बौद्ध धर्म (UPPCS) (Part-2)

Total Questions: 50

1. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए : [U.P.P.C.S. (Mains) 2005]

Symbol (सूची-I)Meaning (सूची-II)
A. जन्म (Birth)1. बोधि वृक्ष (Bodhi Tree)
B. प्रथम प्रवचन (First Sermon)2. धर्मचक्रप्रवर्तन (Setting in Motion the Wheel of Dharma)
C. महाबोधि (Great Enlightenment)3. घोड़ा (Horse)
D. त्याग (Renunciation)4. कमल (Lotus)
CodeABCD
(a)1234
(b)4321
(c)3412
(d)4213

 

Correct Answer: (d)
Solution:
Symbol (सूची-I)Meaning (सूची-II)
जन्म (Birth)कमल (Lotus)
प्रथम प्रवचन (First Sermon)धर्मचक्रप्रवर्तन (Setting in Motion the Wheel of Dharma)
महाबोधि (Great Enlightenment)बोधि वृक्ष (Bodhi Tree)
गृह त्याग (Renunciation)घोड़ा (Horse)

2. करमापा लामा तिब्बत के बुद्ध संप्रदाय के किस वर्ग का है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (b) कंग्यूपा
Solution:करमापा लामा तिब्बत के बौद्ध संप्रदाय 'कंग्यूपा' वर्ग से संबंधित हैं।

3. महात्मा बुद्ध के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन सही है? [U.P.P.S.C. (GIC) 2010]

1. उनका जन्म कपिलवस्तु में हुआ था।

2. उन्होंने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया था।

3. उन्होंने वैदिक धर्म को अस्वीकार किया था।

4. उन्होंने आर्य सत्य का प्रचार किया था।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए :

कूट :

Correct Answer: (d) 1, 2, 3 तथा 4
Solution:उपर्युक्त प्रश्न में विकल्प (d) सही उत्तर है; क्योंकि उपर्युक्त सभी कथन सही हैं (जन्म-कपिलवस्तु के लुम्बिनी में, ज्ञान-बोधगया, वैदिक धर्म की अस्वीकार्यता तथा चार आर्य सत्यों का प्रचार सभी सही हैं)।

4. बोधगया में महाबोधि मंदिर बनाया गया, जहां- [45th B.P.S.C. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ।
Solution:बोधगया में 6 वर्ष की साधना के पश्चात 35 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध को वैशाख पूर्णिमा की रात को एक पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ।

5. बोधगया में 'बोधि वृक्ष' अपने वंश की इस पीढ़ी का है- [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) पंचम
Solution:महाबोधि मंदिर में स्थित वर्तमान बोधि वृक्ष वही नहीं है, जिसके नीचे बैठकर महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। ह्वेनसांग के अनुसार, उस मूल वृक्ष को सातवीं शताब्दी में सम्राट शशांक ने नष्ट करा दिया था। वर्तमान वृक्ष जिसे हम देख रहे हैं वह पांचवीं पीढ़ी का वृक्ष है, जिसे अलेक्जेंडर कनिंघम ने लगवाया था। यह वृक्ष पूरी तरह संरक्षित है और केवल इससे गिरी हुई पत्तियों को ही छूने एवं उठाने का अधिकार है।

6. निम्नलिखित में से कौन-सा बौद्ध पवित्र स्थल निरंजना नदी पर स्थित था? [U.P.P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (a) बोधगया
Solution:पवित्र बौद्ध स्थल बोधगया, जहां गौतम बुद्ध को सर्वप्रथम ज्ञान प्राप्त हुआ था, निरंजना नदी पर स्थित है। आधुनिक फाल्गु (फल्गु) नदी को ही पूर्व में निरंजना के नाम से जाना जाता था। यह नदी दो छोटी धाराओं निरंजना एवं मोहना के मिलने के बाद बनती है।

7. बुद्ध के उपदेश किससे संबंधित हैं? [U.P.P.C.S. (Pre) 1991]

Correct Answer: (d) आचरण की शुद्धता व पवित्रता
Solution:महात्मा बुद्ध के उपदेश आचरण की पवित्रता एवं शुद्धता से संबंधित हैं। बुद्ध के उपदेशों में आत्मा संबंधी विवाद नहीं है। धार्मिक कर्मकांडों की बुद्ध ने आलोचना की है।

8. निम्नलिखित में से कौन बुद्ध के जीवनकाल में ही संघ प्रमुख होना चाहता था? [U.P.P.C.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (a) देवदत्त
Solution:देवदत्त, बुद्ध का चचेरा भाई था। वह पहले उनका अनुगत बना और फिर उनका विरोधी बन गया। वह बौद्ध संघ से बुद्ध को हटाकर स्वयं संघ का प्रधान बनना चाहता था; किंतु उसे इसमें सफलता नहीं मिली। वस्तुतः देवदत्त उसी दिन से संघ का प्रधान बनने की सोचने लगा था, जब वह पहले-पहले भिक्षु बना था।

9. गौतम बुद्ध ने अपनी मृत्यु के उपरांत बौद्ध संघ के नेतृत्व के लिए निम्न में से किसे नामित किया था? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2002]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution:कुशीनारा में मल्लों के सालवन में विश्राम के दौरान अपनी मृत्यु से पूर्व बुद्ध ने भिक्षुओं को निकट बुलाकर धर्मोपदेश दिया- 'आनंद, शायद तुम ऐसा सोचो कि हमारे शास्ता चले गए, अब हमारा शास्ता नहीं है। आनंद, ऐसा मत समझना। मैंने जो धर्म और विनय किए हैं, मेरे बाद वे ही तुम्हारे शास्ता होंगे।' इस प्रकार स्पष्ट है कि बुद्ध ने अपनी मृत्यु के उपरांत बौद्ध संघ के नेतृत्व के लिए किसी को नामित नहीं किया था, बल्कि अपने उपदेशों (धर्म एवं विनय) को ही मार्गदर्शक बताया था।

10. अष्टांग मार्ग की संकल्पना, अंग है- [I.A.S. (Pre) 1998]

Correct Answer: (d) धर्मचक्रप्रवर्तन सुत्त की विषयवस्तु का
Solution:गौतम बुद्ध ने चतुर्थ आर्य सत्य में दुःख निरोध का उपाय बताया। इसे 'दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा' कहा जाता है। इसे 'मध्यमा प्रतिपदा' या मध्यम मार्ग भी कहते हैं। इस मध्यमा प्रतिपदा में आठ सोपान हैं। इसलिए इसे 'अष्टांगिक मार्ग' भी कहते हैं। ये आठों सोपान हैं-सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्मांत, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति एवं सम्यक् समाधि। अष्टांगिक मार्ग धर्मचक्रप्रवर्तन सुत्त की विषयवस्तु का अंग है।