पूर्व मध्य काल (800-1200 ई.) (UPPCS)

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41. निम्नलिखित में से किसे एक नया संवत् चलाने का यश प्राप्त है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (d) लक्ष्मण सेन
Solution:लक्ष्मण सेन (1178-1206 ई.) सेन वंश के शासक थे। इन्होंने 28 वर्षों तक शासन किया। इनके द्वारा एक नए संवत् 'लक्ष्मण संवत्' का प्रारंभ किया गया।

42. लक्ष्मण संवत् का प्रारंभ निम्नलिखित किस वंश द्वारा किया गया था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Correct Answer: (d) सेनों द्वारा
Solution:लक्ष्मण सेन (1178-1206 ई.) सेन वंश के शासक थे। इन्होंने 28 वर्षों तक शासन किया। इनके द्वारा एक नए संवत् 'लक्ष्मण संवत्' का प्रारंभ किया गया।

43. निम्नलिखित में से कौन-से मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता थे? [I.A.S. (Pre) 1995 & U.P.P.C.S. (Pre) 1995]

1. विज्ञानेश्वर

2. हेमाद्रि

3. राजशेखर

4. जीमूतवाहन

नीचे दिए हुए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए-

कूट :

Correct Answer: (c) 1, 2 और 4
Solution:विज्ञानेश्वर, हेमाद्रि एवं जीमूतवाहन मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता थे। विज्ञानेश्वर ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर 'मिताक्षरा' शीर्षक से टीकाग्रंथ लिखा। जीमूतवाहन ने 'दायभाग' नामक ग्रंथ की रचना की। हेमाद्रि 13वीं शताब्दी में कर्नाटक के विद्वान थे। इन्होंने आयुर्वेद के ग्रंथ अष्टांग हृदय पर टीका लिखी है। इसके अलावा इन्होंने चतुर्वर्ग चिन्तामणि नामक पुस्तक लिखी तथा राज कार्यों के लिए नियमों पर भी पुस्तक लिखी है, अतः यह भी मध्यकालीन विधिवेत्ता थे। राजशेखर गुर्जर प्रतिहार शासक महेंद्रपाल प्रथम एवं उसके पुत्र महीपाल प्रथम के दरबार में रहते थे, इन्होंने कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, विद्धशालभंजिका, बालरामायण, भुवनकोश, हरविलास जैसे ग्रंथों की रचना की।

44. महान संस्कृत कवि एवं नाटककार राजशेखर निम्न में से किसके दरबार से संबंधित थे? [R. A. S./R.T.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (e) (b & c)
Solution:विज्ञानेश्वर, हेमाद्रि एवं जीमूतवाहन मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता थे। विज्ञानेश्वर ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर 'मिताक्षरा' शीर्षक से टीकाग्रंथ लिखा। जीमूतवाहन ने 'दायभाग' नामक ग्रंथ की रचना की। हेमाद्रि 13वीं शताब्दी में कर्नाटक के विद्वान थे। इन्होंने आयुर्वेद के ग्रंथ अष्टांग हृदय पर टीका लिखी है। इसके अलावा इन्होंने चतुर्वर्ग चिन्तामणि नामक पुस्तक लिखी तथा राज कार्यों के लिए नियमों पर भी पुस्तक लिखी है, अतः यह भी मध्यकालीन विधिवेत्ता थे। राजशेखर गुर्जर प्रतिहार शासक महेंद्रपाल प्रथम एवं उसके पुत्र महीपाल प्रथम के दरबार में रहते थे, इन्होंने कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, विद्धशालभंजिका, बालरामायण, भुवनकोश, हरविलास जैसे ग्रंथों की रचना की।

45. सूची-I (राजवंश) एवं सूची-II (राजधानी) को कूट के आधार पर मिलाइए- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]

सूची-I (राजवंश)सूची-II (राजधानी)
1. प्रतिहारअ. तंजौर
2. चोलब.अन्हिलवाड़
3. परमारस. धारा
4. सोलंकीद. कन्नौज

कूट :

 

Correct Answer: (d) 1-द, 2-अ, 3-स, 4-ब
Solution:विकल्पगत राजाओं में नन्नुक, चंदेल वंश का संस्थापक है। जयशक्ति भी चंदेल वंश का शासक है। नागभट्ट II गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक है तथा भोज परमार वंश का शासक है।

46. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए- [I. A. S. (Pre) 2022]

राजाराजवंश
1. नानुकचंदेल
2. जयशक्तिपरमार
3. नागभट्ट द्वितीयगुर्जर-प्रतिहार
4. भोजराष्ट्रकूट

उपर्युक्त युग्मों में कितने सही सुमेलित हैं?

