Solution:भरतमुनि के अनुसार, नाट्यशास्त्र का विषय अत्यन्त व्यापक है। मुख्य रूप से तो यह नाट्यकोष का अमरकोष है। भरतमुनि ने 'नाट्यशास्त्र' को पंचमवेद माना। वस्तुतः इसमें नाटक के साथ छन्दशास्त्र, अलंकारशास्त्र और संगीत शास्त्र आदि सम्बद्ध विषर का विवेचन है।"न तज्ज्ञानं न तच्छिल्पं न सा विद्या न सा कला ।
नासौ योगो न तत्कर्म नाट्याऽस्मिन न दृश्यते।।"
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
नाटक शब्द 'नट' शब्द से निर्मित है, जिसका आशय सात्त्विक भावों का अभिनय है। नाटक के प्रमुख तत्त्वों में कथावस्तु, पात्र, उद्देश्य, भाषा शैली, देशकाल वातावरण आदि होते हैं।