Correct Answer: (d) 1, 2 एवं 4
Solution:कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन का निर्णय लिया। इसके विरोध में राष्ट्रवादियों द्वारा आंदोलन की शुरुआत 7 अगस्त, 1905 को हुई। कलकत्ता के टाउन हॉल में कृष्ण कुमार मित्र और सुरेंद्रनाथ बनर्जी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जहां स्वदेशी आंदोलन प्रारंभ करने और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का निर्णय लिया गया। 16 अक्टूबर, 1905 को जब बंगाल विभाजन लागू हो गया, उस दिन को 'शोक दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की गई। रबींद्रनाथ टैगोर के सुझाव पर इसे 'राखी दिवस' के रूप में भी मनाया गया। यह दिवस राष्ट्रवादियों द्वारा बंगाल की अटूट एकता को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया। टैगोर के शांतिनिकेतन के तर्ज पर 'बंगाल नेशनल कॉलेज' की स्थापना की गई। बहुत कम समय में पूरे देश में अनेक राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना हो गई। अगस्त, 1906 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद का गठन हुआ। स्वदेशी आंदोलन ने आत्मनिर्भरता, आत्मशक्ति का नारा दिया। स्वावलंबन व आत्मनिर्भरता का प्रश्न राष्ट्रीय स्वाभिमान, आदर और आत्मविश्वास के साथ जुड़ा था। कांग्रेस ने भी अपने कलकत्ता अधिवेशन (1906) में स्वदेशी आंदोलन, बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन से संबद्ध चार प्रस्ताव पारित किए। अतः स्पष्ट है कि बंगाल विभाजन के विरोध में राष्ट्रवादियों ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन जैसे आंदोलन चलाए। वर्ष 1920 के नागपुर अधिवेशन में सी.आर. दास ने गांधीजी के असहयोग प्रस्ताव को पेश किया।