्याओं पर राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने हेतु उसने भारतीय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन का उद्घाटन किया जिसके अधिवेशन बहुत वर्षों तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ-साथ होते रहे, इस उद्धरण में संकेतित व्यक्ति हैं- [I.A.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (c) महादेव गोविंद रानाडे
Solution:'भारतीय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन' की स्थापना 1887 ई. में एम. जी. रानाडे एवं रघुनाथ राव द्वारा की गई थी। इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य बहु विवाह, बाल विवाह एवं कुलीनवाद जैसी कुप्रथाओं का समापन करना था। इस सम्मेलन का अधिवेशन कई वर्षों तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ-साथ होता रहा।

36. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

(संस्था)(प्रवर्तक)
सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटीजी. के. गोखले
सोशल सर्विस लीगएन.एम. जोशी
सेवा समितिएच.एन. कुंजरू
सोशल रिफॉर्म एसोसिएशनश्रीराम बाजपेयी
Correct Answer: (d)
Solution:सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी वर्ष 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा, सोशल सर्विस लीग वर्ष 1911 में नारायण मल्हार जोशी, द्वारा, सेवा समिति वर्ष 1914 में हृदय नाथ कुंजरू द्वारा तथा बॉम्बे प्रेसीडेंसी सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन वर्ष 1903 में देश के तत्कालीन प्रमुख समाज सुधारकों (चंदावरकर, भंडारकर आदि) द्वारा। ज्ञातव्य है कि सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन रानाडे के इंडियन नेशनल सोशल कॉन्फ्रेंस (1887) द्वारा स्थापित की गई संस्था थी। इसके पूर्व 1878 ई. में वीरेशलिंगम ने राजमुंद्री सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना की थी।

37. विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1871 ई. में राजमुंद्री सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन स्थापित किया गया था- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) वीरेशलिंगम द्वारा
Solution:राजमुंद्री सोशल रिफार्म ऐसोसिएशन की स्थापना 1878 ई. में वीरे- शलिंगम पंतुलु द्वारा की गई थी, जिसने विधवा पूनर्विवाह पर जोर दिया। यद्यपि आयोग ने त्रुटिपूर्ण ढंग से प्रश्न में 1871 ई. लिखा है।

38. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन (नेशनल सोशल कॉन्फ्रेंस) का गठन किया गया था। इसके गठन के लिए उत्तरदायी कारण था- [I.A.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारों को नहीं रखना चाहती थी; इसीलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया।
Solution:भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारों को नहीं रखना चाहती थी; इसीलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया।

39. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2001]

(1) आर्य समाज की स्थापना 1835 में हुई थी।

(2) लाला लाजपत राय ने आर्य समाज के उस आग्रह का विरोध किया था, जो उसके अपने समाज सुधार कार्यक्रमों के समर्थन में वेदों को आप्त प्रमाण मानने को लेकर था।

(3) केशवचंद्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्म समाज ने नारी शिक्षा के लिए आंदोलन चलाया था।

(4) विनोबा भावे ने शरणार्थियों में काम करने के लिए सर्वोदय समाज की स्थापना की थी।

इन कथनों में कौन-कौन से कथन सही हैं?

Correct Answer: (d) (3) और (4)
Solution:आर्य समाज की स्थापना 1835 ई. में नहीं बल्कि अप्रैल, 1875 में बंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। लाला लाजपत राय ने वेदों को आप्त प्रमाण मानने का विरोध नहीं किया था। केशवचंद्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्म समाज ने नारी शिक्षा के लिए आंदोलन चलाया था। विनोबा भावे ने भारतीयों के जीवन स्तर को उठाने तथा गांधीजी के सिद्धांतों के प्रसार के लिए सर्वोदय समाज की स्थापना की थी। उन्होंने इस समाज के माध्यम से पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों के लिए भी कार्य किया था। अतः कथन (1) और (2) गलत हैं, जबकि कथन (3) और (4) सही हैं।

40. 1856 में निम्नलिखित कानून पारित हुआ- [U.P. P.C.S. (Pre) 2001]

(i) धार्मिक असुविधा कानून

(ii) सती निषेध रेगुलेशन

(iii) हिंदू विधवा पुनर्विवाह कानून

(iv) राज्य हड़पने का सिद्धांत

अपने उत्तर का चयन निम्नांकित कूटों से करें-

Correct Answer: (e) (*)
Solution:धार्मिक असुविधा कानून भारत में पारित नहीं हुआ है। जाति अक्षमता निवारण अधिनियम 1850 में पारित हुआ था। 1856 ई. के हिंदू विधवा पुनर्विवाह कानून (हिंदू विडो रिमैरिज एक्ट) द्वारा विधवाओं के पुनर्विवाह को कानून संगत बनाया गया। विधवा पुनर्विवाह की स्थिति में सुधार लाने के लिए ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने अथक प्रयत्न किया। 1855 ई. में उन्होंने ब्रिटिश सरकार से विधवा पुनर्विवाह पर कानून बनाने के लिए अनुरोध किया। विधवाओं के कल्याण से जुड़े अन्य नेता थे, पश्चिमी भारत में विष्णुशास्त्री और डी. के. कर्वे। 1896 ई. में डी. के. कर्वे ने पूना में 'हिंदू विधवा गृह' की स्थापना की तथा वर्ष 1916 में बंबई में प्रथम महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की। बंगला सती रेगुलेशन (बंगाल सती विनियमन) लॉर्ड विलियम बेंटिक के समय 1829 ई. में बनाया गया था, जबकि डलहौजी का राज्य हड़पने का सिद्धांत 1848 ई. में ही प्रस्तुत किया गया था।