1. महासागरीय धाराएं महासागर में जल का मंद भू-पृष्ठ संचलन होती हैं।
2. महासागरीय धाराएं पृथ्वी का ताप संतुलन बनाए रखने में सहायक होती हैं।
3. महासागरीय धाराएं मुख्यतः सनातन पवनों द्वारा चलायमान होती हैं।
4. महासागरीय धाराएं महासागर संरूपण द्वारा प्रभावित होती हैं।
इनमें से कौन-से वक्तव्य सही हैं?
Correct Answer: (d) 1, 2, 3 और 4
Note: महासागरों के जल के एक निश्चित दिशा में प्रवाहित होने की गति को 'महासागरीय धारा' कहा जाता है। अधिकांश धाराएं सनातनी पवन वेग से प्रेरित होकर आगे बढ़ती हैं। धाराओं की गति एवं सीमा निश्चित नहीं होती है। सामान्यतः गति मंद होती है और सतह का केवल भू-पृष्ठ जल ही गतिशील रहता है। अतः कथन 1 एवं 3 सही हैं। तापमान की महासागरीय धाराओं के संचलन में भूमिका रहती है, क्योंकि विषुवतरेखीय जलधारा तापमान से ही प्रेरित होती है। कुछ शीत क्षेत्रों में गर्म जलधाराओं (यथा गल्फ स्ट्रीम) का तथा कुछ ग्रीष्म क्षेत्रों में ठंडी जलधाराओं (यथा बेंगुला धारा) की ताप संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अतः कथन (2) भी सही है। महासागरीय धाराएं प्रचलित पवनें और पृथ्वी की परिभ्रमण गति के अतिरिक्त महासागरीय संरूपण द्वारा भी प्रभावित होती हैं। इनमें तट की दिशा एवं आकार तथा महासागरीय स्थलाकृतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। अतः कथन (4) भी सत्य है।