Correct Answer: (e) (a & c)
Solution:चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष) तथा आश्रम (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास) की अवधारणा का प्रारंभ उत्तर-वैदिक काल में हुआ था। वस्तुतः पुरुषार्थ का पूर्णरूपेण क्रियान्वयन आश्रमों के माध्यम से होता था। ये चारों पुरुषार्थ मानव जीवन के आधार स्तम्भ थे, जिनकी सफलता आश्रम पर निर्भर करती थी। ध्यातव्य है कि 'जाबालोपनिषद' में सर्वप्रथम चारों आश्रमों का उल्लेख प्राप्त होता है।