अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

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31. कथन (A): कृष्ण छिद्र एक ऐसा खगोलीय अस्तित्व है, जिसे दूरबीन से नहीं देखा जा सकता। [U.P. U.D.A/L.D.A. (Pre) 2001]

कारण (R): कृष्ण छिद्र पर गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि यह प्रकाश को भी बच निकलने नहीं देता।

उपरोक्त वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?

कूट:

Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सही है, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
Solution:कृष्ण छिद्र (Black Hole) एक असीमिति घनत्व का द्रव्ययुक्त पिण्ड है, जो प्रकाश को परावर्तित करने में अक्षम होने के कारण ही अदृश्य है। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि कोई भी द्रव्य यहां तक कि प्रकाश भी यहां से पलायन नहीं कर पाता है। यही कारण है कि कृष्ण छिद्र को दूरबीन से नहीं देखा जा सकता है।

32. श्याम विवर- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) सारे विकिरण जो इसके पास से प्रवाहित होते हैं, उनका अवशोषण करता है।
Solution:

श्याम विवर (Black Hole) एक अत्यधिक घनत्व वाला पिंड है, जहां गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि ये अपने नजदीक से प्रवाहित होने वाले सारे विकिरणों को अवशोषित कर लेता है।

33. पुच्छल तारे की पूंछ की दिशा सदैव होती है- [U.P.P.C.S (Mains) 2011]

Correct Answer: (a) सूर्य से दूर की ओर
Solution:सौरमंडल छोर पर विद्यमान छोटे-छोटे अरबों पिंड धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं। यह गैस एवं धूल का संग्रह हैं। इनकी पूंछ हमेशा सूर्य से दूर दिखाई देती है।

34. अत्यधिक घनत्व वाले नक्षत्रों को कहते हैं- [Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) न्यूट्रॉन स्टार्स
Solution:अत्यधिक घनत्व वाले नक्षत्र न्यूट्रॉन तारे' कहलाते हैं। ये विशाल तारों के सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे हुए कोर होते हैं। इनका घनत्व इतना अधिक होता है कि एक चम्मच न्यूट्रॉन तारे का पदार्थ अरबों किलोग्राम का हो सकता है।

35. अंतरिक्ष में कई सौ किमी./से. की गति से यात्रा कर रहे विद्युत आवेशी कण यदि पृथ्वी के धरातल पर पहुंच जाएं, तो जीव- जंतुओं को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये कण किस कारण से पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुंच पाते? [I.A.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (a) पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देती है।
Solution:अंतरिक्ष में तीव्र गति से यात्रा कर रहे विद्युत आवेशी कण पृथ्वी के घरातल पर नहीं पहुंच पाते क्योंकि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देता है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण 'औरोरा' (Aurora) है।

36. यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुंचता है. तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में कौन-से संभव प्रभाव होंगे? [I.A.S. (Pre) 2022]

1. GPS और दिक्संचालन (नेविगेशन) प्रणालियां विफल हो सकती हैं।

2. विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियां आ सकती है।

3. बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

4. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियां घटित हो सकती हैं।

5. ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियां घटित हो सकती है।

6. उपग्रहों की कक्षाएं विक्षुब्ध हो सकती हैं।

7. ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
Solution:सौर प्रज्याल (Solar flares) कोरोनल मास इंजेक्शन (Coronal Mass Injection), उच्च गति की सौर पवन (High-speed solar wind) तथा सौर ऊर्जा कण (Solar energetic particles), ये सभी सौर गतिविधि (Solar activity) के रूप है। सौर प्रज्वाल, वास्तव में सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा के निर्मोचन (Release) के द्वारा हुए विकिरण के तीव्र विस्फोट है, सौर प्रज्वाल हमारे सौरमंडल की सबसे बड़ी विस्फोटक घटनाएं (Largest explosive events) हैं। सौर प्रज्वाल (सौर तूफान) उच्च ऊर्जा कणों एवं विकिरण युक्त होते हैं, जो जीवित प्राणियों के लिए खतरनाक है। ये सौर प्रज्वाल पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र एवं वातावरण (Atmosphere) के कारण पृथ्वी के घरातल तक नहीं पहुंच पाते हैं, परंतु ये पृथ्वी के ऊपरी वातावरण तक पहुंचने पर पृथ्वी के आयनमंडल क्षेत्र में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। इसके परिणामस्वरूप- GPS और दिक्संचालन (नेविगेशन) प्रणालियां बाधित या विफल हो सकती है, उपग्रहों की क्क्षाएं विक्षुब्ध हो सकती हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है, पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियां (Auroras) घटित हो सकती है।

