1857 की क्रांति (UPPCS) (भाग – 2)

Total Questions: 43

31. 1857 ई. के विद्रोह को किसके द्वारा 'प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' के रूप में वर्णित किया गया था? [67th B.P.S.C. (Pre), 2021]

Correct Answer: (a) वी.डी. सावरकर
Solution:वी. डी. सावरकर ने अपनी पुस्तक "The Indian war of Independence 1857" में 1857 के विद्रोह को सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी। उन्होंने इसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई कहा था।

32. भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का सरकारी इतिहासकार था- [U.P. P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) एस.एन. सेन
Solution:1857 के भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के सरकारी इतिहासकार सुरेंद्र नाथ सेन (एस.एन. सेन) थे, जिनकी पुस्तक 'एट्टीन फिफ्टी सेवन' 1957 में प्रकाशित हुई थी।

33. भारतीय भाषा में 1857 के विप्लव के कारणों पर लिखने वाला प्रथम भारतीय था- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]

Correct Answer: (a) सैयद अहमद खां
Solution:सर सैयद अहमद खां द्वारा लिखित पुस्तक 'असबाब-ए-बगावत-ए-हिंद' वर्ष 1859 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 1857 के विद्रोह के कारणों की चर्चा की गई थी।

34. "तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम न प्रथम, न राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता संग्राम था।" यह कथन संबद्ध है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (a) आर.सी. मजूमदार से
Solution:आर.सी. मजूमदार ने अपनी पुस्तक "The Sepoy Mutiny and the Revolt of 1857" को स्वतंत्र रूप से वर्ष 1957 में प्रकाशित किया। मजूमदार ने ही 1857 के विद्रोह को "तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम न प्रथम, न राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता संग्राम था" कहा था।

35. किसने लिखा था, "इस निर्णय से इनकार करना कठिन है कि तथा कथित 1857 का प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम न तो प्रथम था, न राष्ट्रीय था और न ही स्वतंत्रता संग्राम था?" [U.P. P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (a) आर.सी. मजूमदार
Solution:आर.सी. मजूमदार ने अपनी पुस्तक "The Sepoy Mutiny and the Revolt of 1857" को स्वतंत्र रूप से वर्ष 1957 में प्रकाशित किया। मजूमदार ने ही 1857 के विद्रोह को "तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम न प्रथम, न राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता संग्राम था" कहा था।

36. किस भारतीय प्रख्यात इतिहासकार ने 1857 ई. की क्रांति को क्रांति नहीं माना है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (d) डॉ. आर.सी. मजूमदार
Solution:उपर्युक्त विकल्पों में से डॉ. आर.सी. मजूमदार ने 1857 ई. की क्रांति को क्रांति नहीं माना है। उन्होंने अपनी पुस्तक 'द सेपॉय म्यूटिनी एंड द रिवोल्ट ऑफ 1857' में कहा है कि "तथाकथित राष्ट्रीय संग्राम न वो पहला, न ही राष्ट्रीय तथा न ही स्वतंत्रता संग्राम था।"

37. '19वीं शताब्दी के मध्य में भारतीय राष्ट्रवाद भ्रूणावस्था में थी।' इस तथ्य को मानने वाले इतिहासकार - [M.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (a) डॉ. आर.सी. मजूमदार और डॉ. एस.एन. सेन
Solution:डॉ. आर.सी. मजूमदार और डॉ. एस.एन. सेन जैसे इतिहासकार 19वीं शताब्दी के मध्य में भारतीय राष्ट्रवाद को भ्रूणावस्था में मानते थे।

38. 1857 की क्रांति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सी एक अवधारणा सही है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) इसने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की शासन प्रणाली को मृतप्राय बना दिया।
Solution:1857 की क्रांति के परिणामस्वरूप भारतीय शासन की बागडोर कंपनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चली गई तथा इसकी शासन प्रणाली में भी आमूल-चूल परिवर्तन किया गया। अतः 1857 की क्रांति के संदर्भ में प्रश्नगत विकल्प (c) की अवधारणा ही सही है, जबकि अन्य कथन सही नहीं हैं।

39. महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण में लेने की घोषणा कब की थी? [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) 1 नवंबर, 1858
Solution:1857 की क्रांति के दमन के पश्चात 1 नवंबर, 1858 को महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण में लेने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर भारत को सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन कर दिया गया। जिसके तहत एक भारत मंत्री (भारत का राज्य सचिव) तथा 15 सदस्यों वाली इंडियन काउंसिल की स्थापना की गई। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग को ही भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया।

40. साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 1858 की घोषणा में भारतीयों को बहुत सी चीजें दिए जाने का आश्वासन दिया था। निम्न आश्वासनों में से कौन-सा ब्रिटिश शासन ने पूरा किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (a) रियासतों को हड़पने की नीति समाप्त कर दी जाएगी
Solution:1857 के विद्रोह का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा थी। यह उद्घोषणा 1 नवंबर, 1858 को इलाहाबाद में हुए दरबार में लॉर्ड कैनिंग द्वारा उ‌द्घोषित की गई। इसमें भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर भारत का शासन सीधे क्राउन के अधीन कर दिया गया। इस उद्घोषणा में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार पर रोक, लोगों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, एकसमान कानूनी सुरक्षा सबको उपलब्ध कराना शामिल थे। भारतीय रजवाड़ों के प्रति विजय और विलय की नीति का परित्याग कर दिया गया और सरकार ने राजाओं को गोद लेने की अनुमति प्रदान की तथापि अन्य आश्वासन ब्रिटिश शासन द्वारा पूरे नहीं किए जा सके।