Correct Answer: (c) तुगलक
Note: विजारत एक ऐसी संस्था थी, जिसे इस्लामी संविधान में मान्यता दी गई थी। जिन गैर-अरबी संस्थाओं को अंतर्मुक्त किया गया तथा मुस्लिम सम्राटों के अधीन मंत्रिपरिषद के लिए जो नाम व्यवहार में लाए गए थे, उन्हें विजारत की संज्ञा दी गई थी। विजारत को एक संस्था के रूप में अपनाने की प्रेरणा अब्बासी खलीफाओं ने फारस से ली थी। महमूद गजनवी के राज्यकाल में अब्बास फजल-बिन-अहमद प्रथम वजीर हुए, जो शासन व्यवस्था चलाने में निपुण थे। राज्य का प्रधानमंत्री वजीर कहलाता था। वजीर मुख्यतया राजस्व विभाग (दीवान-ए-विजारत) का प्रधान होता था। इस दृष्टि से वह लगान, कर व्यवस्था, दान तथा सैनिक व्यय आदि सभी की देखभाल करता था। तुगलक काल मुस्लिम भारतीय विजारत का 'स्वर्ण काल' था। फिरोज तुगलक के समय वजीर का पद अपने चरमोत्कर्ष पर जा पहुंचा। गयासुद्दीन तुगलक ने अपने कार्यकाल में एक नया प्रयोग किया जिसके अंतर्गत उसने भूतपूर्व वजीरों-ख्वाजा खातिर, ख्वाजा मुहज्जब तथा निजामुलमुल्क जुनैदी को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया और वह न केवल महत्वपूर्ण मामलों पर उनसे सलाह लेता था, बल्कि उनके विचारों को महत्व भी देता था।