अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-5)

Total Questions: 48

21. उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए। [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।

उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है। किसी भाव के अच्छे या बुरे होने का निश्चय अधिकतर उसको प्रवृत्ति के शुभ या अशुभ के परिणाम के विचार से होता है। वही उत्साह जो कर्तव्य कर्मों के प्रति इतना सुन्दर दिखायी पड़ता है, अकर्तव्य कर्मों की ओर होने पर वैसा श्लाघ्य प्रतीत नहीं होता। आत्मरक्षा, पररक्षा, देश रक्षा आदि के निमित्त साहस की जो उमंग देखी जाती है, उसके सौन्दर्य को परपीड़न, डकैती आदि कर्मों का साहस कभी नहीं पहुँच सकता। यह बात होते हुए भी विशुद्ध उत्साह या साहस की प्रशंसा संसार में थोड़ी बहुत होती ही है। अत्याचारियों या डाकुओं के शौर्य व साहस की कथाएँ भी लोग तारीफ करते हुए भी सुनते हैं।

गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए-

 

Correct Answer: (a) उत्साह
Solution:गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'उत्साह' होगा।

22. कुन्ती अपने नवजात सुकुमार शिशु को कहाँ छोड़कर आई थी ? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-4) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

कुन्ती अपने लाडले लाल को, अपने हृदय के टुकड़े को, अपने प्यारे नवजात शिशु को नदी में छोड़ कर लौट आयी। वह छोटी नदी थी। वायु अनुकूल थी, दैव की गति जानी नहीं जाती। वह नदी चम्बल नदी में जाकर मिलती है। अब शिशु की पिटारी बहती-बहती चम्बल नदी में आ गयी। इटावा के पास चम्बल नदी आकर श्री यमुना जी में मिलती है। अतः चम्बल के प्रवाह के साथ वह भी यमुना जी में आ गयी और यमुना जी के साथ प्रयाग की ओर बढ़ी। तीर्थराज प्रयाग में जाकर श्री यमुना जी गंगा जी में मिल जाती है। अतः अब वह मंजूषा शिशु को लेकर काशी की ओर बहने लगी। उसके साथ न कोई मल्लाह था, न पथ-प्रदर्शका भाग्य उसे स्वयं ही बहाकर ले जा रहा था। काशीपुरी, पाटलिपुत्र आदि राज्यों की सीमा को पार करती हुई गंगा जी के प्रवाह के साथ वह मंजूषा बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ी चली जा रही थी। आगे चलकर वह अंग देश की सीमा में पहुँची। अब मानो उसकी यात्रा समाप्त होगी, उसी समय चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी स्त्री राधा और अपने सेवकों के सहित गंगा स्नान करने आये थे। उन्होंने दूर से इस सुन्दर-सी पेटी को जाह्नवी की लहरों के साथ क्रीड़ा करते देखा। अन्त में उन्होंने अपने सेवकों को आज्ञा दी सामने यह जो मंजूषा बहती जा रही है, उसे पकड़ कर लाओ।

Correct Answer: (b) नदी
Solution:गद्यांश की द्वितीय पंक्ति से स्पष्ट होता है, कि \'कुन्ती अपने नवजात सुकुमार शिशु को नदी में छोड़कर आईं थीं।\'

23. मंजूषा को कौन लेकर जा रहा था? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-4) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

