उद्योग क्षेत्र (भाग-2)(आर्थिक विकास)

Total Questions: 50

11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2019]

1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था।

2. वर्तमान में, कोयला खंडों का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।

3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:कथन 1 को छोड़कर शेष दोनों कथन 2 एवं 3 असत्य हैं, क्योंकि वर्तमान में कोयला ब्लॉकों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से नहीं बल्कि नीलामी के माध्यम से होता है। देश में कोयले की घरेलू आपूर्ति की कमी हेतु कोयले का आयात करना पड़ रहा है। (अद्यतन आंकड़ों के आधार पर) कोयले का आयात एवं उत्पादन (मिलियन टन) में निम्न हैं-

आयात

उत्पादन

    वर्ष 

  2021-22

    वर्ष

  2022 -23

      वर्ष 

    2023-24

      वर्ष 

  2021-22

      वर्ष 

   2022 -23

      वर्ष 

  2023 -24

208.93

237.67

200.23

778.21

893.19

880.70

= दिसंबर, 2023 तक # अप्रैल-फरवरी, 2023-24

12. विनिर्माण क्षेत्र में किसे शामिल नहीं किया जाता है? [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (e) निर्माण उद्योग
Solution:मशीनों, औजारों और श्रम का उपयोग करके सामान बनाने की क्रिया को विनिर्माण (Manufacturing) कहते हैं। विनिर्माण के अंतर्गत हस्तकला से लेकर उच्च तकनीकी तक की गतिविधियां शामिल होती हैं, किंतु इस शब्द का उपयोग प्रायः औद्योगिक उत्पादन के अर्थ में किया जाता है। इसमें कच्चा माल बड़े पैमाने पर तैयार माल में बदला जाता है। निर्माण उद्योग को विनिर्माण से अलग रखा जाता है। इस उद्योग के तहत बुनियादी सुविधाओं (भवन, पुल, बांध आदि) का निर्माण किया जाता है।

13. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) अधिनियम, 2020 के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2016]

1. भारत सरकार ने 13 मई, 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत एम.एस.एम.ई. की नई परिभाषा घोषित की है।

2. यह बदली परिभाषा 1 जून, 2020 से प्रभावी है।

3. नई परिभाषा में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की इकाइयों में वर्गीकरण का एक समान सूत्र अपनाया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

कूट :

Correct Answer: (b) 1 और 3 केवल
Solution:2006 में एमएसएमई विकास अधिनियम अस्तित्व में आने के 14 वर्ष बाद 13 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत MSME के परिभाषा में संशोधन किए जाने की घोषणा की गई थी। नई परिभाषा के अनुसार, सूक्ष्म उद्यम वह है, जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा उपस्कर में एक करोड़ रुपये से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होता है। लघु उद्यम वह है, जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा उपस्कर में 10 करोड़ से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका करोबार 50 करोड़ से अधिक नहीं होता है। मध्यम उद्यम वह है, जिसमें 50 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका करोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होता है। इस नई परिभाषा में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की इकाइयों में वर्गीकरण का एक समान सूत्र अपनाया गया है। यह बदली परिभाषा 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

14. निम्न में से किस वर्ष में MSME का अद्यतन वर्गीकरण किया गया था? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (d) 2020
Solution:2006 में एमएसएमई विकास अधिनियम अस्तित्व में आने के 14 वर्ष बाद 13 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत MSME के परिभाषा में संशोधन किए जाने की घोषणा की गई थी। नई परिभाषा के अनुसार, सूक्ष्म उद्यम वह है, जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा उपस्कर में एक करोड़ रुपये से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होता है। लघु उद्यम वह है, जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा उपस्कर में 10 करोड़ से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका करोबार 50 करोड़ से अधिक नहीं होता है। मध्यम उद्यम वह है, जिसमें 50 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश नहीं होता है तथा उसका करोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होता है। इस नई परिभाषा में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की इकाइयों में वर्गीकरण का एक समान सूत्र अपनाया गया है। यह बदली परिभाषा 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

15. 1991 की उद्योग नीति में लघु उद्योग के लिए सामान्य व सहायक उद्यम (Auxiliary Unit) निवेश राशि स्वीकृत है- [M.P.P.C.S. (Pre) 1991*]

Correct Answer: (d) 60 लाख रु., 75 लाख रु.
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक

16. भारत में जिन व्यवसायों का विनियोग 1 करोड़ रुपये तक तथा कारोबार 5 करोड़ रुपये तक है, उन्हें जाना जाता है - [U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]

Correct Answer: (c) सूक्ष्म उद्यम
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक

17. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (एमएसएमईडी) पारित हुआ- [U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) 2006 ई. में
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक

18. नई औद्योगिक नीति, 1991 में लघु उद्योगों के लिए पूंजी विनियोग की सीमा है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (b) 60 लाख रु.
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक

19. लघु निर्माणी उद्योग में प्लांट एवं मशीनरी में विनियोग की मात्रा होनी चाहिए - [U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016]

Correct Answer: (c) 25 लाख रुपये से ऊपर परंतु 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं।
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक

20. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अनुसार, उसे मध्यम उद्यम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी निवेश राशि होती है- [U.P. P.C.S (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) रु. 5 करोड़ से रु. 10 करोड़
Solution:वर्ष 1991 की उद्योग नीति में, 1985 की नीति में तय लघु इकाइयों की निवेश सीमा को 35 लाख रु. से बढ़ाकर 60 लाख रु. तथा सहायक उद्योग में निवेश की सीमा को 45 लाख रु. से बढ़ाकर 75 लाख रु. कर दिया गया था। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अधिनियम, 2006 (प्रभावी तिथि-अक्टूबर, 2006) के तहत सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) एवं मध्यम (Medium) उद्यमों के लिए निवेश सीमा दो वर्गों- (A) विनिर्माण उद्यम तथा (B) सेवा उद्यम में बांटकर निर्धारित किया गया है। वर्ष 2006 के बाद संयंत्र तथा मशीनरी के लिए निवेश सीमा निम्नवत है-
क्षेत्रसूक्ष्म उद्यमलघु उद्यममध्यम उद्यम
विनिर्माण क्षेत्र25 लाख रु. से अधिक नहीं25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं
सेवा क्षेत्र10 लाख रु. से अधिक नहीं10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

1 जून, 2020 को सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (Micro) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश तथा 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर किया गया है। छोटी इकाई (Small) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई (MSMEs) विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है, जो 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी है।

निवेश एवं वार्षिक टर्न ओवर

विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

संयंत्र एवं मशीनरी अथवा उपस्कर

श्रेणी

पुराना निवेश (विनिर्माण)

पुराना निवेश 

  (सेवा)

  नया निवेश

नया टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक नहीं

1 करोड़

रु. तक

5 करोड़

रु. तक

लघु

25 लाख रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

10 लाख रु. से अधिक लेकिन 2 करोड़ रु. से अधिक नहीं

    10 करोड़

     रु. तक

  50 करोड़ 

    रु. तक

मध्यम

5 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 10 करोड़ रु. से अधिक नहीं

2 करोड़ रु. से अधिक लेकिन 5 करोड़ रु. से अधिक नहीं

  50 करोड़ 

   रु. तक

    250 करोड़ 

     रु. तक