Solution:भारत के संविधान में अनुच्छेद 32 तथा 226 के तहत क्रमशः उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को कुल 5 प्रकार की रिट जारी करने की शक्ति दी गई है, जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार-पृच्छा रिटें शामिल हैं।परमादेश का अर्थ है- हम आदेश देते हैं। इसके द्वारा न्यायालय किसी व्यक्ति, लोक प्राधिकारी, अधीनस्थ न्यायालय, सरकार या निगम को उनके विधिक, सांविधिक या लोक कर्तव्यों को करने या अवैध रूप से न करने का आदेश देता है।
किसी प्राइवेट व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध परमादेश (Mandamus) रिट तभी जारी की जाएगी, जबकि उसको कोई सार्वजनिक कार्य सौंपा गया है। अतः कथन 1 सत्य है। किसी कंपनी के विरुद्ध, यदि वह कोई सरकारी कंपनी हो, परमादेश हो सकता है। अतः कथन 2 असत्य है। अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto) रिट हेतु याची कोई भी लोक-प्रवण व्यक्ति (Public-minded person) हो सकता है, उसका उस पद से हितबद्ध होना या उसका दावेदार होना आवश्यक नहीं है। अतः कथन 3 भी सत्य है।