कुन्ती अपने लाडले लाल को, अपने हृदय के टुकड़े को, अपने प्यारे नवजात शिशु को नदी में छोड़ कर लौट आयी। वह छोटी नदी थी। वायु अनुकूल थी, दैव की गति जानी नहीं जाती। वह नदी चम्बल नदी में जाकर मिलती है। अब शिशु की पिटारी बहती-बहती चम्बल नदी में आ गयी। इटावा के पास चम्बल नदी आकर श्री यमुना जी में मिलती है। अतः चम्बल के प्रवाह के साथ वह भी यमुना जी में आ गयी और यमुना जी के साथ प्रयाग की ओर बढ़ी। तीर्थराज प्रयाग में जाकर श्री यमुना जी गंगा जी में मिल जाती है। अतः अब वह मंजूषा शिशु को लेकर काशी की ओर बहने लगी। उसके साथ न कोई मल्लाह था, न पथ-प्रदर्शका भाग्य उसे स्वयं ही बहाकर ले जा रहा था। काशीपुरी, पाटलिपुत्र आदि राज्यों की सीमा को पार करती हुई गंगा जी के प्रवाह के साथ वह मंजूषा बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ी चली जा रही थी। आगे चलकर वह अंग देश की सीमा में पहुँची। अब मानो उसकी यात्रा समाप्त होगी, उसी समय चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी स्त्री राधा और अपने सेवकों के सहित गंगा स्नान करने आये थे। उन्होंने दूर से इस सुन्दर-सी पेटी को जाह्नवी की लहरों के साथ क्रीड़ा करते देखा। अन्त में उन्होंने अपने सेवकों को आज्ञा दी सामने यह जो मंजूषा बहती जा रही है, उसे पकड़ कर लाओ।

Correct Answer: (d) भाग्य
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर यह कहा जा सकता है, कि \'मंजूषा को उसका भाग्य स्वयं बहाकर ले जा रहा था।\'

24. राजा अधिरथ ने सेवकों को क्या आज्ञा दी थी? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-4) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

कुन्ती अपने लाडले लाल को, अपने हृदय के टुकड़े को, अपने प्यारे नवजात शिशु को नदी में छोड़ कर लौट आयी। वह छोटी नदी थी। वायु अनुकूल थी, दैव की गति जानी नहीं जाती। वह नदी चम्बल नदी में जाकर मिलती है। अब शिशु की पिटारी बहती-बहती चम्बल नदी में आ गयी। इटावा के पास चम्बल नदी आकर श्री यमुना जी में मिलती है। अतः चम्बल के प्रवाह के साथ वह भी यमुना जी में आ गयी और यमुना जी के साथ प्रयाग की ओर बढ़ी। तीर्थराज प्रयाग में जाकर श्री यमुना जी गंगा जी में मिल जाती है। अतः अब वह मंजूषा शिशु को लेकर काशी की ओर बहने लगी। उसके साथ न कोई मल्लाह था, न पथ-प्रदर्शका भाग्य उसे स्वयं ही बहाकर ले जा रहा था। काशीपुरी, पाटलिपुत्र आदि राज्यों की सीमा को पार करती हुई गंगा जी के प्रवाह के साथ वह मंजूषा बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ी चली जा रही थी। आगे चलकर वह अंग देश की सीमा में पहुँची। अब मानो उसकी यात्रा समाप्त होगी, उसी समय चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी स्त्री राधा और अपने सेवकों के सहित गंगा स्नान करने आये थे। उन्होंने दूर से इस सुन्दर-सी पेटी को जाह्नवी की लहरों के साथ क्रीड़ा करते देखा। अन्त में उन्होंने अपने सेवकों को आज्ञा दी सामने यह जो मंजूषा बहती जा रही है, उसे पकड़ कर लाओ।

Correct Answer: (a) मंजूषा को लाने की
Solution:गद्यांश की अन्तिम पंक्ति से स्पष्ट है कि राजा अधिरथ ने सेवकों को मंजूषा को लाने की आज्ञा दी।

25. चम्पा नगरी के राजा किसके साथ गंगा स्नान करने आए थे? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-4) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

