अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-5)

Total Questions: 48

1. धर्मराज कहा गया है - [Chhattisgarh. TET Exam Ist Paper (I-V), 2014]

निर्देश :- निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-2) के उत्तर दीजिए-

कितने लोग जानते हैं मेरा नाम सुयोधन था, दुर्योधन नहीं। कोई माता-पिता अपने बच्चे को दुर्योधन नहीं कहेंगे; तो क्या महाराज धृतराष्ट्र और महारानी गान्धारी अपने पुत्र को सुयोधन के बदले दुर्योधन कहते होंगे। कोई पिता अपने पुत्र को दुष्ट योद्धा कैसे कह सकता है! इतिहास ने मेरे साथ अत्याचार किया है। सदा से यही होता आया है कि पिता से राज्य का उत्तराधिकार पुत्र को मिलता है। मेरे दादा से मेरे पिता को मिला और पिता से पाने का अधिकार मुझे ही था। पर मेरे पिता के जीते जी ही पाण्डवों ने दाँव चलना प्रारम्भ कर दिया। माना कि जुएँ में मामा जी ने चालाकी की, पर युधिष्ठिर भाई साहब को किसने कहा था कि भाभी को दाँव पर लगाएँ। नारी जाति का अपमान तो उन्होंने किया। पति का कर्तव्य धर्मराज को याद नहीं रहा! जीत जाते तो सब कुछ पा जाते। पर दाँव में लगाकर हार गए तो तमाशा खड़ा कर दिया। उन पर जो विपत्तियाँ आयीं, वे बीज उनके बोये थे। मैंने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्होंने मेरा विनाश करने के लिए। जीतना उन्हें ही था, पर हाय रे दुर्भाग्य, आज हजारों वर्ष बाद भी लोग मेरा असली नाम तक नहीं जानते।

Correct Answer: (b) युधिष्ठिर को
Solution:गद्यांश के आधार पर 'धर्मराज' युधिष्ठिर को कहा गया है।

2. दुर्योधन दुःखी क्यों है? [Chhattisgarh. TET Exam Ist Paper (I-V), 2014]

निर्देश :- निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-2) के उत्तर दीजिए-

कितने लोग जानते हैं मेरा नाम सुयोधन था, दुर्योधन नहीं। कोई माता-पिता अपने बच्चे को दुर्योधन नहीं कहेंगे; तो क्या महाराज धृतराष्ट्र और महारानी गान्धारी अपने पुत्र को सुयोधन के बदले दुर्योधन कहते होंगे। कोई पिता अपने पुत्र को दुष्ट योद्धा कैसे कह सकता है! इतिहास ने मेरे साथ अत्याचार किया है। सदा से यही होता आया है कि पिता से राज्य का उत्तराधिकार पुत्र को मिलता है। मेरे दादा से मेरे पिता को मिला और पिता से पाने का अधिकार मुझे ही था। पर मेरे पिता के जीते जी ही पाण्डवों ने दाँव चलना प्रारम्भ कर दिया। माना कि जुएँ में मामा जी ने चालाकी की, पर युधिष्ठिर भाई साहब को किसने कहा था कि भाभी को दाँव पर लगाएँ। नारी जाति का अपमान तो उन्होंने किया। पति का कर्तव्य धर्मराज को याद नहीं रहा! जीत जाते तो सब कुछ पा जाते। पर दाँव में लगाकर हार गए तो तमाशा खड़ा कर दिया। उन पर जो विपत्तियाँ आयीं, वे बीज उनके बोये थे। मैंने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्होंने मेरा विनाश करने के लिए। जीतना उन्हें ही था, पर हाय रे दुर्भाग्य, आज हजारों वर्ष बाद भी लोग मेरा असली नाम तक नहीं जानते।

Correct Answer: (d) लोगों को आज तक उसका असली नाम नहीं मालूम।
Solution:दुर्योधन इसलिए दुःखी था कि लोगों को आज तक उसका असली नाम नहीं मालूम है।

3. उपर्युक्त अवतरण का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [UPSSSC कनिष्ठ सहायक (सा.च.) परीक्षा, 2016 (II)]

निर्देश :- अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-3) के उत्तर दीजिए।

तत्परता हमारी सबसे मूल्यवान् सम्पत्ति है। इसके द्वारा विश्वसनीयता प्राप्त होती है। वे लोग जो सदैव जागरूक रहते हैं, तत्काल कर्मरत हो जाते हैं और जो समय के पाबन्द हैं, वे सर्वत्र विश्वास के पात्र समझे जाते हैं। वे मालिक जो स्वयं कार्यतत्पर होते हैं, अपने कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं और काम की उपेक्षा करने वालों के लिए अंकुश का काम करते हैं। वे अनुशासन का साधन भी बनते हैं। इस प्रकार अपनी उपयोगिता और सफलता में अभिवृद्धि करने के साथ-साथ वे दूसरों की उपयोगिता और सफलता के भी साधन बनते हैं। एक आलसी व्यक्ति हमेशा ही अपने कार्य को भविष्य के लिए स्थगित करता जाता है, वह समय से पिछड़ता जाता है और इस प्रकार अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी विक्षोभ का कारण बनता है। उसकी सेवाओं का कोई आर्थिक मूल्य नहीं समझा जाता कार्य के प्रति उत्साह और उसे शीघ्रता से सम्पन्न करना कार्य-तत्परता के दो प्रमुख उपादान हैं, जो समृद्धि की प्राप्ति में उपयोगी बनते हैं।

