Solution:सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रसिद्ध कविता सरोज-स्मृति (1935 ई.) की पंक्ति है- दुःख ही जीवन की कथा रही। यह लम्बी कविता एक शोकगीत है। यह कविता द्वितीय अनामिका काव्य संग्रह के प्रथम संस्करण में संकलित है। निराला की प्रथम कविता जूही की कली (1916 ई.) तथा इनका अन्तिम काव्य संग्रह सान्ध्यकाकली है।अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
निराला की प्रसिद्ध पंक्तियाँ-
(i) 'वर दे वीणा वादिनी वर दे' (गीतिका)
(ii) 'बाधों न नाव इस ठाँव बन्धु' (अर्चना)
(iii) 'मैं डबल जब, बना डमरू' (कुकुरमुत्ता)
(iv) "धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध" (राम की शक्तिपूजा)
(v) 'लिखता अबाध गति मुक्त छन्द' (सरोज स्मृति)
(vi) 'धन्ये, मैं पिता निरर्थक था' (सरोज-स्मृति)
(vii) 'सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन' (बादल राग)