Correct Answer: (b) केवल दो युग्म
Solution:विकल्पगत राजाओं में नन्नुक, चंदेल वंश का संस्थापक है। जयशक्ति भी चंदेल वंश का शासक है। नागभट्ट II गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक है तथा भोज परमार वंश का शासक है।

47. गुर्जर-प्रतिहार वंश की स्थापना की थी- [U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002 & U.P.P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (a) नागभट्ट प्रथम
Solution:अग्निकुल के राजपूतों में सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रतिहार वंश था। गुर्जरों की शाखा से संबंधित होने के कारण इतिहास में इसे गुर्जर-प्रतिहार वंश के नाम से जाना जाता है। गुर्जर-जाति का प्रथम उल्लेख पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल प्रशस्ति में हुआ है। बाणभट्ट के हर्षचरित में भी गुर्जरों का उल्लेख मिलता है। गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम (730-756 ई.) था। ग्वालियर अभिलेख से पता चलता है कि उसने म्लेच्छ शासक की विशाल सेना को नष्ट कर दिया था, जो संभवतः सिंध का अरब शासक था। इस प्रकार नागभट्ट ने अरबों के आक्रमण से पश्चिम भारत की रक्षा भी की थी।

48. राजवंश जो कन्नौज पर आधिपत्य स्थापित करने में त्रिकोणीय संघर्ष में उलझे हुए थे, वह थे- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]

1. चोल

2. पाल

3. गुर्जर

4. राष्ट्रकूट

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए।

कूट :

Correct Answer: (c) 2, 3 एवं 4
Solution:हर्ष की मृत्यु के बाद कन्नौज विभिन्न शक्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गया। इसे वही स्थान प्राप्त हुआ, जो गुप्त युग तक मगध का था। इसे 'महोदय', 'महोदयश्री' आदि नामों से अभिव्यक्त किया गया है। अतः इस पर अधिकार करने के लिए आठवीं सदी की तीन बड़ी शक्तियों-पाल, गुर्जर-प्रतिहार तथा राष्ट्रकूट के बीच त्रिकोणीय संघर्ष प्रारंभ हो गया, जो आठवीं-नवीं शताब्दी के उत्तर भारत के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस संघर्ष में अंततः प्रतिहारों को सफलता मिली।

49. निम्नलिखित में से कौन त्रिकोणात्मक संघर्ष का हिस्सा नहीं था? [U.P. P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (d) चोल
Solution:हर्ष की मृत्यु के बाद कन्नौज विभिन्न शक्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गया। इसे वही स्थान प्राप्त हुआ, जो गुप्त युग तक मगध का था। इसे 'महोदय', 'महोदयश्री' आदि नामों से अभिव्यक्त किया गया है। अतः इस पर अधिकार करने के लिए आठवीं सदी की तीन बड़ी शक्तियों-पाल, गुर्जर-प्रतिहार तथा राष्ट्रकूट के बीच त्रिकोणीय संघर्ष प्रारंभ हो गया, जो आठवीं-नवीं शताब्दी के उत्तर भारत के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस संघर्ष में अंततः प्रतिहारों को सफलता मिली।

50. महोदया किसका पुराना नाम है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2012]

Correct Answer: (c) कन्नौज
Solution:हर्ष की मृत्यु के बाद कन्नौज विभिन्न शक्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गया। इसे वही स्थान प्राप्त हुआ, जो गुप्त युग तक मगध का था। इसे 'महोदय', 'महोदयश्री' आदि नामों से अभिव्यक्त किया गया है। अतः इस पर अधिकार करने के लिए आठवीं सदी की तीन बड़ी शक्तियों-पाल, गुर्जर-प्रतिहार तथा राष्ट्रकूट के बीच त्रिकोणीय संघर्ष प्रारंभ हो गया, जो आठवीं-नवीं शताब्दी के उत्तर भारत के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस संघर्ष में अंततः प्रतिहारों को सफलता मिली।