आदिकाल, नामकरण,
कालविभाजन एवं साहित्येतिहास ग्रन्थ
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'नाभादास' को भक्तिकाल की सगुण धारा के राम भक्त कवियों में शामिल किया जाता है। नाभादास के गुरु 'अग्ग्रदास' थे, जबकि नन्ददास, हरिदास तथा ध्रुवदास कृष्णभक्ति धारा के कवि हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
नाभादास का वास्तविक नाम नाभाअली था। ग्रियर्सन इन्हें 'नारायणदास' भी कहते हैं। भक्तमाल तथा अष्टयाम इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
नन्ददास की प्रमुख रचनाओं में भ्रमरगीत, अनेकार्थ मंजरी, रसमंजरी तथा 'भँवरगीत' हैं।
हरिदास की प्रमुख रचना 'केलिमाल' है।
ध्रुवदास की प्रमुख रचना 'भक्तनामावली' है।
सूरदास को किस रस का सम्राट कहा गया है?