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I. सभी प्रतिरोध दो दिए गए बिंदुओं के बीच संयोजित हैं।
II. परिपथ का तुल्य प्रतिरोध व्यष्टि प्रतिरोध से अधिक होता है।
III. प्रत्येक प्रतिरोध के टर्मिनलों के बीच विभवांतर समान होता है।
(i) चुंबकीय बल रेखाएँ केंद्र में चालक युक्त संकेंद्रित वृत्त होती है।
(II) जैसे-जैसे हम चालक से दूर जाते हैं, चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ती जाती है।
(iii) चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दाएँ हाथ के अंगूठे के नियम का उपयोग करके निर्धारित की जा सकती है।