ब्रिटिश ताज के शासनाधीन पारित अधिनियम

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1. भारतीय परिषद अधिनियम (1861) के संबंध में निम्न कथनों को पढ़कर सही विकल्प चुनें- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021]

(i) इस अधिनियम के फलस्वरूप गवर्नर जनरल की कार्यपालिका परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 7 हो गई।

(ii) विधि निर्माण के लिए अतिरिक्त सदस्यों की संख्या कम-से-कम 6 और अधिक-से-अधिक 12 कर दी गई।

(iii) प्रांतीय और केंद्रीय विषयों में किसी तरह का भेदभाव नहीं रखा गया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं?

 

Correct Answer: (b) (ii) और (iii)
Note:

भारतीय परिषद अधिनियम, 1861 के द्वारा भारत के गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद को पोर्टफोलियो प्रणाली पर कार्य करने वाली कैबिनेट में बदल दिया गया था, जिसमें राजस्व, सैन्य, कानून, वित्त और गृह विभागों के प्रमुख के रूप में पांच सदस्य शामिल थे। 1874 ई. में इसमें छठा सदस्य (लोक निर्माण विभाग हेतु) जुड़ा। इस अधिनियम के द्वारा विधायी कार्य के लिए अतिरिक्त सदस्यों की संख्या न्यूनतम 6 और अधिकतम 12 कर दी गई थी, जिन्हें गवर्नर जनरल द्वारा 2 वर्ष की अवधि हेतु नामित किया जाता था। इन अतिरिक्त सदस्यों में से कम-से-कम आधे गैर-सरकारी होने थे। इस अधिनियम के तहत केंद्रीय और प्रांतीय विषयों के बीच कोई भेद नहीं किया गया था।

 

2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 के संबंध में निम्न कथनों को पढ़कर सही विकल्प चुनें - [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021]

(i) इसे 20 जून, 1892 को लागू किया गया।

(ii) कुल 24 सदस्यों में से गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या 5 थी।

(iii) सदस्यों को पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं?

 

Correct Answer: (c) (i) और (iii)
Note:

भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 को ब्रिटिश संसद से पारित होने के बाद 20 जून, 1892 को शाही स्वीकृति प्राप्त हुई तथा यह 3 फरवरी, 1893 को लागू किया गया। इस प्रकार कथन (i) सही नहीं है।

 

इस अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल की परिषद में विधायी कार्यों हेतु अतिरिक्त सदस्यों की संख्या बढ़ाकर न्यूनतम 10 तथा अधिकतम 16 कर दी गई। इन अतिरिक्त सदस्यों में से कम-से-कम आधे गैर- सरकारी होने थे। तत्संबंधी विनियमों के तहत इन अतिरिक्त सदस्यों में 6 सरकारी सदस्यों और 10 गैर-सरकारी सदस्यों की व्यवस्था की गई। उल्लेखनीय है कि इन गैर-सरकारी सदस्यों में भारतीय और यूरोपीय दोनों (जो क्राउन की सैन्य या नागरिक सेवा में न हों) शामिल

 

थे। इस प्रकार कथन (ii) सही नहीं है।

 

1892 के अधिनियम के तहत सदस्यों को वार्षिक बजट पर बहस करने तथा सरकार से 6 दिन की पूर्व नोटिस पर प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया, परंतु पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं था। इस प्रकार कथन (iii) भी सही नहीं है।

 

3. निम्नलिखित में से किस अधिनियम के अंतर्गत भारतीय विधान परिषद को बजट पर बहस करने की शक्ति प्राप्त हुई? [U.P. P.C.S (Pre) 2003]

Correct Answer: (b) भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
Note:

1892 के भारतीय परिषद अधिनियम ने विधान परिषद के कार्यों में वृद्धि की। इसके तहत बजट पर बहस करने की शक्ति दी गई, परंतु मतदान का अधिकार नहीं था। इस अधिनियम के तहत 6 दिन की 8 पूर्व नोटिस पर कार्यपालिका से प्रश्न पूछने की अनुमति दी गई, परंतु पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं था।

 

4. ब्रिटिश भारत में सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था निम्नलिखित में से किस अधिनियम द्वारा की गई थी? [M.P.P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (b) मार्ले-मिंटो सुधार, 1909
Note:

भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार, 1909) द्वारा ब्रिटिश भारत में सर्वप्रथम सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई, जिसके अंतर्गत मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया।

 