 

Correct Answer: (c) कार्य-तत्परता
Solution:उपर्युक्त अवतरण का उपयुक्त शीर्षक 'कार्य-तत्परता' है।

4. जीवन में सफल सिद्ध होने के लिए आवश्यक उपादानों में से एक प्रमुख उपादान क्या है? [UPSSSC कनिष्ठ सहायक (सा.च.) परीक्षा, 2016 (II)]

निर्देश :- अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-3) के उत्तर दीजिए।

तत्परता हमारी सबसे मूल्यवान् सम्पत्ति है। इसके द्वारा विश्वसनीयता प्राप्त होती है। वे लोग जो सदैव जागरूक रहते हैं, तत्काल कर्मरत हो जाते हैं और जो समय के पाबन्द हैं, वे सर्वत्र विश्वास के पात्र समझे जाते हैं। वे मालिक जो स्वयं कार्यतत्पर होते हैं, अपने कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं और काम की उपेक्षा करने वालों के लिए अंकुश का काम करते हैं। वे अनुशासन का साधन भी बनते हैं। इस प्रकार अपनी उपयोगिता और सफलता में अभिवृद्धि करने के साथ-साथ वे दूसरों की उपयोगिता और सफलता के भी साधन बनते हैं। एक आलसी व्यक्ति हमेशा ही अपने कार्य को भविष्य के लिए स्थगित करता जाता है, वह समय से पिछड़ता जाता है और इस प्रकार अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी विक्षोभ का कारण बनता है। उसकी सेवाओं का कोई आर्थिक मूल्य नहीं समझा जाता कार्य के प्रति उत्साह और उसे शीघ्रता से सम्पन्न करना कार्य-तत्परता के दो प्रमुख उपादान हैं, जो समृद्धि की प्राप्ति में उपयोगी बनते हैं।

 

Correct Answer: (d) तत्परता
Solution:जीवन में सफल सिद्ध होने के लिए आवश्यक उपादानों में से एक प्रमुख उपादान तत्परता (कार्य शीघ्रता से सम्पन्न करना) है।

5. गद्यांश का उचित संक्षेपण कौन-सा है? [UPSSSC कनिष्ठ सहायक (सा.च.) परीक्षा, 2016 (II)]

निर्देश :- अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-3) के उत्तर दीजिए।

तत्परता हमारी सबसे मूल्यवान् सम्पत्ति है। इसके द्वारा विश्वसनीयता प्राप्त होती है। वे लोग जो सदैव जागरूक रहते हैं, तत्काल कर्मरत हो जाते हैं और जो समय के पाबन्द हैं, वे सर्वत्र विश्वास के पात्र समझे जाते हैं। वे मालिक जो स्वयं कार्यतत्पर होते हैं, अपने कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं और काम की उपेक्षा करने वालों के लिए अंकुश का काम करते हैं। वे अनुशासन का साधन भी बनते हैं। इस प्रकार अपनी उपयोगिता और सफलता में अभिवृद्धि करने के साथ-साथ वे दूसरों की उपयोगिता और सफलता के भी साधन बनते हैं। एक आलसी व्यक्ति हमेशा ही अपने कार्य को भविष्य के लिए स्थगित करता जाता है, वह समय से पिछड़ता जाता है और इस प्रकार अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी विक्षोभ का कारण बनता है। उसकी सेवाओं का कोई आर्थिक मूल्य नहीं समझा जाता कार्य के प्रति उत्साह और उसे शीघ्रता से सम्पन्न करना कार्य-तत्परता के दो प्रमुख उपादान हैं, जो समृद्धि की प्राप्ति में उपयोगी बनते हैं।

 

Correct Answer: (b) जागरूक व्यक्ति सदैव उत्साहित होकर तत्परता से अपने कार्य में जुट जाते हैं और अनुशासित होकर उसे समय पर पूरा कर डालते हैं। समय पर कार्य करने से वे अपने कार्य-क्षेत्र में सभी के विश्वास पात्र बन जाते हैं और यही विश्वसनीयता सफलता का साधन बनती है। यही तत्परता सफलता और समृद्धि का प्रमुख उपादान है।
Solution:गद्यांश का उचित संक्षेपण इस प्रकार है- जागरूक व्यक्ति सदैव उत्साहित होकर तत्परता से अपने कार्य में जुट जाते हैं और अनुशासित होकर उसे समय पर पूरा कर डालते हैं। समय पर कार्य करने से वे अपने कार्य क्षेत्र में सभी के विश्वास-पात्र बन जाते हैं और यही विश्वसनीयता सफलता का साधन बनती है। यही तत्परता सफलता और समृद्धि का प्रमुख उपादान है।

