1857 की क्रांति (UPPCS)

Total Questions: 50

21. 1857 का विद्रोह लखनऊ में किसके नेतृत्व में आगे बढ़ा? [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) बेगम ऑफ अवध
Solution:लखनऊ (अवध) में विद्रोह का प्रारंभ 30 मई, 1857 को हुआ। विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल (बेगम ऑफ अवध) ने किया।

22. वह महिला, जिन्होंने अवध में 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया था- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) बेगम हजरत महल
Solution:लखनऊ (अवध) में विद्रोह का प्रारंभ 30 मई, 1857 को हुआ। विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल (बेगम ऑफ अवध) ने किया।

23. लखनऊ में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किसने किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]

Correct Answer: (c) हजरत महल
Solution:लखनऊ (अवध) में विद्रोह का प्रारंभ 30 मई, 1857 को हुआ। विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल (बेगम ऑफ अवध) ने किया।

24. निम्न में से कौन इलाहाबाद में 1857 के संग्राम का नेता था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (d) मौलवी लियाकत अली
Solution:इलाहाबाद में 1857 के संग्राम में विद्रोहियों की कमान मौलवी लियाकत अली ने संभाली। बाद में यहां के विद्रोह को ब्रिगेडियर-जनरल नील ने समाप्त किया।

25. 1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों की सर्वाधिक संख्या थी- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) अवध से
Solution:1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों की सर्वाधिक संख्या अवध से थी। वास्तव में उस समय अवध में शायद ही कोई ऐसा परिवार रहा हो, जिसका कोई सदस्य सेना में न रहा हो। केवल अवध से ही लगभग 75 हजार सैनिक सेना में थे।

26. नाना साहब का "कमांडर-इन-चीफ" कौन था? [U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) तात्या टोपे
Solution:कानपुर में 5 जून, 1857 को नाना साहब को पेशवा मानकर स्वतंत्रता की घोषणा की गई। नाना साहब को सेनापति (कमांडर-इन चीफ) तात्या टोपे से बहुत सहायता मिली थी।

27. अजीमुल्ला खां सलाहकार थे- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (a) नाना साहब के
Solution:अजीमुल्ला खां नाना साहब के सलाहकार थे।

28. वर्ष 1857 के विद्रोह के संदर्भ में निम्नलिखित में से किसे उसके मित्र ने धोखा दिया तथा जिसे अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाकर मार दिया गया ? [I.A.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (d) तात्या टोपे
Solution:तात्या टोपे (1814-1859 ई.) को रामचंद्र पांडुरंग के नाम से भी जाना जाता है। वे 1857 के भारतीय विद्रोह के प्रमुख नेता थे। इनका जन्म महाराष्ट्र में येओला (Yeola) गांव में हुआ था। वे अपने पिता (पांडुरंग राव टोपे) के साथ बिठूर आ गए, जहां वे पेशवा के दत्तक पुत्र नाना धोंदो पंत (इन्हें नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है) और महाराजा माधव सिंह जी के मित्र बन गए। 1851 ई. में डलहौजी ने नाना साहब को उनके पिता के पेंशन से वंचित कर दिया, उधर तात्या टोपे पहले से ही ब्रिटिशों को अपना शत्रु मान चुके थे, दोनों ने मिलकर कानपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ियों को पराजित कर नाना साहब के आधिपत्य को स्थापित किया और तात्या स्वयं सेना के कमांडर-इन-चीफ बन गए। नाना साहब से अलग होने के बाद तात्या टोपे अपना मुख्यालय काल्पी (Kalpi) ले गए और रानी लक्ष्मीबाई से हाथ मिलाया। दोनों ने मिलकर बुंदेलखंड क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व किया। जनरल ह्यूरोज ने ग्वालियर के उस ऐतिहासिक युद्ध में इन्हें हराया, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुईं। ग्वालियर खो देने के पश्चात तात्या टोपे ने सागर एवं नर्मदा क्षेत्र तथा खानदेश एवं राजस्थान क्षेत्र में सफलतापूर्वक गुरिल्ला युद्ध का संचालन किया। एक वर्ष तक अंग्रेज सेनाएं उन्हें पकड़ने में नाकाम रहीं। अंततः उनके एक विश्वसनीय मित्र मानसिंह ने उन्हें धोखा देकर उस समय पकड़वा दिया, जब वे पारों के जंगलों (Forest of Paron) में अपने कैम्प में शयन कर रहे थे। यहां से उन्हें पकड़कर शिवपुरी लाया गया और सैनिक अदालत में 18 अप्रैल, 1859 को फांसी दे दी गई।

