Correct Answer: (d) D
Solution:चक्रवात के अलग-अलग भागों में विभिन्न प्रकार की वायुराशियों तथा तापक्रमों के कारण मौसम में अनेक अनियमितताएं होती हैं। चक्रवात के आगमन के साथ वायु का वेग मंद हो जाता है, वायुदाब गिरने लगता है, पक्षाभ तथा पक्षाभ स्तरीय मेघ छा जाते हैं। उष्ण वाताग्र (A) के आने पर वर्षा प्रारंभ हो जाती है, चूंकि इस वाताग्र में गर्म हवा धीरे-धीरे ऊपर उठती है, अतः वर्षा मंद गति से होती है। उष्ण वाताग्र के गुजर जाने पर उष्ण वृत्तांश (B) का आगमन होता है, मौसम में अचानक एवं तीव्र परिवर्तन होकर वर्षा रुक जाती है और आकाश साफ हो जाता है। उष्ण वृत्तांश के गुजर जाने पर शीत वाताग्र (D) आ जाता है, जिसके साथ तापक्रम गिरने लगता है। सर्दी बढ़ने लगती है। आकाश पुनः मेघाच्छादित हो जाता है तथा वर्षा प्रारंभ हो जाती है। शीत वाताग्र के क्षेत्र में चूंकि गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है, अतः इस भाग की वर्षा मूसलाधार होती है। परंतु यह अल्पकालिक, कम विस्तृत क्षेत्र में और तड़ित झंझायुक्त होती है। शीत वाताग्र के गुजर जाने पर शीत वृत्तांश (C) का आगमन होता है। इसमें आकाश मेघरहित होकर स्वच्छ हो जाता है।