6. साहसी मनुष्य क्या उधार नहीं लेता ? [UPSSSC राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश के बाद 5 प्रश्न (1-5) दिए गए हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और चार विकल्पों में से प्रत्येक अपठित गद्यांश का सबसे उचित उत्तर चुनें।

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान है, कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि, तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरों की परवाह किए बगैर जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी ऐसे ही आदमी से मिलता है। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना तो भैंस और भेड़ का काम है। साहसी मनुष्य तो सिंह के समान होता है, जो अकेला होने पर भी मग्न रहता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा जो आदमी उपयुक्त अवसर मिलने पर भी साहस से काम न ले सका, वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। समय पर साहस न दिखाने वाला व्यक्ति अपने भीतर एक आवाज सुनता है जो उसे बराबर कहती है, तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।

Correct Answer: (a) सपने
Solution:साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है।

7. साहसी मनुष्य किसके समान है? [UPSSSC राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश के बाद 5 प्रश्न (1-5) दिए गए हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और चार विकल्पों में से प्रत्येक अपठित गद्यांश का सबसे उचित उत्तर चुनें।

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान है, कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि, तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरों की परवाह किए बगैर जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी ऐसे ही आदमी से मिलता है। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना तो भैंस और भेड़ का काम है। साहसी मनुष्य तो सिंह के समान होता है, जो अकेला होने पर भी मग्न रहता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा जो आदमी उपयुक्त अवसर मिलने पर भी साहस से काम न ले सका, वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। समय पर साहस न दिखाने वाला व्यक्ति अपने भीतर एक आवाज सुनता है जो उसे बराबर कहती है, तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।

Correct Answer: (c) सिंह
Solution:साहसी मनुष्य सिंह (शेर) के समान है।

8. दुनिया की परवाह किए बिना जीने वाले व्यक्ति से किसको प्रकाश मिलता है? [UPSSSC राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश के बाद 5 प्रश्न (1-5) दिए गए हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और चार विकल्पों में से प्रत्येक अपठित गद्यांश का सबसे उचित उत्तर चुनें।

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान है, कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि, तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरों की परवाह किए बगैर जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी ऐसे ही आदमी से मिलता है। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना तो भैंस और भेड़ का काम है। साहसी मनुष्य तो सिंह के समान होता है, जो अकेला होने पर भी मग्न रहता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा जो आदमी उपयुक्त अवसर मिलने पर भी साहस से काम न ले सका, वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। समय पर साहस न दिखाने वाला व्यक्ति अपने भीतर एक आवाज सुनता है जो उसे बराबर कहती है, तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।

Correct Answer: (c) मनुष्यता को
Solution:दुनिया की परवाह किए बिना जीने वाले व्यक्ति से मनुष्यता को प्रकाश मिलता है।

9. लेखक ने कैसे जीवन को महान बताया है? [UPSSSC राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश के बाद 5 प्रश्न (1-5) दिए गए हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और चार विकल्पों में से प्रत्येक अपठित गद्यांश का सबसे उचित उत्तर चुनें।

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान है, कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि, तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरों की परवाह किए बगैर जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी ऐसे ही आदमी से मिलता है। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना तो भैंस और भेड़ का काम है। साहसी मनुष्य तो सिंह के समान होता है, जो अकेला होने पर भी मग्न रहता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा जो आदमी उपयुक्त अवसर मिलने पर भी साहस से काम न ले सका, वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। समय पर साहस न दिखाने वाला व्यक्ति अपने भीतर एक आवाज सुनता है जो उसे बराबर कहती है, तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।

Correct Answer: (d) हिम्मत की
Solution:उक्त गद्यांश के लेखक ने हिम्मत (साहस) की जिन्दगी (जीवन) को महान् बताया है।

10. इनमें से कौन-सा व्यावहारिक शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द नहीं है? [UPSSSC राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश के बाद 5 प्रश्न (1-5) दिए गए हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और चार विकल्पों में से प्रत्येक अपठित गद्यांश का सबसे उचित उत्तर चुनें।

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान है, कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि, तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरों की परवाह किए बगैर जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी ऐसे ही आदमी से मिलता है। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना तो भैंस और भेड़ का काम है। साहसी मनुष्य तो सिंह के समान होता है, जो अकेला होने पर भी मग्न रहता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा जो आदमी उपयुक्त अवसर मिलने पर भी साहस से काम न ले सका, वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता। समय पर साहस न दिखाने वाला व्यक्ति अपने भीतर एक आवाज सुनता है जो उसे बराबर कहती है, तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।

Correct Answer: (b) आदर्शवादी
Solution:'आदर्शवादी' व्यावहारिक शब्द का पर्यायवाची नहीं है, जबकि व्यवहारशील, व्यवहारकुशल, व्यवहार में लाने के योग्य व्यावहारिक शब्द के पर्याय हैं।