1. यदि भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया जाता है, तो ऐसे विनिश्चय की तिथि से पूर्व राष्ट्रपति के पद के कर्तव्यों के निष्पादन में राष्ट्रपति के द्वारा किए गए सभी कृत्य अविधिमान्य हो जाते हैं।
2. भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन इस आधार पर मुल्तवी किया जा सकता है कि कुछ विधानसभाएं विघटित हो गई हैं और उनके निर्वाचन अभी होने शेष हैं।
3. कोई विधेयक भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत किए जाने पर, संविधान द्वारा विहित की गई समय-सीमा के अंदर राष्ट्रपति को अपनी अनुमति देनी होती है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
Correct Answer: (d) कोई भी नहीं
Solution:संविधान के अनुच्छेद 71(1) के अनुसार, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी विवादों और शंकाओं का विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है और उसका विनिश्चय अंतिम होता है। अनुच्छेद 71(2) के अनुसार, यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाता है, तो ऐसे विनिश्चय की तारीख को या उससे पूर्व, यथास्थिति, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद के कर्तव्यों के निष्पादन में किए गए कृत्य अविधिमान्य नहीं होते हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।अनुच्छेद 71(4) के अनुसार, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को, उनके निर्वाचकगण के सदस्यों में किसी रिक्ति के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा। अतः भारत के राष्ट्रपति पद के निर्वाचन को इस आधार पर स्थगित नहीं किया जा सकता है कि कुछ राज्यों की विधानसभाएं विघटित हो गई हैं और उनके निर्वाचन होने अभी बाकी हैं। इस प्रकार कथन 2 भी सही नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत कोई विधेयक राष्ट्रपति को अनुमति के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, उसे उस पर अनुमति देने के लिए किसी समय-सीमा का प्रावधान नहीं किया गया है। अतः कथन 3 भी सही नहीं है। इस प्रकार इस प्रश्न का कोई भी कथन सही नहीं है।