सौर प्रज्वाल के अंतर्गत सूर्य द्वारा उत्पन्न एक और घटना पृथ्वी के लिए और भी खतरनाक हो सकती है। इसे कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection: CME) के रूप में जाना जाता है। ये सौर विस्फोट का एक रूप है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में कणों (Particles) के फटने और विद्युत चुंबकीय उतार-चढ़ाव (Fluctuations) को प्रेरित करते हैं, जो विद्युत ग्रिड में ट्रांसफॉर्मर को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। एक CME के कण एक उपग्रह पर महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स से भी टकरा सकते हैं और इसकी प्रणाली को बाधित कर सकते हैं। विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियां एवं ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियों (Forest fires) के घटित होने से इसका संबंध नहीं है।

37. कथन (A): अंतरिक्षयान पृथ्वी पर उतरते समय कुछ क्षण के लिए भू-स्टेशन से रेडियो सम्पर्क खो देता है। [U.P. U.D.A/L.D.A. (Pre) 2002 U.P. P.C.S. (Pre) 2003]

कारण (R): जब एक अंतरिक्षयान पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है, तो यान की सतह का ताप बढ़ जाता है. जिससे उसके चारों ओर वायु आयनित हो जाती है।

उपरोक्त दोनों वक्तव्यों के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?

Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सही है, और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
Solution:अंतरिक्षयान के पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश के दौरान वायु के कणों से टकराने के फलस्वरूप उत्पन्न हुए घर्षण से अंतरिक्षयान की सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिससे उससे बारों ओर की वायु आयनित हो जाती है, जो रेडियो सिग्नलों को बाधित कर भू-स्टेशन से अंतरिक्षयान के सम्पर्क को प्रभावित करती है।

38. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2005]

1. तुल्यकारी उपग्रह लगभग 10,000 किमी. की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है।

2. संगीत के एफएम संचरण के उत्तम प्रकार का होने का कारण है कि वायुमण्डलीय अथवा कृत्रिम शोर जो सामान्यतः आवृत्ति परिवर्तन के रूप में होता है, इसके लिए अधिक हानिकारक नहीं होता।

उपरोक्त कथनों में कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:तुल्यकारी उपग्रह या भूस्थिर उपग्रह (Geostationary Satellite) की कक्षा की ऊंचाई लगभग 36,000 किमी. होती है। इस कक्षा में स्थापित एक उपग्रह के दायरे में धरती का एक-तिहाई भू-भाग आ जाता है। यदि इस कक्षा में तीन उपग्रह समान दूरियों पर स्थापित कर दिए जाएं, तो सारी दुनिया में संचार व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इस प्रकार कथन (1) सही नहीं है, जबकि कथन (2) सही है।

39. दूरसंचार प्रसारण हेतु प्रयुक्त उपग्रहों को भू-अप्रगामी कक्षा में रखा जाता है। एक उपग्रह ऐसी कक्षा में तब होता है, जब- [I.A.S. (Pre) 2011]

1. कक्षा भू-तुल्यकालिक होती है।

2. कक्षा वृत्ताकार होती है।

3. कक्षा पृथ्वी की भूमध्य रेखा के समतल होती है।

4. कक्षा 22,236 km की तुंगता पर होती है।

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिएः

Correct Answer: (a) केवल 1, 2 और 3
Solution:भू-अप्रगामी कक्षा एक वृत्तीय मूत्तुल्यकालिक कक्षा है, जो पृथ्वी की भूमध्य रेखा के समतल होती है। समुद्रतल से इस कक्षा की ऊंचाई अगभग 22,236 मील (35,786 किमी.) होती है। कभी-कभी इसे क्लार्क कदा के नाम से भी जाना जाता है। पृथ्वी के एक नियत बिंदु से देखने वर मू-अप्रगामी कक्षा में स्थापित कोई उपग्रह स्थिर प्रतीत होता है।

40. भू-स्थैतिक स्थिति क्या है? [U.P.P.C.S.(Mains) 2005]

Correct Answer: (c) जब कोई पदार्थ पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी की गति के समानुपाती उस गति से चलता है कि वह पृथ्वी पर स्थित किसी स्थान से निश्चित दूरी पर होता है।
Solution:जब कोई पदार्थ पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी की गति के समानुपाती उस गति से चलता है कि वह पृथ्वी पर स्थित किसी स्थान से निश्चित दूरी बनाए रखता है, तो इसे भू-स्थैतिक स्थिति कहते हैं। इसी सिद्धांत पर भूस्थिर उपग्रह कार्य करते हैं। इस प्रकार के उपग्रहों की कक्षा वृत्ताकार होती है और ये 24 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगाते हैं। इनकी गति पृथ्वी के परिभ्रमण से समान होने के कारण ये उपग्रह स्थिर प्रतीत होते हैं।