Solution:प्रसिद्ध क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी से दो दिन पहले जब दूध पीने हेतु दिया गया तो इन्होंने अस्वीकार कर दिया और कहा, "अब मैं केवल अपनी मां का दूध लूंगा।" पंडित बिस्मिल एक उम्दा शायर भी थे। फांसी के तख्त पर जाने से पहले 19 दिसंबर, 1927 को इन्होंने अपना अंतिम शेर पढ़ा था, जो इस प्रकार था-"मालिक तेरी रजा रहे, और तू ही तू रहे
बाकी न मैं रहूं न मेरी आरजू रहे,
जब तक तन में सांस, रगों में लहू रहे
तेरा ही जिक्रेयार और तेरी ही जुस्तजू रहे।"
उ.प्र. लोक सेवा आयोग ने अपने प्रारंभिक उत्तर-पत्रक में इस प्रश्न के उत्तर के रूप में विकल्प (c) को प्रदर्शित किया था, जबकि संशोधित
उत्तर-पत्रक में इस प्रश्न को विलोपित कर दिया गया।