प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन

Total Questions: 26

1. इतिहास का अध्ययन किन विषयों को जानने में सहायता करता है?

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी
Solution:इतिहास का अध्ययन न सिर्फ लोगों की संस्कृति को जानने में बल्कि धर्म संबंधित समझ विकसित करने के साथ सामाजिक व्यवस्था को जानने-समझने में भी मदद करता है। उपर्युक्त सभी विकल्प सत्य हैं।

2. अतीत का अध्ययन हमें क्या-क्या सिखाता है?

(i) अतीत से वर्तमान और भविष्य तक का सबक ।

(ii) उन गलतियों के दोहराव से बचना जिनसे समूल मानव जाति संकट मे पड़ती है।

(iii) समरसता, शांति व समृद्धि को बढ़ाना।

(iv) आज की परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझना।

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी
Solution:अतीत गलतियों के दोहराव से बचाता है तथा परिस्थितियों को बेहतर बनाता है। यह समरसता, शांति व समृद्धि को भी बढ़ाने में मदद करता है। अतः कहा जा सकता है, कि अतीत वर्तमान व भविष्य का सबक है। उपर्युक्त सभी विकल्प अतीत के अध्ययन के संबंध में प्रासंगिक हैं।

3. कालांतर में भारत आने वाली प्रजातियों के समुच्चय का चयन करें-

Correct Answer: (b) तुर्क, हूण, शक, प्राक-आर्य, हिंद-आर्य, यूनानी
Solution:कालांतर में भारत मे अनेक विदेशी प्रजातियां आयीं, जिनमें बहुत सी प्रजातियों ने भारत को अपना घर बनाया, जो क्रमवार निम्नं हैं- प्राक-आर्य, हिंद-आर्य, यूनानी, तुर्क, हूण और शक।

4. भारतवर्ष नाम किस प्राचीन वंश के नाम पर पड़ा है?

Correct Answer: (d) भरत वंश
Solution:भारतवर्ष का नाम 'भरत' नामक प्राचीन वंश के नाम पर पड़ा। इसके निवासियों को 'भरत संतति' कहा गया है।

5. 'इण्डिया' नाम किस भाषा के सबसे नजदीक है?

Correct Answer: (c) यूनानी
Solution:हिंदू शब्द संस्कृत के सिंध शब्द से निकला है। कालक्रमेण यह देश 'इण्डिया' के नाम से मशहूर हुआ। 'इण्डिया' नाम यूनानी पर्याय के नजदीक है। यह फारसी और अरबी भाषाओं में 'हिंद' नाम से विदित हुआ है।

6. ईसा-पूर्व तीसरी सदी में लगभग देश भर की लिंगुआ-फ्रैंका / संपर्क भाषा बनकर कौन सी भाषा सामने आयी?

Correct Answer: (c) प्राकृत
Solution:

ईसा-पूर्व तीसरी सदी में 'प्राकृत' भाषा ने देश भर में लिंगुआ- फ्रैंका/संपर्क भाषा का कार्य किया। ईसा पूर्व तीसरी सदी के बाद यह स्थान 'संस्कृत' ने ले लिया और देश के कोने-कोने में राजभाषा के रूप में प्रचलित हुई, जिसका प्रभाव गुप्त काल तक रहा।

7. 'दि वण्डर दैट वाज इंडिया' नामक पुस्तक किस इतिहासकार की है?

Correct Answer: (a) ए.एल.बाशम
Solution:

'दि वण्डर दैट वाज इण्डिया' के लेखक ब्रिटिश इतिहासकार ए. एल.बाशम हैं। इन्होंने अपनी पुस्तक में भारतीय समाज का गहन अध्ययन करते हुए कहा कि प्राचीन विश्व के किसी भी अन्य भाग में मनुष्य-मनुष्य के बीच और मनुष्य तथा राज्य के बीच के संबंध इतने अच्छे और मानवोचित नहीं रहे, जितने भारत में थे।

8. निम्नलिखित विकल्पों में से पुराणों के अनुसार इतिहास के विषयों को सही क्रम में मिलाएं।

List-IList-II
(A) सर्ग(i) समय की आवृत्ति
(B) प्रतिसर्ग(ii) सृष्टि का प्रत्यावर्तन
(C) मन्वंतर(iii) सृष्टि की उत्पत्ति
(D) वंशानुचरित(iv) चुने हुए पात्रों की जीवनियां

 

ABCD
iiiiiiiv
iviiiiii
iiiiiiiv
iiiiiivi
Correct Answer: (c)
Solution:

पुराणों के अनुसार इतिहास के विषयों को मुख्यतः पांच वर्गों में विभाजित किया गया है- (1) सर्ग सृष्टि की उत्पत्ति (2) प्रतिसर्ग सृष्टि का प्रत्यावर्तन एवं प्रतिविकास (3) मन्वंतर - समय की आवृत्ति (4) वंश - राजाओं और ऋषियों की वंशावलियां (5)

वंशानुचरित - चुने हुए पात्रों की जीवनियां।

9. प्राचीन भारत के बारे में भारत की सीमाओं से बाहर भारत के इतिहास को लिखने का प्रयास सर्वप्रथम किसने किया?

Correct Answer: (d) यूनानियों ने
Solution:जब हम प्राचीन भारत के बारे में भारत की सीमाओं से बाहर लिखे गए इतिहास पर नजर डालते हैं, तो हमें पता चलता है, कि इस दिशा में सबसे पहला प्रयास यूनानी लेखकों का है, जिसमें उल्लेखनीय हैं-हेरोडोटस, नियार्कस, मेगस्थनीज, प्लूटार्क, एरियन, स्ट्रैबो, प्लिनी और टॉल्मी ।

10. किस यूनानी इतिहासकार ने भारतीय इतिहास का गहन रूप से अध्ययन किया?

Correct Answer: (b) मेगस्थनीज
Solution:इतिहास लेखन की दृष्टि से मेगस्थनीज को छोड़कर सभी यूनानी इतिहासकारों ने सही अर्थों में केवल सीमांतिक रूप से भारत को स्पर्श किया है। उनका सरोकार अधिकांशतः भारत के उत्तर- पश्चिमी भागों और प्रधानतः उन क्षेत्रों से रहा जो फारस (पर्शिया) और यूनान के क्षत्रपों के राज्यों के भाग थे अथवा जहां सिकंदर का अभियान हुआ था।