कुन्ती अपने लाडले लाल को, अपने हृदय के टुकड़े को, अपने प्यारे नवजात शिशु को नदी में छोड़ कर लौट आयी। वह छोटी नदी थी। वायु अनुकूल थी, दैव की गति जानी नहीं जाती। वह नदी चम्बल नदी में जाकर मिलती है। अब शिशु की पिटारी बहती-बहती चम्बल नदी में आ गयी। इटावा के पास चम्बल नदी आकर श्री यमुना जी में मिलती है। अतः चम्बल के प्रवाह के साथ वह भी यमुना जी में आ गयी और यमुना जी के साथ प्रयाग की ओर बढ़ी। तीर्थराज प्रयाग में जाकर श्री यमुना जी गंगा जी में मिल जाती है। अतः अब वह मंजूषा शिशु को लेकर काशी की ओर बहने लगी। उसके साथ न कोई मल्लाह था, न पथ-प्रदर्शका भाग्य उसे स्वयं ही बहाकर ले जा रहा था। काशीपुरी, पाटलिपुत्र आदि राज्यों की सीमा को पार करती हुई गंगा जी के प्रवाह के साथ वह मंजूषा बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ी चली जा रही थी। आगे चलकर वह अंग देश की सीमा में पहुँची। अब मानो उसकी यात्रा समाप्त होगी, उसी समय चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी स्त्री राधा और अपने सेवकों के सहित गंगा स्नान करने आये थे। उन्होंने दूर से इस सुन्दर-सी पेटी को जाह्नवी की लहरों के साथ क्रीड़ा करते देखा। अन्त में उन्होंने अपने सेवकों को आज्ञा दी सामने यह जो मंजूषा बहती जा रही है, उसे पकड़ कर लाओ।

Correct Answer: (a) राधा और सेवक़
Solution:चम्पा नगरी के राजा अधिरथ अपनी पत्नी राधा और अपने सेवकों के साथ गंगा स्नान करने आए थे।

26. किससे रहित राज्य किस काम का? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (IV)]

निर्देश :- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का? प्यारी मनुष्य-जाति का सुख ही जगत् के मंगल का मूल साधन है। बिना उसके सुख के अन्य सारे उपाय निष्फल हैं। धन की पूजा से ऐश्वर्य, तेज, बल और पराक्रम नहीं प्राप्त होने का। चैतन्य आत्मा की पूजा से ही ये पदार्थ प्राप्त होते हैं। चैतन्य-पूजा ही से मनुष्य का कल्याण हो सकता है। समाज का पालन करने वाली दूध की धारा जब मनुष्य के प्रेममय हृदय, निष्कपट मन और मित्रतापूर्ण नेत्रों से निकलकर बहती है, तब वही जगत में सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित करती है और वही उनमें फल भी लगाती है।

Correct Answer: (c) प्रियजनों से
Solution:गद्यांश की प्रथम पंक्ति में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है, कि अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का ?

27. 'जगत्' का अर्थ है- [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (IV)]

निर्देश :- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का? प्यारी मनुष्य-जाति का सुख ही जगत् के मंगल का मूल साधन है। बिना उसके सुख के अन्य सारे उपाय निष्फल हैं। धन की पूजा से ऐश्वर्य, तेज, बल और पराक्रम नहीं प्राप्त होने का। चैतन्य आत्मा की पूजा से ही ये पदार्थ प्राप्त होते हैं। चैतन्य-पूजा ही से मनुष्य का कल्याण हो सकता है। समाज का पालन करने वाली दूध की धारा जब मनुष्य के प्रेममय हृदय, निष्कपट मन और मित्रतापूर्ण नेत्रों से निकलकर बहती है, तब वही जगत में सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित करती है और वही उनमें फल भी लगाती है।

Correct Answer: (b) संसार
Solution:'जगत्' का अर्थ है- 'संसार'।

28. 'निष्फल' का आशय है- [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (IV)]

निर्देश :- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का? प्यारी मनुष्य-जाति का सुख ही जगत् के मंगल का मूल साधन है। बिना उसके सुख के अन्य सारे उपाय निष्फल हैं। धन की पूजा से ऐश्वर्य, तेज, बल और पराक्रम नहीं प्राप्त होने का। चैतन्य आत्मा की पूजा से ही ये पदार्थ प्राप्त होते हैं। चैतन्य-पूजा ही से मनुष्य का कल्याण हो सकता है। समाज का पालन करने वाली दूध की धारा जब मनुष्य के प्रेममय हृदय, निष्कपट मन और मित्रतापूर्ण नेत्रों से निकलकर बहती है, तब वही जगत में सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित करती है और वही उनमें फल भी लगाती है।

Correct Answer: (d) व्यर्थ
Solution:'निष्फल' का आशय है- 'व्यर्थ'।

29. 'सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित' करने का अर्थ है- [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2018 (IV)]

