हीनताजन्य, असंक्रामक व अन्य रोग (Part – I)

Total Questions: 50

11. किस तत्व की कमी से घेंघा रोग हो जाता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2007 M.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (c) आयोडीन
Solution:आयोडीन (lodine) की कमी होने से शरीर के गले में घेघा (Goitre) नामक रोग हो जाता है। इससे गरदन फूलकर मोटी, कॉलर (Collar) जैसी दिखाई देने लगती है। आयोडीन के स्रोत दूध, समुद्री भोजन तथा आयोडीन युक्त नमक (lodised Salt) हैं। यह थाइरॉक्सिन (Thyroxin) हॉर्मोन का महत्वपूर्ण घटक है।

12. आयोडीन उन बीमार व्यक्तियों को दी जाती है, जो पीड़ित होते हैं। [U.P.P.C.S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (d) घेंघा से
Solution:आयोडीन (lodine) की कमी होने से शरीर के गले में घेघा (Goitre) नामक रोग हो जाता है। इससे गरदन फूलकर मोटी, कॉलर (Collar) जैसी दिखाई देने लगती है। आयोडीन के स्रोत दूध, समुद्री भोजन तथा आयोडीन युक्त नमक (lodised Salt) हैं। यह थाइरॉक्सिन (Thyroxin) हॉर्मोन का महत्वपूर्ण घटक है।

13. मानव आहार में पॉलिश किए हुए चावल के उपयोग से निम्नांकित रोग हो जाता है - [U.P.P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (a) बेरी-बेरी
Solution:

सफेद अनाज जैसे पॉलिश किए हुए चावल तथा गेहूं का आटा इत्यादि में थायमीन (Thiamine) पर्याप्त मात्रा में उपस्थित नहीं होता। यदि मानव आहार में मुख्यतः यही चीजें शामिल है, तो यह शरीर में थायमीन की कमी का कारण बन सकता है। उल्लेखनीय है कि बेरी-बेरी एक पोषण संबंधी विकार है, जो थायमीन (विटामिन B₁) की कमी के कारण होता है।

14. मानव आहार में पॉलिश किए हुए चावल के उपयोग से निम्नलिखित रोग हो जाता है- [U.P. P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (d) बेरी-बेरी
Solution:बेरी-बेरी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली व्याधि है, जो मुख्यतः आहार में थायमीन (विटामिन B) की कमी से होती है। पॉलिश किए हुए चावल में थायमीन बहुत ही अल्प मात्रा में पाया जाता है। अतः इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों में बेरी-बेरी रोग होने की संभावना प्रबल होती है।

15. उन देशों में जहां के लोगों का मुख्य खाद्यान्न पालिश किया हुआ चावल है, लोग पीड़ित हैं- [U.P.P.C.S. (Pre.) 2010]

Correct Answer: (b) बेरी-बेरी से
Solution:बेरी-बेरी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली व्याधि है, जो मुख्यतः आहार में थायमीन (विटामिन B) की कमी से होती है। पॉलिश किए हुए चावल में थायमीन बहुत ही अल्प मात्रा में पाया जाता है। अतः इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों में बेरी-बेरी रोग होने की संभावना प्रबल होती है।

16. जो मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि कब उसे भोजन करना रोक देना चाहिए, वह पीड़ित है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (a) बुलीमिया से
Solution:बुलीमिया नर्वोसा एक प्रकार का भोजन-संबंधी विकार है। बुलीमिया से ग्रस्त व्यक्ति बहुत कम समय में बहुत अधिक मात्रा में भोजन का सेवन कर लेता है और फिर वजन वृद्धि से बचने के लिए मल-त्याग आदि माध्यमों से ग्रहण किए गए भोजन का त्याग करने के लिए प्रयासरत रहता है। बुलीमिया से ग्रस्त व्यक्ति ऐसा महसूस करता है कि उसका इस बात पर कोई नियंत्रण नहीं है कि उसे कितना भोजन करना है।

17. 'ब्लू बेबी' नामक प्रदूषण कारित बीमारी पीने वाले जल में निम्न में से किसके अधिक विद्यमान होने के कारण होती है? [U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004 R.A.S./R.T.S (Pre) 2010]

Correct Answer: (c) नाइट्रेट
Solution:ब्लू बेबी सिंड्रोम रोग से बच्चों के प्रभावित होने की संभावना तब होती है, जब जल में नाइट्रेट की मात्रा 10 sppm से अधिक होती है। इससे बच्चे के होंठ एवं शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है। यह नाइट्रेट हीमोग्लोबिन से क्रिया करके उसकी ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता को कम कर देता है, जिससे श्वसन क्रिया सुचारू रूप से संपादित नहीं हो पाती है।

18. रक्त में निम्न की अधिकता से 'ब्लू बेबी सिंड्रोम' नामक बीमारी होती है: [M.P.P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (c) मिथेमोग्लोबिन
Solution:ब्लू बेबी सिंड्रोम (मिथेमोग्लोबिनोमिया) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करने की रक्त की क्षमता के घटने का परिणाम होता है। पेयजल में नाइट्रेट की अधिकता इसका सबसे आम कारण है। प्रमुख रूप से नवजात शिशु इस रोग से प्रभावित होते हैं। शरीर में नाइट्रेट नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं। ये नाइट्राइट लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन से अभिक्रिया करके मिथेमोग्लोबिन का निर्माण करते हैं। मिथेमोग्लोबिन की अधिकता से शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होती और यही स्थिति ब्लू बेबी सिंड्रोम है।

19. रक्त में निम्नलिखित में से किसकी उपस्थिति के कारण 'ब्लू बेबी सिंड्रोम' होता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) मिथेमोग्लोबिन
Solution:ब्लू बेबी सिंड्रोम (मिथेमोग्लोबिनोमिया) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करने की रक्त की क्षमता के घटने का परिणाम होता है। पेयजल में नाइट्रेट की अधिकता इसका सबसे आम कारण है। प्रमुख रूप से नवजात शिशु इस रोग से प्रभावित होते हैं। शरीर में नाइट्रेट नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं। ये नाइट्राइट लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन से अभिक्रिया करके मिथेमोग्लोबिन का निर्माण करते हैं। मिथेमोग्लोबिन की अधिकता से शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होती और यही स्थिति ब्लू बेबी सिंड्रोम है।

20. हृदयाघात में निम्नलिखित का सही क्रम क्या होता है? [I.A.S. (Pre) 1994]

1. वाहिका के आंतरिक द्वार का संकीर्ण हो जाना

2. तंतु ऊतक से 'चकत्ते' और कोलेस्ट्रॉल

3. रक्त और ऑक्सीजन की अपर्याप्त पूर्ति

4. हृदयधमनियों में रक्त के थक्कों का पहुंचना

नीचे दिए हुए कूटों से उत्तर का चयन कीजिए :

Correct Answer: (b) 2,4,1,3
Solution:हृदयाघात (Heart attack) में तंतु ऊतक (Fibrous Tissue) से चकत्ते और कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) एवं अन्य लिपिड पदार्थों के जमा हो जाने (Atherosclerosis) से हृदय धमनियों में रक्त का थक्का (clotting) पहुंच जाता है तथा उसमें वाहिका के आंतरिक द्वार संकीर्ण हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में रक्त (Blood) तथा ऑक्सीजन की अपर्याप्त पूर्ति होती है। मोटापा, अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, वसायुक्त आहार इत्यादि इस रोग के प्रमुख कारण होते है तथा इसके उपचार हेतु रुधिर स्कंदनरोधी (Anticoagulant) ओषधियों का उपयोग किया जाता है।