5. 1909 का अधिनियम संबंधित था- [M.P.P.C.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (a) पृथक मताधिकार क्षेत्र के लागू करने से
Note:

भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार, 1909) द्वारा ब्रिटिश भारत में सर्वप्रथम सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई, जिसके अंतर्गत मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया।

 

6. निम्नलिखित में से किस एक अधिनियम द्वारा भारत में संघीय न्यायालय की स्थापना की गई थी? [U.P.P.C.S. (Pre) 2014]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Note:

 

भारत में संघीय न्यायालय की स्थापना 1 अक्टूबर, 1937 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत की गई थी। इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस ग्वेयर थे। उपर्युक्त दिए गए विकल्पों में भारत सरकार अधिनियम, 1935 नहीं होने के कारण विकल्प (d) सही उत्तर है।

 

7. भारत का संघीय न्यायालय निम्नलिखित में से किस वर्ष में स्थापित किया गया था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (b) 1937
Note:

 

भारत में संघीय न्यायालय की स्थापना 1 अक्टूबर, 1937 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत की गई थी। इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस ग्वेयर थे। उपर्युक्त दिए गए विकल्पों में भारत सरकार अधिनियम, 1935 नहीं होने के कारण विकल्प (d) सही उत्तर है।

 

8. केंद्र में 'द्वैध शासन' किस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित किया गया? [U.P. P.C.S (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) भारत सरकार अधिनियम, 1935
Note:

भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत केंद्र में 'द्वैध शासन', एक नए अखिल भारतीय संघ ('भारत संघ- Federation of India' के नाम से) की स्थापना तथा प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त करने का प्रावधान किया गया (प्रांतों में द्वैध शासन का उपबंध 1919 के अधिनियम द्वारा किया गया था)। केंद्र में द्वैध शासन के तहत संघीय विषयों को दो भागों में बांटा गया-आरक्षित (Reserved) और हस्तांतरित विषय (Transferred Subjects)|

 

9. निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली को स्थापित किया? []

Correct Answer: (a) भारत शासन अधिनियम, 1935
Note:

भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत केंद्र में 'द्वैध शासन', एक नए अखिल भारतीय संघ ('भारत संघ- Federation of India' के नाम से) की स्थापना तथा प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त करने का प्रावधान किया गया (प्रांतों में द्वैध शासन का उपबंध 1919 के अधिनियम द्वारा किया गया था)। केंद्र में द्वैध शासन के तहत संघीय विषयों को दो भागों में बांटा गया-आरक्षित (Reserved) और हस्तांतरित विषय (Transferred Subjects)|

 

10. 1919 के भारत शासन अधिनियम की निम्नलिखित में से कौन-सी प्रमुख विशेषता/विशेषताएं हैं/ हैं? []

1. प्रांतों की कार्यकारिणी सरकार में द्वैध शासन की व्यवस्था

2. मुसलमानों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचक-मंडलों की व्यवस्था

3. केंद्र द्वारा प्रांतों को विधायिनी शक्ति का हस्तांतरण

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :

 

Correct Answer: (c) केवल 1 और 3
Note:

भारत शासन अधिनियम, 1919 ब्रिटिश संसद के द्वारा पारित अधिनियम था, जिसका उद्देश्य भारतीय शासन में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाना था। इस अधिनियम को भारत सचिव एडविन मॉन्टेग्यू एवं वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा राज्यों में द्वैध शासन (Dyarchy) की स्थापना की गई, जिसके तहत प्रत्येक राज्य में राज्य के प्रशासनिक विषयों को दो श्रेणियों में बांटा गया (अ) आरक्षित एवं (ब) हस्तांतरित। आरक्षित विषय प्रांतीय गवर्नर एवं उसकी कार्यकारी परिषद के तहत रखे गए, जबकि हस्तांतरित विषयों का उत्तरदायित्व प्रांतीय विधायिका के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों को सौंपा गया। साथ ही केंद्र और प्रांतों के मध्य भी शक्तियों का बंटवारा संघीय एवं प्रांतीय विषयों के रूप में किया गया। जहां तक मुसलमानों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था का प्रश्न है, तो यह प्रावधान 1909 के अधिनियम में ही कर दिया गया था। 1919 के अधिनियम में यह व्यवस्था न केवल जारी रही बल्कि इसे सिक्खों, यूरोपियों, भारतीय ईसाइयों एवं एंग्लो-इंडियनों के लिए भी विस्तारित किया गया।