परिसंचरण तंत्र (Part – II)

Total Questions: 21

1. निम्न में से एंटिजन्स की मूल विशेषता क्या है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (b) वे प्रतिरक्षियों के निर्माण को प्रेरित करते हैं।
Solution:प्रतिजन (Antigens) वे पदार्थ हैं, जो प्रतिपिंड या प्रतिरक्षी (Antibody) के निर्माण को उद्दीप्त करते हैं तथा प्रतिरक्षा तंत्र को प्रवर्तित करते हैं। प्रतिजन दो प्रकार की ग्लाइकोप्रोटीन्स (Glycoproteins) के रूप में होते हैं- 'ए' तथा 'बी' (A and B)। एंटीबॉडी भी दो प्रकार के होते हैं- a-रोधी (Anti-A or a) तथा b-रोधी (Anti-B or b), किंतु ये विशुद्ध प्रोटीन्स (Pure Proteins) के रूप में होते हैं।

2. शरीर में निम्न में से कौन-सा संक्रमण से हमारी रक्षा करता है? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (b) डब्ल्यू, बी. सी.
Solution:

डब्ल्यू, बी. सी. (श्वेत रक्त कणिकाएं) विशेष रुधिर कणिकाएं होती हैं, जो कि शरीर के किसी रोग से संक्रमित होने पर उस विशेष संक्रमित स्थल पर पहुंच कर हानिकारक जीवाणुओं (Bacteria), विषाणुओं (Viruses) कवकों (Fungi) इत्यादि का भक्षण करके शरीर को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा ये शरीर के प्रतिरक्षण, एलर्जी तथा अति संवेदनशीलता (Hypersensitivity) की स्थिति में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।

3. सफेद रक्त कण का मुख्य कार्य है- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (c) रोग प्रतिरोधक क्षमता धारण करना
Solution:डब्ल्यू, बी. सी. (श्वेत रक्त कणिकाएं) विशेष रुधिर कणिकाएं होती हैं, जो कि शरीर के किसी रोग से संक्रमित होने पर उस विशेष संक्रमित स्थल पर पहुंच कर हानिकारक जीवाणुओं (Bacteria), विषाणुओं (Viruses) कवकों (Fungi) इत्यादि का भक्षण करके शरीर को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा ये शरीर के प्रतिरक्षण, एलर्जी तथा अति संवेदनशीलता (Hypersensitivity) की स्थिति में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।

4. रुधिर के प्लाज्मा में निम्नलिखित में से किसके द्वारा एंटीबॉडी निर्मित होती है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (b) लिम्फोसाइट
Solution:रुधिर के प्लाज्मा (Plasma) में लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) द्वारा एंटीबॉडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन्स निर्मित होती है, जो कि विष पदार्थों को निष्क्रिय (Inactive) करती हैं। लिम्फोसाइट्स सबसे छोटे श्वेत रुधिराणु किंतु संख्या में अधिक (कुल W.B.Cs. का 20-30%) होते है। इनका केंद्रक बड़ा और गोल या एक और कुछ चिपटा-सा होता है। लिम्फोसाइट्स गश्ती सेना की भांति समस्त शरीर में घूमती रहती हैं तथा सुरक्षा तंत्र के सारे भागों के बीच सामंजस्य स्थापित करती हैं।

5. प्रतिरक्षा (असंक्राम्यता) का सर्वाधिक संबंध है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (a) लिम्फोसाइट्स से
Solution:रुधिर के प्लाज्मा (Plasma) में लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) द्वारा एंटीबॉडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन्स निर्मित होती है, जो कि विष पदार्थों को निष्क्रिय (Inactive) करती हैं। लिम्फोसाइट्स सबसे छोटे श्वेत रुधिराणु किंतु संख्या में अधिक (कुल W.B.Cs. का 20-30%) होते है। इनका केंद्रक बड़ा और गोल या एक और कुछ चिपटा-सा होता है। लिम्फोसाइट्स गश्ती सेना की भांति समस्त शरीर में घूमती रहती हैं तथा सुरक्षा तंत्र के सारे भागों के बीच सामंजस्य स्थापित करती हैं।

6. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक. मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? [I.A.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (d) वे शरीर को रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती है।
Solution:प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रतिरक्षा अनुक्रियाएं मानव शरीर के रक्त में मौजूद दो विशेष प्रकार की लसीकाणुओं (Lymphocytes) द्वारा होती हैं। ये हैं- B- लसीकाणु या B- कोशिकाएं तथा T- लसीकाणु या T- कोशिकाएं। उल्लेखनीय है कि रोगजनकों की अनुक्रिया में B- कोशिकाएं मानव रक्त में प्रोटीन की एक श्रृंखला उत्पन्न करती है, ताकि वे रोगजनकों से लड़ सकें। ये प्रोटीन प्रतिरक्षी Antibodies कहलाती है। गौरतलब है कि T-कोशिकाएं स्वयं तो एंटीबॉडीज का लवण नहीं करती, किंतु प्रोटीन उत्पन्न करने में B- कोशिकाओं की सहायता करती है। ये प्रतिरक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण भाग है, जो शरीर को रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती हैं।

7. मानव रक्त की श्यानता का कारण है- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (a) रक्त में प्रोटीन
Solution:मानव रक्त की श्यानता मुख्यतः प्लाज्मा में प्रोटीन, हीमाटोक्रिट (रक्त में लाल रुधिर कणिकाओं का आयतन प्रतिशत) आदि पर निर्भर करती है। रक्त में श्वेत रुधिर कणिकाओं एवं प्लेटलेट्स (बिम्बाणु) की उपस्थिति का उसकी श्यानता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।

8. मानव के श्वेत रक्त कणों (डब्ल्यू.बी.सी.) का व्यास होता है, लगभग- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) 0.007 मिमी.
Solution:श्वेत रक्त कण (W.B.C.) प्रायः मनुष्यों में पाए जाते हैं। इनकी संख्या लाल रक्त कणों से कम होती है। ये दो प्रकार के होते हैं-कणिकामय तथा कणिकाविहीन। श्वेत रक्त कण हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र बनाते है। 'लिम्फोसाइट' (Lymphocyte) एक प्रकार की श्वेत रक्त कणिकाएं होती है, जिनका व्यास लगभग 7 माइक्रोमीटर (0.007 मिलीमीटर) होता है।

9. रुधिर में श्वेत रक्त कणिकाओं की अत्यधिक मात्रा में उपस्थिति को रोग विज्ञान की भाषा में कहते हैं- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (b) ल्यूकेमिया
Solution:ल्यूकेमिया (Leukemia) को रक्त कैंसर (Blood Cancer) कहते हैं, जिसमें रुधिर में श्वेत रक्त कणिकाओं (White Blood Corpuscles- W.B.Cs.) की संख्या आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है।

10. लाल रक्त कणिकाएं मुख्यतया बनती है- [Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2006 Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) अस्थि मज्जा में
Solution:लाल रक्त कणिकाएं श्वसन अंगों से ऑक्सीजन लेकर इसे सारे शरीर में पहुंचाने का कार्य करती है। लाल रक्त कणिकाएं अस्थि मज्जा (Bone marrow) में विकसित होती है तथा मनुष्य के शरीर में लगभग 120 दिनों तक प्रसारित होती रहती है। तिल्ली या प्लीहा (Spleen) पुरानी रक्त कणिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है।