निर्देश :- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का? प्यारी मनुष्य-जाति का सुख ही जगत् के मंगल का मूल साधन है। बिना उसके सुख के अन्य सारे उपाय निष्फल हैं। धन की पूजा से ऐश्वर्य, तेज, बल और पराक्रम नहीं प्राप्त होने का। चैतन्य आत्मा की पूजा से ही ये पदार्थ प्राप्त होते हैं। चैतन्य-पूजा ही से मनुष्य का कल्याण हो सकता है। समाज का पालन करने वाली दूध की धारा जब मनुष्य के प्रेममय हृदय, निष्कपट मन और मित्रतापूर्ण नेत्रों से निकलकर बहती है, तब वही जगत में सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित करती है और वही उनमें फल भी लगाती है।

Correct Answer: (a) जीवन को सुखमय बनाना
Solution:'सुख के खेतों को हरा-भरा और प्रफुल्लित' करने का अर्थ है-'जीवन को सुखमय बनाना'।

30. आज की युवा पीढ़ी में मादक पदार्थों के प्रयोग की लत पड़ रही है। दिए गए कारणों में से इस लत का कौन-सा कारण उचित नहीं लगता? [PET-2022]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 1 से 5 तक) के उत्तर दीजिए।

मादक पदार्थों के प्रयोग की लत आज के युवाओं में तेजी से फैल रही है। कई बार फैशन की खातिर दोस्तों के उकसावे पर लिए गए ये मादक पदार्थ अक्सर जानलेवा होते हैं। स्कूल-कॉलेजों या पास-पड़ोस में गलत संगति के दोस्तों के साथ ही गुटखा, सिगरेट, शराब, गाँजा, भाँग, अफीम और धूम्रपान सहित चरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक पदार्थों के सेवन की ओर अपने आप कदम बढ़ जाते हैं। पहले उन्हें मादक पदार्थ फ्री में उपलब्ध कराकर इसका लती बनाया जाता है और फिर लती बनने पर वे इसके लिए चोरी से लेकर अपराध तक करने को तैयार हो जाते हैं। माँ-बाप द्वारा दिया गया जेब खर्च कम पड़ने लगता है। नशे के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सुइयाँ एच.आई.वी. का कारण भी बनती हैं, जो अन्ततः एड्स का रूप धारण कर लेती हैं। कई बार तो बच्चे घर के ही सदस्यों से नशे की आदत सीखते हैं। उन्हें लगता है कि जो बड़े कर रहे हैं, वह ठीक है और फिर वे भी घर में ही चोरी आरम्भ कर देते हैं। चिकित्सकीय आधार पर देखें स तो अफीम, हेरोइन, चरस, कोकीन तथा स्मैक जैसे मादक पदार्थों से व्यक्ति वास्तव में अपना मानसिक सन्तुलन खो बैठता है एवं पागल तथा सुप्तावस्था में हो जाता है। ये ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ हैं, जिनकी लत के प्रभाव में व्यक्ति अपराध तक कर बैठता है। ऐसे युवा उच्छृंखल, हिंसक, अनुशासनहीन, झगड़ालू, स्वास्थ्य 4 के प्रति लापरवाह और शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमज़ोर होते हैं। मामला सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं, अपितु अपराध से भी जुड़ा हुआ है। कहा भी गया है कि जीवन अनमोल है। नशे के सेवन से यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। भारत के अनेक राज्यों में युवा वर्ग में इन नशीली वस्तुओं का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। कॉलेज ही नहीं स्कूलों तक ये बीमारी पहुँच चुकी है। भारत के कई राज्यों में गाँजा व अफीम की खेती होती है और हेरोइन आदि का व्यापार खुले आम चल रहा है। कहाँ जा रही है हमारी युवा पीढ़ी ?

Correct Answer: (a) यदा-कदा पान-सुपारी का सेवन।
Solution:आज की युवा पीढ़ी में मादक पदार्थों के प्रयोग की लत पड़ती जा रही है। इसका प्रमुख कारण परिवार का धनी होना और बच्चों को अनियन्त्रित जेब खर्च मिलना, स्कूल-कॉलेज के आस-पास मादक पदार्थों की उपलब्धता तथा नशा करने वाले साथियों की संगति है। यदा-कदा पान-सुपारी का सेवन लत नहीं माना जा सकता।