मुद्रा एवं बैंकिंग (भाग – 4)(आर्थिक विकास)

Total Questions: 50

41. मौद्रिक नीति है- [U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) राजकोषीय नीति का पूरक
Solution:मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति की पूरक होती है। मौद्रिक नीति ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। रिजर्व बैंक ब्याज दरों को घटाकर अर्थव्यवस्था में नकदी का अनुपात बढ़ाता है तथा ब्याज दरों को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में नकदी का अनुपात घटाता है। मुद्रा की तरलता का अनुपात ही मांग को प्रभावित करता है। मौद्रिक नीति प्रभावी मांग को नियंत्रित करने हेतु एक प्रत्यक्ष उपाय भी है।

42. निम्नलिखित में से कौन-सा एक मौद्रिक नीति का उद्देश्य नहीं है? [U.P.P.C.S (Mains) 2011]

Correct Answer: (c) आय एवं परिसंपत्तियों का साम्यिक वितरण
Solution:आय एवं परिसंपत्तियों का साम्यिक वितरण, मौद्रिक नीति का उद्देश्य नहीं है। शेष तीनों मौद्रिक नीति के उद्देश्य हैं।

43. मौद्रिक नीति का निर्माण भारत में कौन करता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2006 R.A.S./R.T.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) आर.बी.आई.
Solution:प्रश्नकाल में मौद्रिक नीति का निर्माण भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता था। वर्ष 2016 से मौद्रिक नीति का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक के तहत मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा किया जा रहा है। मौद्रिक नीति का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में विनिमय स्थिरता, कीमत स्थिरता एवं आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।

44. भारत में, निम्नलिखित में कौन मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है? [I.A.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (d) भारतीय रिजर्व बैंक
Solution:प्रश्नकाल में मौद्रिक नीति का निर्माण भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता था। वर्ष 2016 से मौद्रिक नीति का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक के तहत मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा किया जा रहा है। मौद्रिक नीति का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में विनिमय स्थिरता, कीमत स्थिरता एवं आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।

45. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पॉलिसी कमेटी / MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? [I.A.S. (Pre) 2017]

1. यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है।

2. यह एक 12 सदस्यीय निकाय है, जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।

3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:मौद्रिक नीति समिति (MPC) मौद्रिक नीति (नीतिगत दरों यथा रेपो, रिवर्स रेपो, स्थायी जमा सुविधा दर आदि) के निर्माण एवं समीक्षा के लिए सरकार द्वारा, गठित छः सदस्यीय समिति है, जिसे वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित RBI Act, 1934 की धारा 45ZB के तहत वैधानिक और संस्थागत ढांचा प्रदान किया गया है। इस समिति में रिजर्व बैंक के गवर्नर (अध्यक्ष के रूप में) सहित तीन प्रतिनिधियों तथा सरकार द्वारा नामित तीन प्रतिनिधियों का प्रावधान रखा गया है। वर्तमान में इस छः सदस्यीय समिति में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (अध्यक्ष) के अलावा उपगवर्नर डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और डॉ. राजीव रंजन, प्रो. जे.आर. वर्मा, डॉ. आशिमा गोयल एवं डॉ. शशांक भिडे सदस्य के रूप में मनोनीत हैं। समिति में सरकार के प्रतिनिधि सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्ष तथा समिति की बैठक एक वर्ष में कम-से-कम 4 बार आयोजित होने का प्रावधान है।

46. भारत में 'मुद्रा एवं साख' का नियंत्रण किया जाता है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा
Solution:भारत में 'मुद्रा एवं साख' का नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा परिमाणात्मक व गुणात्मक उपायों का उपयोग किया जाता है।

47. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में चयनात्मक उधार नियंत्रण का साधन नहीं है? [I.A.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (d) परिवर्ती कोष अनुपात (Variable Reserve Ratio)
Solution:प्रश्नगत प्रथम तीन विकल्प चयनात्मक साख नियंत्रण की विधियां हैं, जबकि अंतिम विकल्प (d) मात्रात्मक साख नियंत्रण की विधि है।