29. 1857 के निम्नलिखित क्रांतिकारियों में से किसका वास्तविक नाम 'रामचंद्र पांडुरंग' था? [U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010 U.P.P.C.S. (Pre) 2011]

Correct Answer: (b) तात्या टोपे
Solution:तात्या टोपे (1814-1859 ई.) को रामचंद्र पांडुरंग के नाम से भी जाना जाता है। वे 1857 के भारतीय विद्रोह के प्रमुख नेता थे। इनका जन्म महाराष्ट्र में येओला (Yeola) गांव में हुआ था। वे अपने पिता (पांडुरंग राव टोपे) के साथ बिठूर आ गए, जहां वे पेशवा के दत्तक पुत्र नाना धोंदो पंत (इन्हें नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है) और महाराजा माधव सिंह जी के मित्र बन गए। 1851 ई. में डलहौजी ने नाना साहब को उनके पिता के पेंशन से वंचित कर दिया, उधर तात्या टोपे पहले से ही ब्रिटिशों को अपना शत्रु मान चुके थे, दोनों ने मिलकर कानपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ियों को पराजित कर नाना साहब के आधिपत्य को स्थापित किया और तात्या स्वयं सेना के कमांडर-इन-चीफ बन गए। नाना साहब से अलग होने के बाद तात्या टोपे अपना मुख्यालय काल्पी (Kalpi) ले गए और रानी लक्ष्मीबाई से हाथ मिलाया। दोनों ने मिलकर बुंदेलखंड क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व किया। जनरल ह्यूरोज ने ग्वालियर के उस ऐतिहासिक युद्ध में इन्हें हराया, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुईं। ग्वालियर खो देने के पश्चात तात्या टोपे ने सागर एवं नर्मदा क्षेत्र तथा खानदेश एवं राजस्थान क्षेत्र में सफलतापूर्वक गुरिल्ला युद्ध का संचालन किया। एक वर्ष तक अंग्रेज सेनाएं उन्हें पकड़ने में नाकाम रहीं। अंततः उनके एक विश्वसनीय मित्र मानसिंह ने उन्हें धोखा देकर उस समय पकड़वा दिया, जब वे पारों के जंगलों (Forest of Paron) में अपने कैम्प में शयन कर रहे थे। यहां से उन्हें पकड़कर शिवपुरी लाया गया और सैनिक अदालत में 18 अप्रैल, 1859 को फांसी दे दी गई।

30. कुंवर सिंह, 1857 के विद्रोह के एक प्रमुख नायक थे। वह निम्नलिखित में से किससे संबद्ध थे? [I.A.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (a) बिहार
Solution:1857 में जगदीशपुर में विद्रोह की अगुवाई करने वाले कुंवर सिंह बिहार के तत्कालीन शाहाबाद जिले के जगदीशपुर (वर्तमान भोजपुर जिले में स्थित) से संबंधित थे। प्रकृति ने उन्हें अदम्य शौर्य, वीरता और सेनानायक के आदर्श गुणों से मंडित किया था, इसी कारण उन्हें सही रूप में विद्रोह के दौरान 'बिहार का सिंह' माना जाता है। उन्होंने शाहाबाद एवं आरा क्षेत्र में अंग्रेजों की सत्ता का तख्तापलट दिया और अपनी सरकार स्थापित की। वह कानपुर पर संयुक्त आक्रमण के लिए नाना साहब की मदद हेतु काल्पी की ओर आगे बढ़े। वह विद्रोह की मशाल को रोहतास, मिर्जापुर, रीवा, बांदा और लखनऊ तक ले गए, जहां उनका अत्यंत सम्मानपूर्वक स्वागत किया गया। अपनी अंतिम सफलता के रूप में उन्होंने अपने गृहनगर जगदीशपुर के निकट अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया। इसी युद्ध के दौरान कुंवर सिंह बुरी तरह घायल हो गए और 26 अप्रैल, 1858 को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई अमर सिंह ने दिसंबर, 1858 तक अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा।