Solution:गुरु अर्जुन देव तथा गुरु तेग बहादुर को तत्कालीन शासकों क्रमशः जहांगीर और औरंगजेब द्वारा मृत्युदंड दिया गया था।(i) गुरु अर्जुन देव (1581-1606 ई.) सिक्खों के पांचवें गुरु थे। जहांगीर से विद्रोह कर, उसका पुत्र शहजादा खुसरो आगरा से भाग कर अफगानिस्तान की ओर जा रहा था। रास्ते में तरनतारन नामक स्थान पर उसने गुरु अर्जुन से भेंट की। गुरु ने उसे यथाशक्ति पूरी सहायता दी, जिससे जहांगीर रुष्ट हो गया और 1606 ई. में षड्यंत्र का आरोप लगाकर उसने उन्हें मृत्युदंड दे दिया।
(ii) गुरु तेग बहादुर (1664-1675 ई.) सिक्खों के नवें गुरु थे। औरंगजेब से शत्रुता इन्हें विरासत में मिली थी। औरंगजेब ने इनके साथ जो व्यवहार किया, उसके कई कारण बताए जाते हैं। बनर्जी के अनुसार, "गुरु की हत्या राजनैतिक कारणों से नहीं अपितु धार्मिक कारणों से हुई।" औरंगजेब की बहुचर्चित कठमुल्लावादी विचारधारा और धार्मिक कट्टरपन को सिक्खों की बगावत का एक कारण माना जाता है। 1675 ई. में औरंगजेब द्वारा गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड इसी कारण से दिया गया था।