मौद्रिक नीति के उपकरण या साख नियंत्रण के तरीके/साधन/विधियां

परिमाणात्मक साख नियंत्रण विधियांचयनात्मक या गुणात्मक साख नियंत्रण विधियां
• बैंक दर

• सीमांत स्थायी सुविधा दर

• खुली बाजार की क्रियाएं

• तरलता समायोजन सुविधा (LAF) (रेपो स्थायी जमा सुविधा तथा रिवर्स रेपो)

• परिवर्तनीय कोष अनुपात (नकद आरक्षित अनुपात- CRR), सांविधिक तरलता अनुपात (SLR)

• न्यूनतम सीमा या मार्जिन निर्धारण

• नैतिक दबाव

• साख की राशनिंग

• उपभोक्ता उधार का नियमन

• साख स्वीकृतिकरण योजना

48. निम्न में से कौन-सा उपाय चयनात्मक साख नियंत्रण के संबंध में सही विकल्प नहीं है? [Raj. P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना
Solution:साख को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति के उपस्करों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है - परिमाणात्मक तथा गुणात्मक। परिमाणात्मक उपाय प्रकृति में गैर-भेदभावपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जब किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा एक निश्चित ब्याज दर निर्धारित की जाती है, तो यह दर देश के संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली पर लागू होती है। इसके विपरीत, गुणात्मक उपाय समाज के एक वर्ग से दूसरे वर्ग तक भिन्न होते हैं। इसका उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ऋण को विनियमित करने के लिए किया जाता है। चयनात्मक साख नियंत्रण केंद्रीय बैंकों द्वारा साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि से संबंधित है। इसके अंतर्गत उधार सीमा (मार्जिन) में परिवर्तन, साख राशनिंग तथा नैतिक दबाव को शामिल किया जाता है, जबकि सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना इसमें शामिल नहीं है।

49. परिमाणात्मक साख नियंत्रण की विधि निम्नलिखित में से कौन-सी नहीं है? [U.P. P.C.S. (mains) 2017]

Correct Answer: (d) साख की राशनिंग
Solution:साख को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति के उपस्करों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है - परिमाणात्मक तथा गुणात्मक। परिमाणात्मक उपाय प्रकृति में गैर-भेदभावपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जब किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा एक निश्चित ब्याज दर निर्धारित की जाती है, तो यह दर देश के संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली पर लागू होती है। इसके विपरीत, गुणात्मक उपाय समाज के एक वर्ग से दूसरे वर्ग तक भिन्न होते हैं। इसका उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ऋण को विनियमित करने के लिए किया जाता है। चयनात्मक साख नियंत्रण केंद्रीय बैंकों द्वारा साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि से संबंधित है। इसके अंतर्गत उधार सीमा (मार्जिन) में परिवर्तन, साख राशनिंग तथा नैतिक दबाव को शामिल किया जाता है, जबकि सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना इसमें शामिल नहीं है।

50. खुले बाजार की कार्यवाहियां समाहित होती हैं- [U.P. P.C.S. (mains) 2017]

Correct Answer: (b) साख नियंत्रण की परिमाणात्मक विधियों में
Solution:साख को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति के उपस्करों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है - परिमाणात्मक तथा गुणात्मक। परिमाणात्मक उपाय प्रकृति में गैर-भेदभावपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जब किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा एक निश्चित ब्याज दर निर्धारित की जाती है, तो यह दर देश के संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली पर लागू होती है। इसके विपरीत, गुणात्मक उपाय समाज के एक वर्ग से दूसरे वर्ग तक भिन्न होते हैं। इसका उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ऋण को विनियमित करने के लिए किया जाता है। चयनात्मक साख नियंत्रण केंद्रीय बैंकों द्वारा साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि से संबंधित है। इसके अंतर्गत उधार सीमा (मार्जिन) में परिवर्तन, साख राशनिंग तथा नैतिक दबाव को शामिल किया जाता है, जबकि सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना इसमें शामिल नहीं है।